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दलाई लामा से अमेरिकी सांसदों की मुलाकात पर चीन आगबबूला, धर्म गुरु को दे डाली राजनीति में सुधार करने की नसीहत

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि जब चीन सरकार और दलाई लामा के बीच संपर्क और बातचीत की बात आती है तो हमारी नीति सुसंगत और स्पष्ट है। जियान ने कहा मुख्य बात यह है कि दलाई लामा को अपने राजनीतिक प्रस्तावों पर गहनता से विचार करना चाहिए और उन्हें पूरी तरह से सही करना चाहिए।

By Agency Edited By: Abhinav Atrey Updated: Thu, 20 Jun 2024 10:30 PM (IST)
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चीन ने कहा, दलाई लामा के साथ बातचीत के बारे में हमारी नीति सुसंगत और स्पष्ट। (फाइल फोटो)
पीटीआई, बीजिंग। चीन ने गुरुवार को दलाई लामा से कहा कि वह अपने राजनीतिक प्रस्तावों पर गहनता से विचार करें और उनमें पूरी तरह से सुधार करें, तभी वह उनके साथ वार्ता कर सकता है। साथ ही उसने अमेरिका से भी कहा कि वह तिब्बत से जुड़े मुद्दों के प्रति अपनी संवेदनशीलता और महत्व का सम्मान करे।

वॉशिंगटन शीघ्र ही तिब्बत नीति को लेकर सख्त कानून बनाने जा रहा है। बीजिंग ने यह भी कहा कि उसका दलाई समूह से कोई संपर्क नहीं है। जाहिर तौर पर उसका इशारा धर्मशाला स्थित निर्वासित तिब्बत सरकार से था। उसने वॉशिंगटन से दुनिया को गलत संकेत नहीं भेजने के लिए कहा।

हमारी नीति सुसंगत और स्पष्ट है- चीन

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि जब चीन सरकार और दलाई लामा के बीच संपर्क और बातचीत की बात आती है, तो हमारी नीति सुसंगत और स्पष्ट है। जियान ने कहा, मुख्य बात यह है कि दलाई लामा को अपने राजनीतिक प्रस्तावों पर गहनता से विचार करना चाहिए और उन्हें पूरी तरह से सही करना चाहिए।

निर्वासित तिब्बती नेता की टिप्पणी पर चीन ने दिया जवाब

हालांकि उन्होंने इसका अधिक विवरण नहीं दिया। वह निर्वासित तिब्बती सरकार के नेता पेंपा त्सेरिंग की टिप्पणी पर एक सवाल का जवाब दे रहे थे कि उनका प्रशासन चीन पर दबाव बनाने के लिए अमेरिका द्वारा लाए जा रहे नए तिब्बत नीति कानून का इस्तेमाल करने की कोशिश करेगा, ताकि उसे बातचीत की मेज पर लाया जा सके।

तिब्बती सरकार पूरी तरह से अलगाववादी राजनीतिक समूह- चीन

जियान ने कहा, तथाकथित 'निर्वासित तिब्बती सरकार' पूरी तरह से एक अलगाववादी राजनीतिक समूह है। यह एक अवैध संगठन है, जो चीन के संविधान और कानूनों का उल्लंघन करता है। दुनिया का कोई भी देश इसे मान्यता नहीं देता है। उन्होंने अमेरिका से यह भी आग्रह किया कि वह किसी भी रूप में दलाई समूह के साथ संपर्क न रखे।

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