चीन के खतरनाक मंसूबों की आहट, 175 अरब डॉलर किया अपना रक्षा बजट
चीन ने इस साल भी अपने रक्षा बजट में भारी बढ़ोतरी की है जो भारतीय रक्षा बजट की तुलना में तीन गुना अधिक है। यह भारत ही नहीं, समूची क्षेत्रीय स्थिरता के लिए एक बड़ी चुनौती है।
नई दिल्ली [डॉ. लक्ष्मी शंकर यादव]। चीन ने पांच मार्च को पेश की गई बजट रिपोर्ट में इस साल का रक्षा बजट 11 खरब युआन से ज्यादा अर्थात 175 अरब डॉलर यानी 1139887 करोड़ रुपये घोषित किया है। इस तरह चीन ने पिछले वर्ष की तुलना में 8.1 प्रतिशत की वृद्धि की है। गत वर्ष चीन का रक्षा बजट 150.5 अरब डॉलर का था। चीन का यह रक्षा बजट भारत द्वारा हाल ही में घोषित रक्षा बजट का साढ़े तीन गुना ज्यादा है। इस घोषणा के बाद चीन अमेरिका के बाद रक्षा पर सबसे अधिक खर्च करने वाला दूसरा देश बन गया है। इसे देखते हुए अमेरिका में भी वर्ष 2019 के लिए 686 अरब डॉलर के रक्षा बजट की मांग की गई है। चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के सेना को अत्याधुनिक बनाए जाने के फोकस को देखते हुए रक्षा बजट बढ़ाया गया है। चीन का ध्यान स्टील्थ लड़ाकू विमान, विमानवाहक पोत, सेटेलाइट रोधी मिसाइल समेत नई सैन्य क्षमता विकसित करने पर है।
समुद्र में दबदबा बढ़ा रहा चीन
चीन अपना दबदबा बढ़ाने के लिए नौसेना की पहुंच को समुद्री क्षेत्रों में फैला रहा है। चीन की नेशनल पीपुल्स कांग्रेस यानी एनपीसी के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ली कछ्यांग ने कहा कि चीन अपनी सेना के प्रशिक्षण और युद्ध की तैयारी के सभी पहलुओं को बढ़ाएगा। हम अपनी राष्ट्रीय संप्रभुता, सुरक्षा और विकास हितों को सुरक्षित रखेंगे। झांग येसुई इस समय एनपीसी के प्रवक्ता हैं जो पहले विदेश उपमंत्री भी रह चुके हैं, ने चीन की रक्षा जरूरतों में वृद्धि को सही ठहराया है। उनका कहना है कि चीन के उभार के साथ रक्षा बजट में बढ़ोतरी जरूरी है। उन्होंने कहा कि चीन शांतिपूर्ण विकास की राह पर आगे बढ़ता रहेगा। चीन की रक्षा नीति जो स्वभाव से ही रक्षात्मक है और उसका विकास किसी भी देश के लिए खतरा पैदा नहीं करेगा।बढ़ोतरी का बचाव
विमानवाहक पोत व पनडुब्बियों की जरूरत
उसके रक्षा अधिकारियों के मुताबिक दक्षिण चीन सागर में अमेरिका की बराबरी में आने के लिए विमानवाहक पोत व पनडुब्बियों की जरूरत है। चीन के सामने सबसे बड़ी चिंता अपने तीन लाख सैनिकों को लेकर भी है। वर्ष 2015 में शी चिनफिंग द्वारा अपनी सेना में तीन लाख की सैन्य संख्या घटाने की घोषणा की गई थी। यह कटौती 2018 में भी जारी रहनी है। चीन का कहना है कि हम देश की सुरक्षा एवं सशस्त्र बलों के सुधार सुधार के प्रयासों का समर्थन करेंगे। ठोस सुरक्षा और मजबूत सशस्त्र बल चीन की विश्वस्तरीय ताकत के अनुरूप हैं। यह हमारी सुरक्षा और विकास के हितों के पक्ष में है। हम सैन्य प्रशिक्षण और रक्षा तैयारी बढ़ाएंगे ताकि हमारी संप्रभुता, सुरक्षा और विकास के हित सुनिश्चित हो सकें। हम निश्चित तौर पर अपनी समुद्री और वायु सुरक्षा मजबूत करेंगे।देशी हितों की रक्षा
लगातार रक्षा बजट बढ़ा रहा चीन
चीन लगातार पांच वर्षो से रक्षा बजट में सालाना 10 प्रतिशत से ज्यादा की वृद्धि कर रहा था। उसने अपने रक्षा बजट में वर्ष 2011 में 12.7 फीसदी, 2012 में 11.2 फीसदी एवं 2013 में 11 प्रतिशत से अधिक तो वहीं 2014 में 12.2 प्रतिशत, 2015 में 10.1 प्रतिशत, 2016 में 7.6 प्रतिशत एवं 2017 में सात प्रतिशत की बढ़ोतरी की थी।इस साल के चीनी कदम को सेना के आधुनिकीकरण के प्रयासों से जोड़कर देखा जा रहा है। वहीं खराब आर्थिक स्थिति के बावजूद चीन ने रक्षा बजट में वृद्धि सैन्यीकरण के प्रयासों को तेजी देने के लिए ही की है। ऐसे में यह तय है कि वह अपनी सामरिक क्षमता बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगा। चीन ने रक्षा बजट में वृद्धि को उचित ठहराते हुए यह भी कहा कि अमेरिका एशिया प्रशांत क्षेत्र का सैन्यीकरण कर रहा है। खासकर दक्षिण चीन सागर को लेकर खींचतान सबसे ज्यादा है।तनाव का कारण
(लेखक सैन्य विज्ञान विषय के प्राध्यापक हैं)
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