China-Taiwan: ताइवान के उपराष्ट्रपति के अमेरिकी दौरे से क्यों भड़का चीन, क्या है दोनों देशों में तनाव की वजह?
चीन इस समय ताइवान के उपराष्ट्रपति विलियम लाई के अमेरिकी दौरे से काफी भड़का हुआ है। ताइवान को सबक सिखाने के लिए चीन अब लगातार सैन्य अभ्यास कर रहा है। चीन ने इसे अलगाववादी ताकतों के लिए गंभीर चेतावनी बताई है। बता दें कि जनवरी में होने वाले चुनाव में ताइवान के अगले राष्ट्रपति बनने के प्रबल दावेदार विलियम लाई है। यह 18 अगस्त को अमेरिका से ताइवान लौटे है।
By Nidhi AvinashEdited By: Nidhi AvinashUpdated: Sat, 19 Aug 2023 04:31 PM (IST)
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। China and Taiwan Conflict: ताइवान और चीन ये दो ऐसे देश है जिनके बीच कई सालों से तनाव चल रहा है। सवाल है कि इस समय चीन इतना भड़का हुआ क्यों है? दरअसल, ताइवान के उपराष्ट्रपति विलियम लाई पराग्वे की यात्रा पर थे। इस दौरान वह संयुक्त राज्य अमेरिका में दो बार रुके और वहां पर आधिकारिक तौर पर भाषण भी दिया।
जब वह ताइपे लौटे तो आगबबूला चीन ने ताइवान के आसपास सैन्य अभ्यास शुरू कर दिया। चीन इस बात पर नराज है कि ताइवान के उपराष्ट्रपति विलियम लाई ने अमेरिकी दौरा क्यों किया, यह जानते हुए कि इसके परिणाम कितने गंभीर हो सकते है। चीन ने लाई के अमेरिकी दौरे को अलगाववादी ताकतों के लिए एक 'गंभीर चेतावनी' बताया है। ताइवान-अमेरिका, चीन-अमेरिका और ताइवान-चीन संबंध, और चीन लाई की संयुक्त राज्य अमेरिका यात्रा से इतना परेशान क्यों है? आइये आसान भाषा में समझें इस मुद्दे को...
चीन इतना नाराज क्यों है?
- चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के लिए ताइवान एक बेहद भावनात्मक मुद्दा है।
- 1949 में माओत्से तुंग के कम्युनिस्टों के साथ गृह युद्ध हारने के बाद पराजित रिपब्लिक ऑफ चाइना सरकार ताइवान भाग गई थी।
- इसके बाद से पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना ने ताइवान को अपना क्षेत्र होने का दावा किया।
- चीन ने बार-बार ताइवान को अमेरिकी अधिकारियों से बातचीत न करने का आह्वान किया है।
- ताइवानी नेताओं अमेरिका जाने से भी इनकार किया है।
- ताइवान का अमेरिकी दौरे पर जाना चीन से अलग देश के तौर पर देखा जा रहा है।
- 2005 में बीजिंग को ताइवान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई के लिए कानूनी आधार देने वाला एक कानून पारित किया।
कब से चल रही तनातनी?
- चीन हमेशा मानता है कि भविष्य में ताइवान चीन का हिस्सा हो जाएगा।
- वहीं, ताइवान अपने आपको एक अलग देश के रूप में पेश करती रही है।
- मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, 1683 से 1895 तक चीन का चिंग राजवंश ताइवान में शासन करता था।
- साल 1985 में चीन को जापान से हार का सामना करना पड़ा और ताइवान जापान के हिस्से में आ गया।
- दूसरे विश्व युद्ध में अमेरिका से जापान हार गया जिसके बाद ताइवान को चीन के बड़े राजनेता चैंग काई शेक को सौंपने का विचार किया गया।
- कम्युनिस्ट सेना से हार का सामना करने के बाद चैंग काई शेक ताइवान भागकर आ गए।
- कई सालों तक ताइवान पर चैंग का प्रभुत्व रहा, लेकिन इसके बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा।
- चीन ने जब 'वन कंट्री टू सिस्टम' का प्रस्ताव ताइवान के सामने रखा तो, ताइवान ने इसे ठुकरा दिया।
- जब साल 2000 में चेन श्वाय बियान ताइवान के राष्ट्रपति चुने गए तो ताइवान को एक स्वतंत्र देश बताया गया।
- इस बात से चीन की नाराजगी बढ़ गई और तब से अब तक दोनों देशों के बीच तनातनी है।
ताइवान के उपराष्ट्रपति विलियम लाई को क्यों पसंद नहीं करता चीन?
- चीन लाई को अलगाववादी मानता है।
- लाई का कहना है कि चीन गणराज्य के रूप में ताइवान पहले से ही एक स्वतंत्र देश हैं।
- बीजिंग ने लाई की अमेरिकी यात्रा को एक छलावा बताया और बेईमान चालों के माध्यम से स्थानीय चुनाव में जीतने का आरोप लगाया।
- लाई जनवरी में होने वाले चुनाव के लिए सत्तारूढ़ डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार हैं और चुनाव में नेतृत्व कर रहे हैं।