मंगल की सतह पर उतरा चीन का स्पेसक्राफ्ट Tianwen-1, पिछले साल जून में हुआ था लॉन्च
चीन की अंतरिक्ष एजेंसी चाइना नेशनल स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (सीएनएसए) की ओर से शनिवार सुबह मंगल ग्रह की सतह पर देश का पहला रोवर लेकर एक अंतरिक्ष यान के पहुंचने की पुष्टि की गई। इसके साथ ही चीन मंगल ग्रह पर रोवर उतारने वाला दुनिया का दूसरा देश बन गया है।
बीजिंग, प्रेट्र। चीन (China) के रोवर को मंगल ग्रह तक पहुंचने में सफलता मिली है। देश के पहले रोवर के साथ चीनी एयरक्राफ्ट मंगल ग्रह की सतह पर पहुंच गया है। इसकी पुष्टि शनिवार को चाइना नेशनल स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (CNSA) की ओर से की गई। ऑर्बिटर, लैंडर व रोवर (Zhuzhong rover) के साथ तियानवेन-1 (Tianwen-1) को 23 जून 2020 को लॉन्च किया गया था।
#UPDATES China's Zhurong rover touched down on Mars, state media reports, a triumph for Beijing's increasingly bold space ambitions and a history-making feat for a nation on its first-ever Martian mission https://t.co/tHmG9wQNdf" rel="nofollow pic.twitter.com/bX5KR5Sz2Y
करीब सात माह तक अंतरिक्ष में चक्कर काटने के बाद फरवरी में यह मंगल ग्रह के कक्ष (Mars orbit) में दाखिल हुआ था। 240 किलोग्राम के रोवर में 6 पहिए और 4 सोलर पैनल लगे हैं और यह प्रति घंटे 200 मीटर का चक्कर लगाने में सक्षम है। इसमें एक मल्टी-स्पेक्ट्रल कैमरा समेत 6 साइंटिफिक उपकरण लगे हुए हैं। यहां इसे तीन महीने तक काम करने की संभावना जताई गई है।
China's probe to Mars touches down on the Red Planet during a busy time for Martian exploration
China, the US and the UAE have sent probes to the treacherous planet, where failure to land safely is more frequent than success https://t.co/uCaBIJKA93" rel="nofollow pic.twitter.com/yKLifYUMvv— AFP News Agency (@AFP) May 15, 2021
हाल में अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात व चीन के स्पेसक्राफ्ट मार्स के कक्ष में दाखिल हुए हैं। करीब 7 अंतरिक्ष में चक्कर काटने के बाद 18 फरवरी को नासा का पर्सेवरेंस रोवर मंगल की सतह पर पहुंचा था। इसने अपने लैंडिंग साइट जजेरो क्रेटर (Jezero Crater) से अब तक कई रोचक तस्वीरें भेजी हैं। इसने मंगल ग्रह का मुआयना करने के लिए एक हेलीकॉप्टर भी छोड़ा। उल्लेखनीय है कि अब तक अमेरिका (USA), रूस (Russia), यूरोपीय संघ (EU) और भारत (India) के स्पेसक्राफ्ट को यहां तक आने में सफलता प्राप्त हुई है। 2014 में यहां तक स्पेसक्राफट भेजने वाला भारत दक्षिण एशिया का पहला देश है।