जानें- किसके डर से अपने परमाणु हथियारों के जखीरे को बढ़ाना चाहता है चीन और इस पर क्या है जानकारों की राय
बीजिंग में हुई कम्यूनिस्ट पार्टी की कांग्रेस में जो बातें सामने निकलकर आई हैं उसमें चीन की परमाणु हथियारों की क्षमता का बढ़ाया जाना बेहद खास है। चीन के जानकार इसको एक जरूरत बता रहे हैं जिसमें पीछे अमेरिका का डर है।
By Kamal VermaEdited By: Updated: Sat, 22 Oct 2022 11:33 AM (IST)
नई दिल्ली (आनलाइन डेस्क)। बीजिंग में चली कम्यूनिस्ट पार्टी की कांग्रेस से जो खास बातें निकलकर सामने आई हैं उनमें अमेरिका को सबसे बड़ा दुश्मन मानना और चीन में परमाणु हथियारों का जखीरा बढ़ाना है। ये दोनों ही बातें अपने आप में बेहद अहम है। जानकारों की राय में बीजिंग ने पहली बार इस बात को खुलकर सभी के सामने रखा है। राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने साफतौर पर का है कि देश की सुरक्षा के लिए एक मजबूत रणनीतिक बढ़त पानी जरूरी है।
राष्ट्रपति शी को तीसरी बार देश की कमान
गौरतलब है कि सीपीसी में शी चिनफिंग को तीसरी बार चीन की कमान का सौंपा जाना तय माना जा रहा है। सीपीसी केओपनिंग सेशन की शुरुआत करते हुए शी चिनफिंग ने 63 पन्नों की एक रिपोर्ट पेश की थी जिसमें देश की सेनाओं को अत्याधुनिक बनाने की बात कही गई थी। इसके अलावा उन्होंने जिन बातों पर अधिक जोर दिया था उनमें युद्ध के क्षेत्र में मानव रहित तकनीक को बढ़ावा देना और नेटवर्क इंफारमेशन सिस्टम को मजबूती के साथ विकसित करना शामिल था।
पहले से खास है इस बार की सीपीसी
जानकार मानते हैं कि इस बार बीजिंग में हुई सीपीसी वर्ष 2017 की तुलना में इसलिए भी बेहद खास है क्योंकि उस वक्त राष्ट्रपति शी ने रणनीतिक बढ़त बनाने की बात का कहीं कोई जिक्र नहीं किया था। इस बार उन्होंने इसकी खुलेआम घोषणा की है। यही वजह है कि इस बार की सीपीसी पिछले वर्ष हुई बैठक से भी खास हो गई है।
रणनीतिक बढ़त चाहता है चीन
साउथ चाइना मार्निंग पोस्ट की खबर के मुताबिक चीन ने अपने 14वीं पंचवर्षीय रिपोर्ट में पिछले वर्ष एक हाई स्टैंडर्ड रणनीतिक बढ़त को हासिल करने की बात कही गई थी। जानकारों का कहना है कि अमेरिका के खतरे को देखते हुए चीन न सिर्फ रणनीतिक बढ़त लेना चाहता है बल्कि इसके लिए वो परमाणु हथियारों के जखीरे को बढ़ाने पर जोर दे रहा है। चीन की मंशा कहीं न कहीं इस क्षेत्र में अमेरिका को सीधी टक्कर देने की है। अमेरिका परमाणु क्षमता में एक महाशक्ति है।