China-Nepal: चीन ने छीने नेपाली युवाओं के रोजगार के अवसर, नेपाल के राष्ट्रीय प्राइड की परियोजना में चीनी लेबर की बहुलता
नेपाल में बड़ी संख्या में इंजीनियर घर बैठे अपनी नौकरी खो रहे हैं मजदूरों को बिना नौकरी के विदेश जाने को मजबूर किया जा रहा है और दूसरी तरफ बड़ी संख्या में चीनी नागरिकों को नेपाल में राष्ट्रीय प्राइड की परियोजनाओं में लगाया जा रहा है।
By Babli KumariEdited By: Updated: Wed, 01 Jun 2022 11:11 AM (IST)
काठमांडू, एएनआइ। पिछले महीने नेपाल में एक लोडर दुर्घटना में तीन चीनी नागरिकों की मौत से पता चला है कि बीजिंग अपने नागरिकों को काम पर ला रहा है, जिसके कारण हिमालयी राष्ट्र के लोग रोजगार से वंचित हो गए हैं। खबर हब के अनुसार, अप्रैल के अंतिम सप्ताह में काठमांडू-तराई (मधेश) फास्ट ट्रैक पर लोडर दुर्घटना से पता चला है कि उनमें से बड़ी संख्या में परियोजना में चीनी कार्यरत हैं जबकि परियोजना में केवल कुछ नेपाली तकनीशियन कार्यरत हैं।
रिपोर्ट्स का कहना है कि अभी इस बात का खुलासा नहीं किया गया है कि नेपाल में कितने चीनी नागरिकों ने प्रोजेक्ट पर काम करने के लिए वर्क परमिट हासिल किया है। खबर हब ने बताया, इसके अलावा राष्ट्रीय प्राइड परियोजना के ठेकेदार नेपाल सेना ने यह खुलासा नहीं किया है कि कितने विदेशी तकनीशियनों को लेबर परमिट दिया गया है।नेपाल में बड़ी संख्या में इंजीनियर घर बैठे अपनी नौकरी खो रहे हैं, मजदूरों को बिना नौकरी के विदेश जाने को मजबूर किया जा रहा है, और दूसरी तरफ बड़ी संख्या में चीनी नागरिकों को नेपाल में राष्ट्रीय प्राइड की परियोजनाओं में लगाया जा रहा है।
कर्मचारी की मौत के बाद सामने आया बीमा का मामलाखबर हब ने कहा फास्ट ट्रैक बीमा के संबंध में ठेकेदार से प्राप्त जानकारी के अनुसार, पैकेज 1 और पैकेज 2 का अभी तक बीमा नहीं किया गया है। इसका मुख्य कारण यह है कि चीनी ठेकेदार नौ महीने से जोर दे रहा है कि बीमा उसकी पुनर्बीमा कंपनी के तहत चीन में होना चाहिए। इसलिए बीमा में देरी हो रही है।
चीनी ठेकेदार नेपाल के निजी क्षेत्र से लेना चाहता है बीमा
फास्ट ट्रैक एक परियोजना है जिसे नेपाल सेना द्वारा चलाया जा रहा है। सूत्रों का हवाला देते हुए, खबर हब ने बताया कि चीनी ठेकेदार राष्ट्रीय बीमा समिति के बजाय निजी क्षेत्र के नेपाल बीमा, सनिमा बीमा और प्रीमियर बीमा से बीमा प्राप्त करने की कोशिश कर रहा है। अनुबंध को रद्द करने के लिए रक्षा मंत्रालय को संसदीय लेखा समिति के एक पत्र की अवहेलना में अनुबंध दिया गया था।फास्ट ट्रैक काम में हो रही है दिक्कत
प्रस्तावित 72.6 किलोमीटर काठमांडू-तराई-मधेश एक्सप्रेस-वे के लिए अनुबंधित कंपनियों का काम रफ्तार नहीं पकड़ पा रहा है। इससे काम समय पर पूरा होने की आशंका पैदा हो गई है। समय पर माल नहीं दे पाने, कंपनियों के सलाहकार विवादों में पड़ रहे हैं और बीमा और पुनर्बीमा की समस्या से फास्ट ट्रैक काम में दिक्कत हो रही है। नेपाल सेना को मिली थी फास्ट ट्रैक निर्माण की जिम्मेदारी
मंत्रिपरिषद ने अप्रैल 2017 में नेपाल सेना को फास्ट ट्रैक निर्माण की जिम्मेदारी दी थी। इस राष्ट्रीय प्राइड परियोजना को 2024 के लिए पूरा करने का लक्ष्य है। परियोजना की अनुमानित लागत 175 अरब रुपये है। 76.2 किमी की यह सड़क काठमांडू घाटी को तराई-मधेश से जोड़ने वाली सबसे छोटी सड़क है।
प्रस्तावित 72.6 किलोमीटर काठमांडू-तराई-मधेश एक्सप्रेस-वे के लिए अनुबंधित कंपनियों का काम रफ्तार नहीं पकड़ पा रहा है। इससे काम समय पर पूरा होने की आशंका पैदा हो गई है। समय पर माल नहीं दे पाने, कंपनियों के सलाहकार विवादों में पड़ रहे हैं और बीमा और पुनर्बीमा की समस्या से फास्ट ट्रैक काम में दिक्कत हो रही है। नेपाल सेना को मिली थी फास्ट ट्रैक निर्माण की जिम्मेदारी
मंत्रिपरिषद ने अप्रैल 2017 में नेपाल सेना को फास्ट ट्रैक निर्माण की जिम्मेदारी दी थी। इस राष्ट्रीय प्राइड परियोजना को 2024 के लिए पूरा करने का लक्ष्य है। परियोजना की अनुमानित लागत 175 अरब रुपये है। 76.2 किमी की यह सड़क काठमांडू घाटी को तराई-मधेश से जोड़ने वाली सबसे छोटी सड़क है।