'भारत के साथ मिलकर काम करने को तैयार', पीएम मोदी और चिनफिंग की मुलाकात के बाद बदले चीन के सुर
India China Relations सीमा पर तनाव के चलते पिछले कुछ वर्षों से चीन और भारत के ठंडे पड़े रिश्तों में अब सुधार के संकेत मिलने लगे हैं। चीन ने भी हाल में कहा है कि वह भारत के साथ मिलकर कार्य करने के लिए तैयार है। चीन का यह बयान कजान में ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान मोदी और शी जिनफिंग के बीच द्विपक्षीय वार्ता के बाद आया है।
पीटीआई, बीजिंग। चीन ने कहा है कि वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच बनी समझ को विकसित कर आपसी सहयोग बढ़ाने के लिए तैयार है। दोनों नेताओं के बीच रूस में ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान द्विपक्षीय वार्ता हुई थी। यह वार्ता दोनों देशों के चार वर्ष से ठंडे पड़े रिश्तों के बाद हुई थी।
रिश्तों में यह ठहराव 2020 में पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीनी सेना के आगे बढ़ने के कारण आया है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा, 'हाल ही में राष्ट्रपति चिनफिंग की भारतीय प्रधानमंत्री मोदी से रूस के कजान शहर में मुलाकात हुई थी। इस तरह की मुलाकात भविष्य में भी होंगी।'
भारत के साथ मिलकर कार्य करने को तैयार: चीन
प्रवक्ता ने यह बात ब्राजील में जी 20 सम्मेलन के दौरान दोनों नेताओं की संभावित मुलाकात के संबंध में पूछे गए प्रश्न के उत्तर में कही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जी 20 सम्मेलन के दौरान दोनों नेताओं की मुलाकात के कार्यक्रम की उन्हें फिलहाल जानकारी नहीं है।कहा, 'चीन भारत के साथ मिलकर कार्य करने के लिए तैयार है। इसके लिए दोनों नेताओं के बीच वार्ता से राह बनेगी। दोनों देश संवाद और सहयोग बढ़ाएंगे, इसके बाद आपसी विश्वास से रणनीतिक सहयोग होगा।'
कजान में हुई थी 50 मिनट लंबी बातचीत
गौरतलब है कि कजान में हुई दोनों नेताओं की 50 मिनट की वार्ता से पहले एलएसी से दोनों देशों की सेनाओं के पीछे जाने और मिलकर गश्त करने पर सहमति बनी थी। इस सहमति के आधार पर पूर्वी लद्दाख के देपसांग और डेमचोक से चीन की सेना पीछे चली गई है और क्षेत्र में भारतीय सैनिकों की गश्त शुरू हो गई है। दोनों नेताओं की मुलाकात में मतभेद वाले मुद्दों को बातचीत से सुलझाने के लिए सहमति बनी थी।कजान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान आयोजित लगभग 50 मिनट की बैठक में मोदी ने मतभेदों और विवादों को उचित तरीके से निपटाने तथा सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और सौहार्द को भंग न करने देने के महत्व को रेखांकित किया और कहा कि आपसी विश्वास, आपसी सम्मान और आपसी संवेदनशीलता ही संबंधों का आधार बने रहना चाहिए। शी ने कहा कि चीन-भारत संबंध मूलतः इस बात का प्रश्न है कि 1.4 अरब की आबादी वाले दो बड़े विकासशील देश और पड़ोसी एक-दूसरे के साथ कैसा व्यवहार करते हैं।