Iran-Saudi Arabia: चीन ने कहा- ईरान और सऊदी अरब वार्ता की मेजबानी के पीछे कोई छिपी मंशा नहीं
चीन ने ईरान और सऊदी अरब की बातचीत की मेजबानी करने के पीछे कोई छिपी हुई मंशा होने से शनिवार को इन्कार किया और कहा कि वह पश्चिम एशिया में किसी खालीपन को भरने की कोशिश नहीं कर रहा है। H
By AgencyEdited By: Sonu GuptaUpdated: Sun, 12 Mar 2023 04:17 AM (IST)
बीजिंग, एपी। चीन ने ईरान और सऊदी अरब की बातचीत की मेजबानी करने के पीछे कोई छिपी हुई मंशा होने से शनिवार को इन्कार किया और कहा कि वह पश्चिम एशिया में 'किसी खालीपन' को भरने की कोशिश नहीं कर रहा है। विदेश मंत्रालय ने बताया कि चीन का कोई स्वार्थ नहीं है और वह इलाके में भूराजनीतिक प्रतिस्पर्धा का विरोध करता है।
खाड़ी देशों का समर्थन जारी रखेगा चीन
चीन संवाद और विचार-विमर्श के जरिये विवादों को सुलझाने और क्षेत्र में स्थाई शांति व स्थिरता कायम करने के लिए खाड़ी देशों का समर्थन करना जारी रखेगा। मालूम हो कि ईरान-सऊदी अरब के बीच हुई वार्ता में दोनों देशों ने राजनयिक संबंध स्थापित करने पर सहमति जताई थी। दोनों देशों द्वारा सात साल बाद अपने दूतावास दोबारा खोलने के फैसले को चीन की अहम कूटनीतिक जीत मानी जा रही है, क्योंकि खाड़ी देशों का मानना है कि इस क्षेत्र में अमेरिका अपनी उपस्थिति कम कर रहा है।
सीरिया ने जताई तनाव घटने की उम्मीद
ईरान और सऊदी अरब के बीच राजनयिक संबंध बहाल करने के समझौते का सीरिया ने स्वागत किया है। कहा है कि इससे क्षेत्र में तनाव कम होगा। सीरिया के विदेश मंत्री ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे क्षेत्र में स्थिरता बढ़ेगी। इससे दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ेगा और आपसी हितों पर सकारात्मक असर पड़ेगा। बताते चलें कि सीरिया में ईरान राष्ट्रपति बशर असद का समर्थन करता है, जबकि सऊदी अरब उनसे लड़ रहे विद्रोहियों के साथ है।इजरायल के लिए बढ़ सकती मुश्किल
ईरान और सऊदी अरब के बीच समझौते से इजरायल के लिए मुश्किल बढ़ सकती है। इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू सऊदी अरब के साथ अपने संबंधों को सामान्य करना चाहते हैं। लेकिन, सऊदी अरब ने ईरान की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ा दिया है, जो इजरायल का पुराना प्रतिद्वंद्वी है। इससे इजरायल के लिए स्थिति जटिल हो जाएगी।