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China-Taiwan Conflict: चीन ने ताइवान की सैन्य क्षमता को उन्नत करने वाली अमेरिकी कंपनियों पर लगाया प्रतिबंध

चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने लॉकहीड मार्टिन कॉर्प और रेथियॉन टेक्नोलॉजीज कॉर्प की रेथियॉन मिसाइल्स एंड डिफेंस द्वारा सामान को आयात करने और देश में नए निवेश पर रोक लगा दिया है। बता दें कि चीन ताइवान को अपना हिस्सा बताता रहा है।

By AgencyEdited By: Anurag GuptaPublished: Thu, 16 Feb 2023 06:59 PM (IST)Updated: Thu, 16 Feb 2023 06:59 PM (IST)
चीन ने ताइवान की सैन्य क्षमता को उन्नत करने वाली अमेरिकी कंपनियों पर लगाया प्रतिबंध

बीजिंग, एपी। पश्चिमी देश जहां रूस को हथियारों की आपूर्ति करने वाली कंपनियों और देशों पर प्रतिबंध लगा रहा है, वहीं दूसरी तरफ चीन ने ताइवान को हथियारों की आपूर्ति करने वाली कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने शुरू कर दिए हैं। इस कड़ी में चीन ने लॉकहीड मार्टिन और रेथियॉन पर गुरुवार को व्यापार और निवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है।

वाणिज्य मंत्रालय ने लॉकहीड मार्टिन कॉर्प और रेथियॉन टेक्नोलॉजीज कॉर्प की रेथियॉन मिसाइल्स एंड डिफेंस द्वारा चीन से सामान को आयात करने और देश में नए निवेश पर रोक लगा दिया है। देश के वाणिज्य मंत्रालय ने बताया कि इन दोनों कंपनियों को गैर भरोसेमंद सूची में डाला दिया गया है, क्योंकि वे राष्ट्रीय संप्रभुता, सुरक्षा और विकास हितों को खतरे में डाल सकती हैं।

ताइवान को अपना हिस्सा बताता रहा है चीन

माना जा रहा है कि चीन अपने इन कदमों के जरिए ताइवान को अलग-थलग करने की कोशिश में जुटा हुआ है और वो ताइवान को अपना हिस्सा भी बताता रहा है। हालांकि, साल 1949 में हुए गृह युद्ध के बाद चीन और ताइवान अलग हो गए थे।

रिपोर्ट के मुताबिक, सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी का कहना है कि वो ताइवान को चीन में शामिल करके ही दम लेगी। इसके लिए भले ही बल प्रयोग का सहारा लेना पड़े। ऐसे में द्वीप के पास चीन के फाइटर और बॉम्बर प्लेन की युद्धाभ्यास करते हुए ताइवान को डराने की कोशिश में जुटे हुए हैं।

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अमेरिका ताइवान के सैन्य उपकरणों का मुख्य आपूर्तिकर्ता

बता दें कि अमेरिका ताइवान के सैन्य उपकरणों का मुख्य आपूर्तिकर्ता है। इसी के तहत रेथियॉन मिसाइल्स एंड डिफेंस ने सितंबर में ताइवान के साथ रडार टेक्नोलॉजी को बेहतर बनाने के लिए 412 मिलियन अमेरिकी डॉलर का अनुबंध किया था। हालांकि, अमेरिका के साथ ताइवान के कोई आधिकारिक संबंध तो नहीं हैं, लेकिन दोनों देशों के बीच व्यापक व्यवसायिक और अनौपचारिक बातचीत होती रहती है।

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