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आलोचना से बौखलाया चीन, ब्रिटिश राजदूत को समन करने के बाद बीबीसी की रिपोर्टिंग पर जताई आपत्ति

चीन ने ब्रिटिश टेलीविजन चैनल (बीबीसी) की रिपोर्टिंग को लेकर आपत्ति जाहिर की है। कुछ दिन पहले ही उसने बीजिंग में ब्रिटिश राजदूत को उनके लेख को लेकर समन किया था। प्रेस की आजादी का बचाव करते हुए इस लेख को लेकर उसने नाखुशी जाहिर की थी।

By TaniskEdited By: Updated: Thu, 11 Mar 2021 12:03 PM (IST)
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ब्रिटिश राजदूत को समन करने के बाद बीबीसी की रिपोर्टिंग पर ;चीन ने जताई आपत्ति
बीजिंग, एपी। चीन ने ब्रिटिश टेलीविजन चैनल (बीबीसी) की रिपोर्टिंग को लेकर आपत्ति जाहिर की है। कुछ दिन पहले ही उसने बीजिंग में ब्रिटिश राजदूत को उनके लेख को लेकर समन किया था। प्रेस की आजादी का बचाव करते हुए इस लेख को लेकर उसने नाखुशी जाहिर की थी। लंदन में चीनी दूतावास ने गुरुवार को अपनी वेबसाइट पर एक बयान पोस्ट करते हुए कहा कि उसने पत्र लिखकर बीबीसी के समक्ष असंतोष व्यक्त किया है। ड्रैगन ने ब्रॉडकास्टर से पूर्वाग्रह छोड़ने अपनी गलती को सुधारने, निष्पक्ष और संतुलित तरीके से चीन को लेकर रिपोर्टिंग करने का आग्रह किया है। 

मंगलवार को चीन के विदेश मंत्रालय ने दूतावास के चीनी माइक्रोब्लॉग पर पोस्ट किए गए अपने लेख पर राजदूत कैरोलिन विल्सन को तलब किया था। इसमें उन्होंने कहा कि चीन की आलोचनात्मक रिपोर्टिंग करने का मतलब देश से घृणा करना या उसका अनादर करना नहीं है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने बुधवार को कहा कि विल्सन का लेख वैचारिक पक्षपात को बताता है। उनके अनुसार कोरोना वायरस प्रकोप और शिनजियांग में मुस्लिम अल्पसंख्यकों के खिलाफ दुर्व्यवहार जैसे संवेदनशील मामलों में बीबीसी की रिपोर्टिंग पर चीन ने गुस्सा जाहिर किया है।   

बता दें कि चीन ने पिछले महीने बीबीसी पर प्रतिबंध लगा दिया था। उसने कहा था कि ब्रॉडकास्टर ने न्‍यूज के सत्य और निष्पक्ष होने की आवश्यक शर्त का भी उल्लंघन किया है। उसने दावा किया था कि बीबीसी द्वारा प्रसारित की गई रिपोर्टों से चीन के राष्ट्रीय हितों को नुकसान हुआ है। उसकी राष्ट्रीय एकता कमजोर हुई है।

चीन में प्रसारण करने वाले विदेशी चैनलों के आवश्यक शर्तों बीबीसी पूरा नहीं करता है। इससे पहले ब्रिटेन ने चीन के सरकारी मीडिया सीजीटीएन को अपने देश में प्रतिबंधित किया था। ब्रिटेन की जांच में सीजीटीएन के पास संपादकीय नियंत्रण का अभाव पाया गया था। साथ ही उसका संबंध सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी से पाया गया था। इसी वजह से यह प्रतिबंध लगाया गया। इसके बाद यह कयास लगाए जा रहे थे कि बीबीसी पर प्रतिबंध लगाकर चीन इसका जवाब देगा।