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चांद पर झंडा फहराने वाला दुनिया का दूसरा देश बना चीन, 51 साल बाद फिर रचा इतिहास

चीन के मून मिशन ने इतिहास रच दिया है। इस मिशन के तहत चांद की धरती पर चीन का झंडा लगाया गया है। इतिहास में ये दूसरा मौका है जब चांद पर इस तरह से किसी देश का झंडा लगाया गया है।

By Kamal VermaEdited By: Updated: Sun, 06 Dec 2020 01:01 PM (IST)
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चांद की धरती पर लगा चीन का झंडा

बीजिंग (एजेंसी)। चीन ने चांद की धरती पर अपना झंडा लगाकर इतिहास रच दिया है। ऐसा करने वाला चीन दुनिया का दूसरा देश बन गया है। जुलाई 1969 में अमेरिका के अपोलो-11 मिशन के दौरान नील आर्मस्‍ट्रॉन्‍ग वो पहले व्‍यक्ति थे जिन्‍होंने चांद की धरती पर कदम रखा था। इसके बाद बज एल्ड्रिन चांद की धरती पर उतरे थे। इस मिशन के दौरान ही चांद पर अमेरिका का झंडा लगाया गया था। चीन ने चांद पर अपना झंडा लगाने के साथ इस इतिहास को दोहराने का काम किया है। ये झंडा 90 सेंमी लंबा और एक किग्रा वजनी है। इसको फैब्रिक से तैयार किया गया है। इसकी वजह चांद का ठंडा तापमान है। हालांकि अमेरिका का 1969 में चांद पर भेजा गया वो मिशन मैन मिशन था जबकि चीन का मिशन अनमैन मिशन है। इस लिहाज से भी ये काफी खास है।

इतना ही नहीं इस मिशन के दौरान दूसरी बार चांद की धरती से कुछ लाया जा रहा है। इस कारनामे को चीन के स्पेसक्राफ्ट Chang'e-5 ने किया है। आर्मस्‍ट्रॉन्‍ग के मिशन के दौरान वो अपने साथ चीन की मिट्टी लेकर आए थे। वहीं चीन के इस मिशन के तहत भी यान ने चांद की धरती से सैंपल एकत्रित किए हैं। अब ये यान अपने काम को अंजाम देने के बाद वहां से निकल चुका है। चीन की स्पेस एजेंसी ने इसकी तस्वीर जारी की है।

गौरतलब है कि चीन ने अपने इस यान का नाम चांद की देवी के नाम पर रखा है। चाइनीज नेशनल स्‍पेस एडमिनिस्‍ट्रेशन ने इसकी जानकारी साझा की है। इससे पहले चीन ने Chang'e-3 और Chang'e-4 को भी मून मिशन के तहत रवाना किया था। स्‍पेस एजेंसी की साझा की गई तस्‍वीरों में लैंडर से असेंडर के अलग होते हुए दिखाया गया है। बाद में यान में लगे झंडे को ऑटोमैटिक तरीके से लगाया।  सोवियत संघ ने वर्ष 1976 में लूना 24 मिशन लॉन्‍च किया था। इस मिशन के दौरान चांद की धरती से 200 ग्राम मिट्टी और चट्टान के नमूने जुटाए गए थे।

चीन के इस मून मिशन के तहत चांद से जो नमूने लेकर आ रहा है उससे न सिर्फ चांद की भूगर्भीय संरचना और इसकी उत्‍पत्ति के बारे में जानने की मदद मिलेगी। इसके अलावा चांद पर ज्‍वालामुखी से जुड़े सवालों के जवाब तलाशने में भी मदद मिल सकेगी। इसके अलावा ब्रह्मांड का निर्माण और उसके रहस्‍यों से जुड़े सवालों के जवाब भी तलाशे जा सकेंगे। चीन ने इस मिशन को 24 नवंबर को अपने बेहद शक्तिशाली लांग मार्च-5 रॉकेट के जरिए हेनान प्रांत से रवाना किया गया था। 1 दिसंबर को ये यान सफलतापूर्वक चांद की धरती पर उतरा था।