तिब्बत में विकास योजना के पीछे चीन का बड़ा खेल, नई रेल लाइन और हवाई अड्डा बनने से तेजी से भेजी जा सकेगी सेना
तिब्बत में रेल लाइन हवाई अड्डा और हैलीपेड निर्माण की योजना से चीन कई हित साधने की तैयारी में है। नए निर्माण से जहां वह तेजी से सेना भेज सकेगा वहीं तिब्बत को सांस्कृतिक रूप से आत्मसात करने की रणनीति को भी पूरा कर लेगा। फोटो- एएनआई।
By AgencyEdited By: Sonu GuptaUpdated: Sun, 12 Feb 2023 06:34 PM (IST)
लहासा, एएनआई। तिब्बत में रेल लाइन, हवाई अड्डा और हैलीपेड निर्माण की योजना से चीन कई हित साधने की तैयारी में है। नए निर्माण से जहां वह तेजी से सेना भेज सकेगा, वहीं तिब्बत को सांस्कृतिक रूप से आत्मसात करने की रणनीति को भी पूरा कर लेगा। जरूरत पड़ने पर वह उनके विरोध को भी कुचलने में कामयाब होगा। यही नहीं, दक्षिण एशिया और चीन के बीच एक अंतरराष्ट्रीय रेलवे कारिडोर बनाने की भी तैयारी है। यह बात तिब्बत राइट कलेक्टिव रिपोर्ट में सामने आई है।
तिब्बत में 2025 तक 4000 किलोमीटर लंबी रेल लाइन बिछाने का लक्ष्य
चीन का लक्ष्य तिब्बत में 2025 तक 4000 किलोमीटर लंबी रेल लाइन बिछाने की है। वहीं, 2035 तक 59 नए हवाई अड्डे और 300 हैलीपेड भी बनने हैं। तिब्बत पालिसी इंस्टीट्यूट के मुताबिक, आधारभूत संरचना से जुड़ी यह नीति तिब्बतियों के विरोध को कुचलने में मदद करेगी। अंतत: तिब्बत के भीतर और बाहर तिब्बतियों के विरोध को खत्म करने में वे सफल होंगे।
पांच हजार किलोमीटर से अधिक रेलवे नेटवर्क का विस्तार करने की योजना
लहासा जैसे शहर में तेजी से शहरीकरण के साथ-साथ चीनी प्रवासी श्रमिकों की बढ़ती संख्या के कारण तिब्बतियों और चीनी लोगों के बीच अंतर्विवाह की प्रवृत्ति बढ़ रही है। रिपोर्ट के अनुसार, 14वीं पंचवर्षीय योजना (2021-2025) में चीन की योजना है कि 2035 तक तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र (टार) में पांच हजार किलोमीटर से अधिक रेलवे नेटवर्क का विस्तार किया जाए। इसमें एक हजार किलोमीटर डबल ट्रैक भी शामिल हैं। वर्तमान में तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में केवल तीन रेलवे लाइन कार्यरत हैं।तिब्बत में बड़े पैमाने पर निवेश
चीन ने दावा किया कि साल 1990 के दशक से ही चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) की सरकार ने तिब्बत में बुनियादी ढांचे के निर्माण में, विशेष रूप से रेलवे, सड़कों और हवाई अड्डों जैसे कनेक्टिविटी के क्षेत्रों में निवेश का एक अभूतपूर्व स्तर बनाया है। शहरीकरण, खनन, पर्यटन, सैन्य और सरकारी बुनियादी ढांचे के लिए पनबिजली ऊर्जा के निर्माण के लिए तिब्बत में भी निवेश किया गया है।
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