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सहयोगी देशों की कमर तोड़ रहा चीन का BRI प्रोजेक्ट, पाकिस्तान और श्रीलंका सहित कई देश प्रभावित

चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआइ) का उसके सहयोगी देशों पर नकारात्मक असर पड़ रहा है। साउथ रिसर्च इनिशिएटिव (एसएसआरआई) की रिपोर्ट के अनुसार जांबिया पाकिस्तान लाओस अंगोला और श्रीलंका से तथ्यों का विश्लेषण करने के बाद यह जानकारी सामने आई है। फाइल फोटो।

By AgencyEdited By: Sonu GuptaUpdated: Sat, 28 Jan 2023 05:53 AM (IST)
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सहयोगी देशों की कमर तोड़ रहा चीन का BRI प्रोजेक्ट।
बीजिंग, एएनआई। चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआइ) का उसके सहयोगी देशों पर नकारात्मक असर पड़ रहा है। साउथ रिसर्च इनिशिएटिव (एसएसआरआई) की रिपोर्ट के अनुसार, जांबिया, पाकिस्तान, लाओस, अंगोला और श्रीलंका से तथ्यों का विश्लेषण करने के बाद यह जानकारी सामने आई है। चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के भविष्य पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं। इस परियोजना के जरिए चीन ने पूरी दुनिया में अरबों डालर का निवेश किया है।

चीनी सरकार अब नहीं कर रही है बीआरआइ के तहत नए कर्ज जारी

चीन ने बीआरआइ के जरिये इन देशों में खासा निवेश किया है और इन देशों को सपने दिखाए हैं कि इससे उनके बुनियादी ढांचे में सुधार आएगा, जो उन्हें आर्थिक विकास में मदद करेगा। हालांकि, चीनी सरकार इन दिनों बीआरआइ के तहत नए कर्ज जारी नहीं कर रही है। एसएसआरआई के अनुसार, दूरगामी परिणामों की चिंता किए बिना बीआरआई प्रोजेक्ट को बहुत जल्दी लागू किया गया। इसके साथ ही कई राष्ट्र इस प्रोजेक्ट का सर्मथन करते हैं, लेकिन आर्थिक योगदान नहीं देना चाहते हैं, उनका मानना है कि चीन को अधिकांश खर्च वहन करना चाहिए।

बीआरआई के कारण सहयोगी देशों में दिख रहा आर्थिक और राजनीतिक बदलाव

एसएसआरआइ के अनुसार, चीन ने ज्यादातर निगमों, नागरिक समाज समूहों और स्थानीय निवासियों की चिंताओं पर विचार किए बिना सरकारी संस्थानों के साथ बातचीत करने पर ध्यान केंद्रित किया। जांबिया, पाकिस्तान, अंगोला, लाओस और श्रीलंका के साथ चीन के जुड़ाव से इस मुद्दे को सबसे अच्छी तरह समझा जा सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, चीन द्वारा 2013 में शुरू की गई बीआरआइ प्रोजेक्ट के कारण सहयोगी देशों में आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक बदलाव दिखाई दे रहा है।

पाकिस्तान में आर्थिक अस्थिरता

चीन के निवेश से लाभ उठाने के लिए जांबिया सरकार द्वारा कोई रणनीति नहीं बनाई गई है। इस बात पर भी जांबिया मौन है कि चीनी निवेशक देश के औद्योगिक क्षेत्र को नष्ट कर रहे हैं। एसएसआरआई के अनुसार, चीन की बीआरआइ परियोजना ने पाकिस्तान में सामाजिक अशांति पैदा कर दी है और आर्थिक अस्थिरता को भी जन्म दिया है। पाकिस्तान की हालत भी खराब है। स्थानीय समुदाय मछली पकड़कर अपनी रोजी-रोटी चलाता था जो अब कड़े सुरक्षा इंतजामों के कारण बंद हो गया है।

चीन के भारी कर्ज-जाल की गिरफ्त में लाओस

दक्षिण -पूर्वी एशियाई देश लाओस इन दिनों चीन के भारी कर्ज-जाल की गिरफ्त में है। चीन ने लंबे समय से लाओस के आधारभूत ढांचे में बड़े स्तर पर निवेश किया है। चीन लाओस में नीति-निर्माण प्रक्रिया को प्रभावित करने के लिए अपनी शक्ति का उपयोग कर सकता है। रियल एस्टेट बाजार बनाने के लिए विधायी सुधारों की कमी के कारण अंगोला की अनिच्छा से चीन ने इस सेक्टर में निवेश से मना कर दिया है। इससे वहां के नागरिकों में काफी रोष है।

बीआरआइ प्रोजेक्ट में भ्रष्टाचार और पारदर्शिता की कमी

इन पांच देशों में सरकार के इन उपायों से लोगों में असंतोष को बढ़ा दिया है, जो चीनी निवेश के परिणाम से लाभान्वित नहीं हो रहे हैं। चीन की सहायता का बोझ इतना ज्यादा हो जा रहा है कि श्रीलंका जैसे देश इसे चुका नहीं पा रहे हैं। चीन के कर्जजाल में फंसा श्रीलंका डिफाल्ट कर गया है और अपने विदेश कर्ज को नहीं लौटा पा रहा है। हालत यह हो गई कि जनता ने विद्रोह कर दिया और चीन समर्थक गोटाबाया राजपक्षे को देश छोड़कर जाना पड़ा था।

बीआरआई के कारण श्रीलंका बदहाल

श्रीलंका में बीआरआइ परियोजनाओं में भ्रष्टाचार और पारदर्शिता की कमी दिखाई देती है। सिंगापुर पोस्ट ने हाल ही में रिपोर्ट दी थी कि चीन 2023 में बीआरआइ के माध्यम से 140 भागीदार देशों के साथ अपने राजनयिक और आर्थिक संबंधों को मजबूत करने के साथ अपने प्रभाव का विस्तार करने की कोशिश कर रहा है। 2022 की तरह 2023 में भी चीन ने ट्रेनों की परिवहन क्षमता बढ़ाने के प्रयास करने का प्रस्ताव रखा है।

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