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70 साल में पहली बार जनसंख्या घटने से चीन परेशान, जानें- कैसा है भारत का हाल

दुनिया का सबसे आबादी वाला जनसंख्या घटने से चिंतित है, क्योंकि वहां बुजुर्गों की संख्या में इजाफा हो रहा है। वैज्ञानिकों ने भारत की भी भविष्य की स्थिति का आंकलन किया है।

By Amit SinghEdited By: Updated: Fri, 04 Jan 2019 05:48 PM (IST)
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70 साल में पहली बार जनसंख्या घटने से चीन परेशान, जानें- कैसा है भारत का हाल

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। दुनिया का सबसे आबादी वाला देश चीन। कल तक चीन के लिए उसकी सबसे ज्यादा आबादी ही समस्या बनी हुई थी। लिहाजा चीन ने आबादी नियंत्रित करने के लिए कानून लागू किया। अब चीन के लिए उसकी घटती आबादी चिंता का विषय बन चुकी है। चीन में 2018 की जनसंख्या पर आई रिपोर्ट चौंकाने वाली है। साथ ही चीन के लिए भविष्य की बड़ी समस्या की तरफ भी इशारा करती है। ऐसे में हमारे लिए ये भी जानना जरूरी है सबसे ज्यादा जनसंख्या के मामले में दुनिया का दूसरा देश होने के कारण भारत की क्या स्थिति है।

चीन में जनसांख्यिकीय संकट
विशेषज्ञों का मानना है कि चीन में पहली बार कम हुई जनसंख्या भविष्य की बड़ी चुनौती की तरफ इशारा कर रही है। इससे चीन की धीमी पड़ चुकी अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लग सकता है। लिहाजा इसे चीन के ऊपर एक जनसांख्यिकीय संकट के तौर पर देखा जाना चाहिए। चाइनीज विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को इस से निपटने के लिए तत्काल आवश्यक कदम उठाने की जरूरत है, नहीं तो स्थिति नियंत्रण से बाहर हो जाएगी।

चीन की जनसंख्या नियंत्रण नीति
चीन की आबादी कुछ तकरीबन एक अरब 40 करोड़ है, जो दुनिया में सबसे ज्यादा है। कुछ दशक पहले तक चीन की लगातार बढ़ रही आबादी उसके लिए चिंता का सबब बनी हुई थी। इसे नियंत्रित करने के लिए चीन ने वर्ष 1979 में एक बच्चे की नीति बना दी थी। इसके तहत कपल को केवल एक ही बच्चा पैदा करने की अनुमति थी। कुछ साल पहले चीन को एहसास हुआ कि देश में बुजुर्गों की संख्या बढ़ती जा रही है, उसके अनुपात में युवाओं की जनसंख्या काफी कम हो रही है। लिहाजा वर्ष 2016 में चीन ने एक बच्चे की नीति को निरस्त कर दो बच्चों की नीति बना दी। मतलब चीन में अब एक कपल दो बच्चे पैदा कर सकता है।

दो बच्चे पैदा नहीं करना चाहते चीनी नागरिक
अमेरिका के रहने वाले रिसर्चर और विद्वान यी फुक्शियन का कहना है कि दो बच्चों की नीति बनाने के बाद भी वर्ष 2018 में चीन में जन्मदर 25 लाख प्रति साल कम हो गई है, जबकि नई नीती में हर साल करीब 7,90,000 बच्चे ज्यादा पैदा होने की उम्मीद थी। इसकी वजह ये है कि चीन में लोग अब दो बच्चे पैदा करना ही नहीं चाहते। इसकी वजह वहां की महंगी शिक्षा, मेडिकल सुविधाएं और घर के अन्य खर्च हैं। ऐसे में लोग अच्छी परवरिश करने के लिए एक ही बच्चा पैदा कर रहे हैं। ऐसे में विशेषज्ञ इस बात की भी आशंका जता रहे हैं कि चीन में घटती आबादी के इस ट्रेंड को अब शायद बदला ना जा सके, क्योंकि चीन में बच्चा पैदा करने की सही उम्र की महिलाओं की संख्या में भी काफी कमी आयी है।

बीते वर्ष 12.70 लाख घटी चीनी आबादी
रिसर्चर यी फुक्शियन के आंकड़ों के मुताबिक साल 2018 में चीन में लगभग एक करोड़ 15 लाख लोगों की मौत हुई थी। इससे पिछले वर्ष उनकी आबादी 12.70 लाख घट गई है। विशेषज्ञों के अनुसार 70 साल पहले वर्ष 1949 में चीन बनने के बाद ये पहली बार हुआ है, जब देश की आबादी घटी है।

विशेषज्ञों का सुझाव
विशेषज्ञों ने चीन सरकार को भविष्य के इस खतरे के प्रति आगाह करते हुए चेतावनी दी है कि सरकार दो बच्चों की नीति को खत्म करे। इसकी जगह सरकार को अच्छी मैटरनिटी लीव और बच्चों के माता-पिता को टैक्स ब्रेक जैसी राहत देनी चाहिए। अगर सरकार ने जल्द आवश्यक कदम नहीं उठाए तो चीन में बुजुर्ग आबादी की समस्या जापान से भी गंभीर हो जाएगी। इससे देश की अर्थव्यवस्था को तगड़ा झटका लगेगा। बुजुर्गों की आबादी बढ़ने से पेंशन और हेल्थकेयर सिस्टम पर दबाव बढ़ेगा।

मजबूत है भारत की स्थिति
चीन को आगाह करने वाले रिसर्चर यी फुक्शियन का मानना है कि आबादी के मामले में भारत की स्थिति चीन से मजबूत है। इसकी वजह भारत में सबसे ज्यादा युवा आबादी का होना है। फुक्शियन का मानना है कि इसी युवा जनसंख्या की बदौलत चीन की जगह भारत भविष्य में अमेरिकन अर्थव्यवस्था को टेकओवर करेगा। भारत के लिए ये अच्छा संकेत है।

दो माह पहले ही मिले थे संकेत
चीन में घटती आबादी बड़ी समस्या बनने वाली है, इसके संकेत करीब दो माह पहले ही मिलने लगे थे। चीन की सरकारी एजेंसी शिन्हुआ ने नवंबर 2018 में राजधानी बीजिंग में जनसंख्या दर की रिपोर्ट पेश की थी। इसमें बताया गया था कि 20 साल में पहली बार वर्ष 2017 के दौरान राजधानी की जनसंख्या में कमी दर्ज की गई है। 2017 में बीजिंग में स्थाई निवासियों की संख्या लगभग 2.17 करोड़ थी, जो वर्ष 2016 की जनसंख्या से 22,000 कम थी। वहीं बीजिंग के छह शहरी जिलों में 2016 के मुकाबले 2017 में तीन फीसद आबादी घटी थी।

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