चीन के स्पाई शिप युआन वांग 5 की अगली मंजिल है Jiangyin, भारत की सुरक्षा के लिए बन सकता था खतरा
चीन की नाराजगी और कड़ी निगरानी के बाद उसका जासूसी जहाज युआन वांग 5 (Chinese spy ship Yuan Wang 5) श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह को छोड़कर चला गया है। अब ये Jiangyin जाएगा जहां से ये जुलाई के मध्य में चला था।
By Kamal VermaEdited By: Updated: Tue, 23 Aug 2022 02:07 PM (IST)
वाशिंगटन (एजेंसी)। चीन का रिसर्च शिप Yuan Wang 5 श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह से चला गया है। इस जासूसी जहाज की इस बंदरगाह पर मौजूदगी से भारत ने कड़ी नाराजगी जताई थी। इसकी वजह थी कि ये जहां बैलेस्टिक मिसाइल समेत सैटेलाइट को भी ट्रैक कर सकता था। इसके अलावा भारत की इस जहाज की यहां पर मौजूदगी को लेकर सबसे बड़ी चिंता ये थी कि ये यहां पर रहकर भारत की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकता था। लेकिन अब फिलहाल ये चिंता दूर हो गई है।
श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पर करीब एक सप्ताह रुकने के बाद ये जहाज अपनी दूसरी मंजिल की तरफ बढ़ निकला है। आपको बता दें कि इस स्पाई शिप से एक वर्ष 2014 में एक जासूसी पनडुब्बी ने इसी बंदरगाह पर लंगर डाला था। ये भी कहा जाता है कि इस पनडुब्बी को यहां पर आने की इजाजत देने के बदल श्रीलंका को कई तरह के लाभ का लालच दिया गया था। श्रीलंका ने इस स्पाई शिप को इस शर्त पर बंदरगाह में आने की मंजूरी थी कि ये किसी तरह की रिसर्च श्रीलंका की समुद्री सीमा के अंदर नहीं करेगा। हालांकि भारत ने इसको मंजूरी दिए जाने पर कड़ी नाराजगी जताई थी। भारत के अलावा अमेरिका ने भी इस जहाज की यहां पर मौजूदगी को लेकर चिंता जाहिर की थी। अमेरिका का कहना था कि इस जहाज की यहांं पर मौजूदगी भारत और श्रीलंका की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकती है। इसको बंदरगाह पर आने की इजाजत देने से पहले श्रीलंका ने इसको मंजूरी देने से इनकार कर दिया था। हालांकि बाद में उसने इस मुद्दे पर यूटर्न लिया था।
हंबनटोटा के अधिकारी ने एएफपी को बताया कि उनके अधिकारी इस जहाज पर मौजूद हैं और ये शिप बंदरगाह को छोड़ रहा है। अधिकारी के मुताबिक इस जहाज को टग बोट के जरिए बंदरगाह से दूर किया जा रहा है। अधिकारी का ये भी कहना है कि इस जहाज की दूसरी मंजिल अब चीन का Jiangyin है। इस जहाज पर 400 कर्मी मौजूद हैं। ये जहाज जुलाई के मध्य में इसी जगह से चला था। पिछले सप्ताह जब ये जहाज बंदरगाह पर आया था तब श्रीलंका में मौजूद चीन के राजदूत ने कहा था कि पोर्टकाल दोनों देशों के बीच सामान्य व्यवहार के तहत की जाती है। इसके हंबनटोटा पर आने के बाद किसी तरह का कोई समारोह नहीं किया गया था।
आपको बता दें कि वर्ष 2017 के बाद से श्रीलंका के इस बंदरगाह को चीन की कंपनी को 99 वर्ष की लीज पर 1.12 अरब डालर के तहत दिया गया है। इस बंदरगाह को बनाने के लिए श्रीलंका ने चीन की कंपनी को 1.4 अरब डालर की राशि चुकाई थी। भारत का मानना है कि चीन श्रीलंका के जरिए हिंद महासागर में अपनी पैंठ बनाने की कोशिश कर रहा है।