चीन कोरोना महामारी की शुरुआत से अब तक इससे पूरी तरह से उबर नहीं सका है।एक बार फिर कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। चीन में तीन महीनों में सबसे ज्यादा कोरोना के मामाले सामने आए हैं।कोरोना के चलते चीन ने पांच जिलों में लाकडाउन लगा दिया है।
By AgencyEdited By: Babli KumariUpdated: Sun, 16 Oct 2022 09:05 AM (IST)
बीजिंग,एजेंसी। चीन में कोरोना के मामले एक बार फिर तेजी से बढ़ने लगे हैं। कोरोना के बढ़ते केसों को देखते हुए चीन के कई प्रांतों में सख्त पांबदियां लागू कर दी गई है। नई ट्रैवल गाइडलाइन भी जारी की गई है। इस बीच अधिकारियों ने रविवार को बताया कि चीन में 15 अक्टूबर की तुलना में कम मामले देखे गए।
पिछले दिन 1,364 मामलों की तुलना में 15 अक्टूबर को 1,026 नए कोरोना के मामले दर्ज किए गए है।
बिना लक्षण वाले मामलों से टेंशन में चीन
चीन में लक्षण वाले और बिना लक्षण वाले दोनों तरह के मामलों में इजाफा हो रहा है। नेशनल हेल्थ कमीशन ने अपनी दैनिक रिपोर्ट में बताया कि 244 मरीजों में कोरोना के लक्षण पाए गए है वहीं 782 मरीजों में कोरोना के कोई भी लक्षण नहीं दिखे है।
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सार्वजनिक स्थानों पर कोरोना की निगेटिव रिपोर्ट देना अनिवार्य
दुनिया भर के देश जहां कोरोना और लाकडाउन से आगे बढ़ चुके हैं। वहीं, चीन एक बार फिर अपनी जीरो कोरोना पालिसी को लेकर सख्त हो गया है। सोमवार को कोरोना वायरस के प्रसार को देखते हुए नार्थ चीन के फेन्यांग शहर में भी कठोर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसके अलावा एक अन्य शहर होहोट में बाहर से आने वाले लोगों और वाहनों पर पाबंदी लगा दी गई है। चीन में सार्वजनिक पार्कों, शापिंग माल और सार्वजनिक स्थानों पर प्रवेश के लिए कोरोना की निगेटिव रिपोर्ट देना अनिवार्य कर दिया गया है। चीन के किसी भी सार्वजनिक स्थानों में प्रवेश के लिए 72 घंटे पहले कोरोना की निगेटिव रिपोर्ट होना अनिवार्य है।
राष्ट्रीय कांग्रेस के 20वें सम्मेलन के बीच कोरोना वायरस
खास बात यह है कि चीन में कोरोना वायरस का प्रसार ऐसे समय हो रहा है जब चीन में राष्ट्रीय कांग्रेस का 20वां सम्मेलन होने वाला है। राष्ट्रीय कांग्रेस का यह सम्मेलन पांच वर्ष मे होता है। यह चर्चा जोरो पर है कि इस सम्मेलन में चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग अपना कार्यकाल बढ़ाने का ऐलान कर सकते हैं। ऐसे में चीन में कोरोना के प्रसार ने चिंता में डाल दिया है। गौरतलब है कि जीरो कोविड नीति को लेकर चीन में विरोध होता रहा है। इस नीति के चलते यहां मल्टी नेशनल कंपनियों को भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है।
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