Covid Impact: तिब्बत में कोरोना वायरस बढ़ने से चीन को झटका, वार्षिक विकास लक्ष्यों पर पड़ा असर
तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र (TAR) में कोविड के मामलों में वृद्धि होने से चीनी अधिकारियों को बड़ा झटका लगा है। यहां कोविड मामले बढ़ने से वार्षिक विकास लक्ष्यों को पूरा नहीं किया जा सका है। इसका प्रभाव पहले से ही धीमी चीनी अर्थव्यवस्था पर देखा जा रहा है। (फाइल फोटो)
By AgencyEdited By: Devshanker ChovdharyUpdated: Sat, 15 Oct 2022 07:40 PM (IST)
बीजिंग, एएनआइ। तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र (TAR) में कोविड के मामलों में वृद्धि होने से चीनी अधिकारियों को बड़ा झटका लगा है। यहां कोविड मामले बढ़ने से वार्षिक विकास लक्ष्यों को पूरा नहीं किया जा सका है। कोविड मामलों में वृद्धि का प्रभाव पहले से ही धीमी चीनी अर्थव्यवस्था पर देखा जा रहा है। Financial Post ने बताया कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग की सख्त जीरो कोविड नीति ने TAR के प्रमुख शहरों को बड़े पैमाने पर परीक्षण करने के लिए मजबूर किया है। जिससे अधिकारियों ने इनडोर मनोरंजन, सांस्कृतिक और खेल स्थलों को बंद कर दिया है।
तिब्बत के कई इलाकों में लाकडाउन
इसके अलावा, TAR के अधिकारियों ने ल्हासा, शिगात्से, शन्नान, नागरी, नागचू, न्यिंगची और चमडो सहित अन्य क्षेत्र के प्रमुख शहरों में लाकडाउन लगा दिया है। इस कारण से पर्यटन पर प्रभाव पड़ा और राजस्व घटता गया। हालांकि, तिब्बत में कोविड-19 मामलों में वृद्धि मुख्य रूप से चीन से आने वाले पर्यटकों के कारण हुई है। इससे चीनी अर्थव्यवस्था में मंदी, बेरोजगारी और धीमा विनिर्माण देखा गया है।
चीन के विकास लक्ष्यों पर कोरोना का असर
इसी बीच, तिब्बत के अंदर लोगों के खिलाफ हो रहे अत्याचार चीनी सोशल मीडिया प्लेटफार्म-वीबो, वीचैट, टिकटाक और अन्य डिजिटल ऐप्स पर चीनी पुलिस और अन्य अधिकारियों के बर्बरता को दर्शाता है। चीनी शहरों और TAR के कई क्षेत्रों में कोविड के मामलों में वृद्धि के कारण चीन ने आधिकारिक विकास लक्ष्यों को छोड़ दिया है, क्योंकि संपत्ति क्षेत्र के राजस्व में 2022 में 31.4 प्रतिशत की गिरावट आई है, जिससे जीडीपी पर दबाव पड़ा है।
तिब्बत में चीनी नियमों का कहर
चीन के कोविड कुप्रबंधन और उसकी तथाकथित 'जीरो कोविड नीति' के तहत कड़े कदमों ने तिब्बत में कहर बरपा रखा है। चीन दुनिया में COVID-19 के प्रकोप के केंद्र में था। पिछले 2 वर्षों में पूरे देश में लाखों लोगों की मौत हुई हैं। लेकिन जब पूरा चीन और दुनिया के कई हिस्से कोरोना वायरस संकट से जूझ रहे थे, तब तिब्बत में महामारी की शुरुआत में केवल एक मामला सामने आया था।
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