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राष्‍ट्रपति शी की तानाशाही से पार्टी में खुश नहीं हैं कई नेता, CPC में दिखाई दिए बगावत के साफ संकेत

चीन की सत्‍तारूढ़ पार्टी सीपीसी की बैठक के अंतिम दिन पार्टी की अंदरुणी कलह खुलकर सामने आ गई। इसके बाद पूर्व राष्‍ट्रपति और मौजूदा पीएम को इस बैठक से बाहर करने में कोई देरी भी नहीं की गई।

By Kamal VermaEdited By: Updated: Sat, 22 Oct 2022 02:15 PM (IST)
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सीपीसी की बैठक में दिखाई दिया शी के खिलाफ विद्रोह

नई दिल्‍ली (आनलाइन डेस्‍क)। चीन की कम्‍यूनिस्‍ट पार्टी की बैठक के अंतिम दिन जो सियासी उठापठक दिखाई दी है उसके मायने काफी अलग लगाए जा रहे हैं। इससे पहले इस तरह की बैठक में इस तरह की चीजें देखने को नहीं मिली हैं। यही वजह है कि जानकार इसको अचानक हो जाने वाली घटना नहीं मान रहे हैं। सत्‍तारूढ़ पार्टी की बैठक के समापन समारोह में जिस तरह ससे पूर्व राष्‍ट्रपति हू जिंताओ और मौजूदा पीएम ली किकयांग को बाहर का रास्‍ता दिखाया गया वो कहीं न कहीं राष्‍ट्रपति शी चिनफिंग के उस रवैये को दिखाता है जिसके लिए वह जाने भी जाते हैं। ली को कम्‍यूनिस्‍ट पार्टी आफ चाइना के पोलिट ब्‍यूरो से भी बाहर का रास्‍ता दिखा दिया गया है। हालांकि, ये पहले से ही तय माना जा रहा था।

सीपीसी में सब कुछ ठीक नहीं 

जानकारों की मानें तो इस बैठक के अंतिम दिन जो कुछ दिखाई दिया है वो इस बात का संकेत दे रहा है कि कम्‍यूनिस्‍ट पार्टी आफ चाइना के अंदर सब कुछ वैसा नहीं है जैसा सामने से दिखाई दे रहा है। जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर एचएस भास्‍कर का कहना है कि राष्‍ट्रपति शी चिनफिंग की जो तानाशाही बाहरी मुल्‍कों में दिखाई देती है वहीं तानाशाही पार्टी के अंदर भी है। हू जिंताओं, जिन्‍हें इस बैठक से जबरन निकाला गया, उनके बाद ही शी ने देश की कमान संभाली थी। प्रोफेसर भास्‍कर की मानें तो राष्‍ट्रपति शी चिनफिंग ने जिस तरह से वर्ष 2018 में खुद को आजीवन राष्‍ट्रपति बने रहने के लिए संविधान में संशोधन किया उससे पार्टी के अंदर गुप-चुप तौर पर एक घमासान मचा हुआ है। इसको लेकर कई नेताओं में कड़ी नाराजगी है। यही घमासान इस बैठक में निकल कर सामने आ गया है।

शी के खिलाफ हैं कई नेता 

राष्‍ट्रपति शी चिनफिंग ने संविधान में जो बदलाव किए हैं वो मोटे तौर पर केवल राष्‍ट्रपति तक ही सीमित हैं। उसमें पीएम का कोई जिक्र नहीं है। इस वजह से पीएम ली किकयांग की नाराजगी बनी हुई है। राष्‍ट्रपति शी की ही तरह ली किकयांग भी चाहते हैं कि उन्‍हें अगले कार्यकाल के लिए पीएम बने रहने दिया जाए। लेकिन, राष्‍ट्रपति शी को ये मंजूर नहीं है। भास्‍कर के मुताबिक कम ही सही लेकिन देश के इन दोनों शीर्ष नेताओं के बीच जारी अलगाव को स्‍पष्‍ट रूप से देखा गया है। सीपीसी की बैठक में जो कुछ शनिवार को दिखाई दिया उसकी एक बड़ी वजह ये भी है कि मौजूदा समय में चीन कई तरह की समस्‍याओं से जूझ रहा है। कोरोना महामारी को लेकर बनाई गई सरकार की जीरो कोविड नीति ने देश की अर्थव्‍यवस्‍था को काफी नुकसान पहुंचाया है। वहीं विश्‍व में भी चीन का दूसरे देशों से अलगाव बढ़ा है।

शी की नीतियों से देश पर पड़ा बुरा असर 

मौजूदा समय की ही बात करें तो चीन पर कई तरह के प्रतिबंध लगने से विदेशी व्‍यापार और निवेश प्रभावित हुआ है। लोगों की नौकरियां छिन गई हैं और महंगाई लगातार बढ़ती जा रही है। दूसरी तरफ राष्‍ट्रपति शी ताइवान समेत अमेरिका के मुद्दों पर उलझे हुए हैं। प्रोफेसर भास्‍कर का कहना है कि देश की अंदरुणी हालत सही नहीं है। ली और हू समेत कुछ दूसरे नेता चाहते हैं कि राष्‍ट्रपति शी अपनी विदेश नीति में परिवर्तन लाएं, जो उन्‍हें मंजूर नहीं है। राष्‍ट्रपति शी के मौजूदा कार्यकाल में पीएम ली किकयांग की मीडिया में मौजूदगी न के ही बराबर रही है। ये इस बात का संकेत है कि पार्टी में सब ठीक नहीं है। भास्‍कर का ये भी कहना है कि आने वाले दिनों में पार्टी और देश की राजनीति में कुछ और बड़ी चीजें दिखाई दे सकती हैं।  

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