चीन के शिनजियांग प्रांत में रोजा रखने पर प्रतिबंध, फौजी बूटों के साए में डरे सहमे हैं मुस्लिम
रमजान की शुरुआत होते ही मुस्लिम बहुल शिनजियांग प्रांत में सरकारी अधिकारियों छात्रों और बच्चों के रोजे रखने पर प्रतिबंध लगा दिया है।
By Arun Kumar SinghEdited By: Updated: Fri, 10 May 2019 08:39 AM (IST)
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। चीन के शिनजियांग प्रांत में मुसलमानों की पहचान खत्म की की जा रही है। वहां रहने वालों मुसलमानों के खिलाफ कड़े से कड़े प्रतिबंध लगाए जा रहे हैं। रमजान की शुरुआत होते ही मुस्लिम बहुल शिनजियांग प्रांत में सरकारी अधिकारियों, छात्रों और बच्चों के रोजे रखने पर प्रतिबंध लगा दिया है। चीन की सरकारी वेबसाइट पर इस बारे में निर्देश जारी किया गया।
शिनजियांग प्रांत में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के कैडर इस प्रतिबंध को लागू करने में जुटे हैं। यहां तक कि चीन का सबसे प्रमुख दोस्त पाकिस्तान भी इस मुद्दे पर कुछ कहने के लिए तैयार नहीं है। जबकि कुछ समय पहले व्यापारिक समझौते के लिए पाकिस्तान के पीएम इमरान खान ने चीन की यात्रा की थी।चीन का दावा है कि शिनजियांग ओइगर ऑटोनॉमस रीजन (एक्सयूएआर) में सामाजिक स्थिरता बरकरार रखने के लिए ऐसा कर रहे हैं। हयूमन राइट्स वाच (एचआरडब्लू) की इसी हफ्ते जारी की गई रिपोर्ट में इस बारे में दावा किया गया है। संयुक्त राष्ट्र की नस्ली भेदभाव उन्मूलन समिति ने उइगर मुस्लिमों के साथ किए जा रहे इस व्यवहार पर गंभीर चिंता व्यक्त की है।
उइगर मुस्लिमों पर रखी जा रही है कड़ी नजर, किया जा रहा उत्पीड़न
रिपोर्ट में कहा गया है कि रि-एजुकेशनल कैंपों में दौरों के बीच अधिकारी मुसलमानों से उनकी जिंदगी और राजनीतिक विचारों के बारे में पूछताछ करते हैं। एक तरह से वे उनका राजनीतिक शुद्धीकरण करना चाहते हैं। एचआरडब्लू की रिसर्चर माया बैंग ने बताया कि शिनजियांग में रहने वाले मुस्लिम परिवार अपने ही घर में कड़ी निगरानी में रहने को मजबूर हैं। यहां तक कि वे क्या खाते हैं और कब सोते हैं, इस बारे में भी सीपीसी को खबर रहती है।संयुक्त राष्ट्र की निगरानी समूहों का कहना है कि उइगरों मुस्लिमों को चौकसी और सुरक्षा अभियानों के बहाने निशाना बनाया गया है। हजारों उइगर मुस्लिमों को हिरासत में रखा गया है और उन्हें विचारधारा बदलने वाले केंद्रों में भेज दिया गया है। विदेशों से शिनजियांग प्रांत में लौटने वाले सैकड़ों उइगर छात्र गायब हो गए हैं। उनमें से कई हिरासत में हैं और कई हिरासत में मर भी चुके हैं।
कट्टरता विरोधी शिविरों में रखा जाता है कैद
संयुक्त राष्ट्र की निगरानी समिति के एक अनुमान के मुताबिक है कि 10 लाख से ज्यादा लोगों को तथाकथित कट्टरता विरोधी शिविरों में कैद करके रखा गया है और अन्य 20 लाख को राजनीतिक और सांस्कृतिक विचारधारा बदलने वाले तथाकथित पुनर्शिक्षण शिविरों में जबरन भेजा गया है।चीन में मुसलमानों को सूअर खाने को किया जाता है विवश शिनजियांग प्रांत की जेल में दो महीने कैद में समय बिताने वाले ओमिर बेकाली ने कहा कि चीन में चल रहे इन शिविरों का मुख्य उद्देश्य लोगों की धार्मिक सोच खत्म कर देना है। इस्लाम में सूअर खाने की सख्त मनाही है। चीन के इन शिविरों में मुसलमान को शुक्रवार के दिन सूअर खाने को विवश किया जाता है, जबकि यह दिन इस्लाम मानने वालों के लिए सबसे पवित्र है। नमाज अदा करने और दाढ़ी रखने पर हिरासत में किया जाता है बंद ओमिर ने बताया कि नमाज अदा करने और दाढ़ी बढ़ाने वालों को भी ये लोग कट्टरवादी कहकर हिरासत में बंद कर देते हैं। बंधकों को अपनी स्थानीय भाषा बोलने की भी आजादी नहीं है। कैदियों को स्टुडेंट कहकर बुलाने वाले अधिकारी सहित सारे लोग सिर्फ चीनी भाषा इस्तेमाल करते हैं। ओमिर उन गिने-चुने लोगों में से हैं जो चीन की इन शिविरों से अभी तक बाहर निकल पाए हैं। चीन में राष्ट्रपति शी चिनफिंग के नेतृत्व में उइगर मुस्लिम बहुल शिनजियांग प्रांत किसी छावनी में तब्दील कर दिया गया है। गली-चौराहों पर सख्त निगरानी के लिए कैमरे लगाए गए हैं। हर आने-जाने वाले पर नजर रखी जाती है। उइगर समुदाय का कहना है कि कम्युनिस्ट पार्टी ने उनके घरों के अंदर भी नजर रखनी शुरू कर दी है।जबरन लगवाए जाते हैं कम्युनिस्ट पार्टी के नारेएमनेस्टी और मानवाधिकार वाच समेत कई मानवधिकार संगठनों का दावा है कि इन शिविरों में जबरन चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग की वफादारी की कसम दिलवाई जाती है। विश्व उइगर कांग्रेस का कहना है कि शिविरों में बिना आरोप बंदी बनाकर रखा जाता है और जबरन कम्युनिस्ट पार्टी के नारे लगाने को कहा जाता है। हालांकि चीन ने इन आरोपों से इनकार किया है। लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप