Move to Jagran APP

India China Border News: पीएम मोदी के रुख से बौखलाया ड्रैगन, बयान जारी कर भारत पर मढ़ा पूरा दोष

India China Border News पीएम मोदी के बयान के बाद शनिवार सुबह चीन ने एक विस्तृत बयान जारी किया है। इसमें पूरे विवाद के लिए भारत को जिम्मेदार ठहराते हुए कई झूठे दावे किये गए हैं।

By Amit SinghEdited By: Updated: Sat, 20 Jun 2020 08:57 PM (IST)
India China Border News: पीएम मोदी के रुख से बौखलाया ड्रैगन, बयान जारी कर भारत पर मढ़ा पूरा दोष
नई दिल्ली [जयप्रकाश रंजन]। ‘ना तो कोई भारतीय सीमा में घुसा है और ना ही कोई भारतीय पोस्ट किसी के कब्जे में है।’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस बयान से ड्रैगन बौखला गया है। शुक्रवार को पीएम मोदी ने भारत-चीन सीमा विवाद और गलवन घाटी हिंसा को लेकर देश को संबोधित किया था। इसके बाद से चीन ने गलवन घाटी पर तेवर सख्त कर लिए हैं। चीन ने भी शनिवार (20 जून 2020) सुबह अप्रत्याशित तौर पर एक लंबा बयान जारी कर सारा दोष भारत पर मढ़ने का प्रयास किया है।

चीन ने एक बार फिर शनिवार सुबह जारी बयान में पूरी गलवन घाटी पर अपना दावा जताया है। इतना ही नहीं हाल में पूर्वी लद्दाख सीमा पर हुए विवाद के लिए भी पूरी तरह से भारत को ही दोषी ठहरा दिया है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिजियान झाओ ने सोशल मीडिया पर अपना बयान जारी किया है। चीनी प्रवक्ता ने ये दिखाने का प्रयास किया है कि भारत अपनी गलती मान गया है और वह अपने सैनिक पीछे कर रहा है। चीनी दावों के विपरीत सच्चाई ये है कि भारतीय सेनाओं ने चीन सीमा से लगे अग्रिम मोर्चों पर तैनाती बढ़ा दी है। प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को अपने बयान में स्पष्ट कर दिया है कि सेना को फैसले लेने के लिए पूरी छूट दी गई है। शुक्रवार को ही वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने भी लेह का दौरा कर तैयारियों का जायजा लिया था।

चीन के बेबुनियाद दावे और आरोप

चीनी प्रवक्ता ने झूठे दावे करते हुए लिखा है कि गलवन घाटी वास्तविक नियंत्रण रेखा के चीनी साइड में स्थित है। कई वर्षों से यहां पर चीन की सेना पेट्रोलिंग करती रही है। अप्रैल से भारतीय बार्डर सैन्य बलों ने वहां मनमाने तरीके से सड़क, पुल और दूसरी सुविधाओं का निर्माण शुरु किया। चीन ने कई मौकों पर इसका विरोध किया, लेकिन भारत ने इस पर ध्यान नहीं देते हुए एलएसी (LAC) के आगे तक निर्माण काम कर चीन को भड़काने की कोशिश की। 6 मई, 2020 को भारतीय सैन्य बलों ने एलएसी को क्रास किया। चीन के क्षेत्र में प्रवेश किया और बैरिकेड आदि का निर्माण शुरु कर दिया। भारतीय सैन्य बल जान बूझकर यथास्थिति को बदल रहे थे और सीमा नियंत्रण व प्रबंधन की जो व्यवस्था थी, उसे बिगाड़ने की कोशिश कर रहे थे। चीन ने अपनी तरफ से हालात को देखते हुए कदम उठाये। तनाव को दूर करने के लिए भारत व चीन के बीच सैन्य व डिप्लोमेटिक स्तर की बातचीत भी शुरु हुई। चीन के कड़ी मांग के जवाब में भारत एलएसी से अपने दल को वापस बुलाने के लिए तैयार हुआ और साथ ही निर्मित सभी ढांचाओं को भी तोड़ने को तैयार हो गया।

भारत पर उकसाने का लगाया आरोप

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता यहीं नहीं रुके, उन्होंने आगे दावा किया है कि 6 जून को फिर दोनों देशों के बीच बैठक हुई, जिसमें भारत ने यह वादा किया कि उसके सैनिक एलएसी और गलवन नदी को पार नहीं करेंगे और ना ही पेट्रोलिंग करेंगे। दोनों पक्षों के बीच यह भी सहमित बनी कि धीरे-धीरे अपने सैनिकों की चरणबद्ध तरीके से वापसी के लिए वे आधिकारिक स्तर पर बातचीत जारी रखेंगे। उन्होंने आगे कहा है कि भारतीय सैन्य बलों ने आश्चर्यजनक तौर पर 15 जून को कमांडर स्तर पर हुई बातचीत में बनी सहमति का उल्लंघन किया और एक बार फिर एलएसी को पार किया। जब गलवन घाटी में हालात सामान्य हो रहे थे तब भारत की तरफ से जान बूझ कर उकसाने के लिए ऐसा किया गया। भारतीय सेना ने चीन के सैन्य अधिकारियों व सैनिकों पर हिंसात्मक प्रहार किया जिससे झड़प हुई और जानें गई।

चीनी दावों की सच्चाई

चीनी प्रवक्ता के दावों के विपरीत सच्चाई ये है कि चीनी सेना पिछले करीब डेढ़ महीने से लगातार पूर्वी लद्दाख में बार्डर प्रोटोकॉल का उल्लंघन कर रही हैं। चीनी सेनाएं न केवल प्रतिबंधित क्षेत्र में लगातार गश्त कर रही हैं, बल्कि टेंट लगाकर अपनी अस्थाई पोस्ट भी बना दी। भारतीय जमीन को कब्जाने की ड्रैगन की ये कोई पहली कोशिश नहीं है। चीन कभी डोकलाम में तो कभी भारत से लगी अन्य सीमाओं पर अक्सर ऐसी कोशिशें करता रहता है।

यह भी पढ़ें -

India China Border News: सीमा विवाद जानने के लिए समझें LOC, LAC व इंटरनेशनल बार्डर का अंतर