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सामने आया चीन का तवांग प्लान, जानें- भारत को क्यों रहना होगा सजग

चीन की कोशिश है कि पूरे अरुणाचल पर अगर वो अपना दावा न भी कर सके तो कम से कम तवांग पर अपवा दावा ठोक सके।

By Lalit RaiEdited By: Updated: Sat, 06 Jan 2018 06:45 PM (IST)
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सामने आया चीन का तवांग प्लान, जानें- भारत को क्यों रहना होगा सजग

नई दिल्ली [ स्पेशल डेस्क ]। चीन एक तरफ भारत के साथ आगे बढ़ने की बात करता है तो दूसरी तरफ वो खुद पंचशील के सिद्धांतों को धता बता देता है। चीन एक तरफ भारत के साथ सीमा विवाद सुलझाने के लिए पूर्व के कड़वे यादों से बाहर निकलने की बात करता है। लेकिन भारतीय इलाकों, खासतौर से अरुणाचल प्रदेश में घुसपैठ करने से गुरेज नहीं करता है।चीन कहता है दोनों देशों को एक दूसरे की संप्रभुता का ख्याल रखना चाहिए। लेकिन वो डोकलाम के जरिए भूटानी संप्रभुता पर हमला करता है। हाल ही में चीन बुलडोजर के साथ भारतीय सीमा में दाखिल हुआ। आखिर सवाल ये है कि चीन ये सब क्यों कर रहा है। इसे जानने और समझने से पहले हम आपको बताएंगे कि अब भारतीय सीमा में चीन को स्थाई निर्माण में रुचि क्यों है। 

LAC पर स्थाई निर्माण में चीन को रुचि
भारत-चीन से लगी 4057 किमी लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन लगातार बदलाव की कोशिश कर रहा है। हाल ही में अरुणाचल में जिस अंदाज में चीनी सेना बुलडोजर के साथ प्रवेश की थी, उसका मतलब ये है कि अब चीन विवादित इलाकों में अस्थायी निर्माण की जगह स्थायी निर्माण में ज्यादा रुचि है। चीन का ये कदम डोकलाम विवाद की याद दिलाता है जिसकी वजह से दोनों देशों की सेनाएं एक दूसरे के आमने-सामने आ गईं थीं और करीब 75 दिनों की टकराव के बाद मामला सुलझा था।

जानकार की राय

दैनिक जागरण से खास बातचीत में प्रोफेसर हर्ष वी पंत का कहना है कि चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा पर यथास्थिति में बदलाव की कोशिश कर रहा है। लिहाजा उसकी सेना भारतीय भूभाग में ज्यादा अंदर तक जाकर स्थायी निर्माण पर जोर दे रही है। इसके पीछे चीन की तचाल ये है कि जब आगे सीमा विवाद को लेकर बातचीत का दौर शुरू हो तो वो बता सके जमीन पर उसकी सेना उस इलाके में तैनात है। ऐसा करने से वो भारत को कह सकता है कि जमीनी हकीकत को आप कैसे नजरंदाज कर सकते हैं। शी चिनफिंग के दोबारा राष्ट्रपति चुने जाने के बाद ये पहला मौका था जब चीन की तरफ से अरुणाचल प्रदेश में घुसपैठ का मामला सामने आया ।

एक तरफ बातचीत, दूसरी तरफ घुसपैठ
चीन की तरफ से घुसपैठ का मामला तब सामने आया जब चीन के विदेश मंत्री यांग ची सीमा विवाद को सुलझाने के लिए 20वीं विशेष वार्ता में शामिल होने के लिए दिल्ली में थे। इस मामले में विदेशी मामलों के जानकारों का कहना है कि चाहे डोकलाम का मुद्दा हो या अरुणाचल प्रदेश का मामला हो चीन को इस बात से फर्क नहीं पड़ता है कि उसके सामने उसका दुश्मन कौन है। चीन की सिर्फ एक चाहत है कि किसी भी तरह डोकलाम और अरुणाचल के मुद्दे पर उसे कामयाबी हासिल हो।

भारतीय अधिकारियों का कहना है कि तवांग पर किसी तरह के समझौते का सवाल ही नहीं है। वहां भारतीयों की आबादी है, भारत सरकार पहले ही साफ कर चुकी है कि पूरा अरुणाचल प्रदेश, भारत का अखंड हिस्सा है। दरअसल चीन का तर्क है कि छठवें दलाई लामा सैंग्यांग ग्यात्सो का जन्म तवांग में हुआ था जिसकी वजह ये जगह तिब्बती लोगों के लिए धार्मिक और दिल के करीब है। इस लिहाज से भारत को छूट देनी तवांग के मुद्दे पर छूट देनी चाहिए। मौजूदा दलाई लामा तवांग के रास्ते ही 1950 में भारत आए थे। चीन के मुताबिक तिब्बत पर प्रभावी तौर नियंत्रण स्थापित करने के लिए तवांग और अरुणाचल प्रदेश पर कब्जा जरूरी है।


चीन पहले से मांग कर रहा है कि अगर भारत पूरे अरुणाचल को नहीं दे सकता है तो कम से कम तवांग को हस्तांतरित कर सकता है। चीन पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि तवांग के बिना भारत के साथ सीमा विवाद नहीं सुलझाया जा सकता है ये बात अलग है कि भारत सरकार का स्पष्ट मत है कि अरुणाचल प्रदेश के मुद्दे पर किसी तरह का समझौता नहीं हो सकता है।
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