चीन में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार को लेकर यूएन में चर्चा चाहते हैं अमेरिका समेत कई पश्चमी देश
राजनयिकों ने बताया कि शिनजियांग को लेकर इस पर प्रस्ताव के ड्राफ्ट पर मानवाधिकार परिषद के अगले सत्र 2023 की शुरुआत में चर्चा कराने का प्रयास है। यह ताइवान जैसे मुद्दों पर हाल के तनावों के मद्देनजर पश्चिम और बीजिंग के बीच नवीनतम भू-राजनीतिक मामला है।
By AgencyEdited By: Ashisha Singh RajputUpdated: Mon, 26 Sep 2022 07:33 PM (IST)
जेनेवा, रायटर। अमेरिका और उसके सहयोगी कई पश्चिमी देशों ने सोमवार को संयुक्त राष्ट्र के मुख्य मानवाधिकार निकाय के समक्ष चीन के शिनजियांग प्रांत में उइगर और अन्य मुस्लिम अल्पसंख्यकों के अधिकारों के हनन पर एक विशेष बहस आयोजित करने की मांग को लेकर एक मसौदा पेश किया। परिषद में प्रस्ताव पास कराने के लिए बहुमत की आवश्यकता है।
नवीनतम भू-राजनीतिक मामला
प्रस्ताव का मसौदा पेश करने वाले कोर ग्रुप के सदस्य देशों में अमेरिका के साथ ब्रिटेन, कनाडा, डेनमार्क, फिनलैंड, आइसलैंड, नार्वे और स्वीडेन शामिल हैं। राजनयिकों ने बताया कि शिनजियांग को लेकर इस पर प्रस्ताव के ड्राफ्ट पर मानवाधिकार परिषद के अगले सत्र 2023 की शुरुआत में चर्चा कराने का प्रयास है। यह ताइवान जैसे मुद्दों पर हाल के तनावों के मद्देनजर पश्चिम और बीजिंग के बीच नवीनतम भू-राजनीतिक मामला है।
अगर इस ड्राफ्ट को मंजूरी मिलती है तो यह पहली बार होगा जब मानवाधिकार परिषद के समक्ष यह एजेंडा औपचारिक रूप से रखा जाएगा। चीन के मानवाधिकार हनन को लेकर परिषद बंटा हुआ है। जेनेवा स्थित 47 सदस्यीय परिषद में राजनयिकों का प्रयास है कि सात अक्टूबर को परिषद के मौजूदा सत्र के समापन होने से पहले पश्चिमी देशों का ज्यादा से ज्यादा समर्थन जुटा लिया जाए।
वहीं बीते सप्ताह अटलांटिक काउंसिल एंड ह्यूमन राइटवाच द्वारा आयोजित फोरम पर चर्चा के दौरान संयुक्त राष्ट्र में अल्पसंख्यक अधिकारों के संपर्ककर्ता फर्नांड वरेनेस ने कहा था कि चीन में मानवाधिकारों के उल्लंघन को लेकर निष्क्रियता अब ज्यादा संभव नहीं है। अगर हमने इस मामले को बिना कार्रवाई के छोड़ दिया तो क्या संदेश जाएगा। इसी तरह संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका के उप राजदूत जेफरी प्रेसकोट ने कहा कि अगर इस मामले पर कुछ निर्णय न हुआ, तो इस अंतरराष्ट्रीय संस्था की गरिमा पर ठेस पहुंचेगा।