Move to Jagran APP

भारत को घेरने के लिए ड्रैगन ने उठाया ये कदम, जानें क्‍या है चीन की बड़ी रणनीति

चीन जिस तरह से लगातार बंगाल की खाड़ी और हिंद महासागर में अपनी स्थिति को निरंतर सुदृढ़ कर रहा है, उससे भारत का चिंतित होना लाजमी है।

By Ramesh MishraEdited By: Updated: Sun, 11 Nov 2018 11:19 AM (IST)
Hero Image
भारत को घेरने के लिए ड्रैगन ने उठाया ये कदम, जानें क्‍या है चीन की बड़ी रणनीति
नई दिल्‍ली [ जागरण स्‍पेशल ]। म्‍यांमार में बंदरगाह बनाए जाने की चीनी योजना के बाद भारत के कान खड़े हो गए हैं। चीन का यह समुद्री विस्‍तार बेवजह नहीं है। यह उसकी सामरिक और आर्थिक नीतियों का अहम हिस्‍सा है। चीन जिस तरह से लगातार बंगाल की खाड़ी और हिंद महासागर में अपनी स्थिति को निरंतर सुदृढ़ कर रहा है, उससे भारत का चिंतित होना लाजमी है। चीन अपना नया बंदरगाह भारत के पड़ोसी देश म्यांमार के क्याकप्यू शहर में बनाएगा। आइए हम आपको बताते हैं चीन के इस योजना का क्‍या है लक्ष्‍य। यह चीनी योजना भारत के हितों को कैसे करेगा प्रभावित। इस योजना के पीछ क्‍या है चीनी मंशा। आदि-आदि।

ड्रैगन की हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी पर नजर

दरअसल, चीन अपनी महत्वाकांक्षी बेल्ट ऐंड रोड प्रोजेक्ट के तहत हिंद महासागर में अपनी मौजूदगी को मज़बूत बनाने के लिए बंदरगाहों का निर्माण कर रहा है। भारत के लिए म्‍यांमार का ये बंदरगाह चिंता का सबब है, क्योंकि इसके पूर्व चीन ने भारत के पड़ोसी मुल्‍कों में दो बंदरगाह और बना चुका है। बांग्लादेश के चटगांव में भी एक बंदरगाह है, जिसे चीन की तरफ़ से आर्थिक मदद मुहैया हो रही है। बता दें कि बेल्ट ऐंड रोड प्रोजेक्ट के तहत म्यांमार के बंदरगाह के लिए पेइचिंग और म्यांमार के बीच एक करार पर हस्‍ताक्षर किए गए हैं। चीन का यह नया बंदरगाह म्‍यांमार के क्याकप्यू शहर में है। यह बंगाल की खाड़ी से सटा हुआ इलाका है। चीन पहले से ही पाकिस्तान में ग्वादर बंदरगाह बना रहा है। इसके अलावा श्रीलंका में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हंबनटोटा बंदरगाह पर 99 साल की लीज पर चीन के पास है।

क्‍या है चीन का बेल्ट ऐंड रोड प्रोजेक्ट

चीन की 'बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट' का अहम मकसद सामरिक हितों के साथ मध्‍य एशिया और यूरोप में अपने व्‍यापार का बढ़ावा देना है। इस प्रोजेक्‍ट के माध्‍यम से चीन रेलवे, बंदरगाहों, हाइवे और पाइपलाइन का विस्‍तार कर रहा है। इस वन बेल्ट वन रोड के दो मार्ग होंगे। पहला, जमीनी मार्ग चीन को मध्य एशिया के जरिए यूरोप से जोड़ेगा। इसे पूर्व में सिल्क रोड भी कहा जाता था। इस प्रोजेक्‍ट का दूसरा मार्ग चीन को दक्षिण पूर्व एशिया और पूर्वी अफ्रीका होते हुए यूरोप से जोड़ेगा। इसे मैरिटाइम सिल्क रोड कहा जा रहा है। दरअसल, वर्ष 2000 में चीन ने अन्‍य मुल्‍कों से व्‍यापार के लिए इस सिल्क रोड को निर्मित एवं विकसित किया था। इसके तहत चीन को सेंट्रल एशिया और अरब से जोड़ने वाले ट्रेड रूट बनाए गए थे।

आखिर क्‍या है भारत की चिंता

भारत शुरू से ही अंतरराष्‍ट्रीय मंचों पर इस चीनी योजना पर अपनी आपत्ति उठा चुका है। भारत का दावा है कि चीन की यह योजना अंतरराष्‍ट्रीय कानूनों के खिलाफ है। दूसरे, इससे भारत की संप्रभुता के साथ सामरिक संकट भी उत्‍पन्‍न होगा। दरअसल, चीन-पाकिस्‍तान आर्थिक कॉरिडोर चीन के वन बेल्ट वन रोड प्रॉजेक्ट का एक अहम हिस्सा है। यह प्रॉजेक्ट पाकिस्तान के कब्जे वाले भारतीय इलाके गिलगित व बाल्टिस्तान से गुजरेगा। पाकिस्‍तान के कब्‍जे वाला गिलगित-बाल्टिस्तान भारत का हिस्सा है। यह जम्मू-कश्मीर के अंदर आता है। एक अंतरराष्‍ट्रीय करार के तहत पाकिस्‍तान बिना भारत की सहमति के इस इलाके में कोई द्विपक्षीय प्रॉजेक्ट बनाना अंतरराष्‍ट्रीय कानूनाें का उल्‍लंघन है। 

चीन काे क्‍या होगा लाभ

चीन की इस महत्‍वाकांक्षी योजना का लक्ष्‍य केवल उसके आर्थिक लाभों तक सीमित नहीं है। चीन की नजर दक्षिण एशिया के शक्ति संतुलन काे खत्‍म करना और यहां अमेरिकी प्रभुत्‍व को तोड़ना भी है। हिंद महासागर में चीनी दखल से भारत के सामरिक हितों और सुरक्षा को खतरा उत्‍पन्‍न होगा। हिंद महासागर में चीन की दिलचस्‍पी कई खतरों की ओर संकेत कर रही है। इससे दक्षिण एशिया के शक्ति संतुलन में अस्थिरता आएगी। चीन जिस तरह से पाकिस्‍तान को साम‍रिक मदद कर रहा है वह भविष्‍य में भारत के लिए खतरनाक है। इसके अलावा इस प्रोजेक्‍ट के जरिए चीन एशियाई मुल्‍कों एवं यूराेप में अपने इस्‍पात और अन्‍य निर्माण सामग्री के लिए नए बाजार बना सकेगा। इसके जरिए वह एशिया और यूरोप के कई मुल्‍काें में आसानी से व्‍यापार कर सकेगा। इस तरह से वह एशिया में भारत के लिए नहीं बल्कि अमेरिकी व्‍यापार के लिए भी नई चुनौती पेश करेगा। चीन का मकसद यूरोप एंव एशिया में अपने व्‍यापार के विस्‍तार पर टिकी है।

म्यांमार के क्याकप्यू शहर चीन का नया ठिकाना

चीन अपना नया बंदरगाह भारत के पड़ोसी देश म्यांमार के क्याकप्यू शहर में बनाएगा। यह बंगाल की खाड़ी से सटा हुआ है। इस बाबत चीन और म्यांमार ने क्याकप्यू शहर में गहरे जल का समुद्री बंदरगाह बनाने के करार पर हस्ताक्षर किए हैं। चीन की सरकारी कंपनी सिटिक ग्रुप की अगुवाई में कंपनियों के एक समूह ने म्यांमार की राजधानी ने-प्सी-ताव में क्याकप्यू विशेष आर्थिक क्षेत्र प्रबंधन समिति के साथ इस पर हस्ताक्षर किए। इस करार के तहत चीन कुल खर्च का 70 प्रतिशत देगा, जबकि म्यांमार शेष 30 फीसद खर्च उठाएगा। परियोजना के शुरुआती चरण में 1.3 अरब डॉलर के निवेश से बनने वाला दो गोदी शामिल है। बंदरगाह के निर्माण और परिचालन के लिए संयुक्त उपक्रम बनाया जाएगा।