'ट्रंप टैरिफ' का अब निकलेगा असली तोड़! जापान में मेगा डील के बाद चीन पहुंचे पीएम मोदी; क्यों खास है यात्रा?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी जापान यात्रा पूरी कर ली है और अब वे एससीओ शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन पहुंच चुके हैं। यह यात्रा ऐसे समय पर हो रही है जब अमेरिका ने भारत और चीन पर टैरिफ लगाए हैं। माना जा रहा है कि पीएम मोदी की यह यात्रा भारत और चीन के बीच संबंधों को सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी जापान की दो दिवसीय यात्रा को पूरा कर लिया है। इसके बाद वह एससीओ शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए चीन पहुंच चुके हैं। पीएम मोदी की ये यात्रा बेहद अहम मानी जा रही है।
दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ने जापन और चीन की यात्रा ऐसे समय पर हो रही है, जब ट्रंप ने चीन और भारत पर टैरिफ बम फोड़ा है। भारी टैरिफ के कारण भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक रिश्तों में तनाव आ गया है। इस बीच माना जा रहा है कि पीएम मोदी की ये यात्रा भारत और चीन के बीच संबंध सुधारने के लिए मील का पत्थर साबित हो सकती है।
एससीओ शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे
31 अगस्त और 1 सितंबर को चीन के तियानजिन शहर में आयोजित होने वाले एससीओ शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए पीएम मोदी चीन पहुंचेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस यात्रा पर पूरी दुनिया की नजर है। करीब 7 साल बाद पीएम मोदी चीन की यात्रा पर हैं।
जापान की यात्रा से मजबूत हुए दोनों देशों के रिश्ते
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अपनी दो दिवसीय जापान की यात्रा को पूरा कर लिया है। जापान की दो दिवसीय यात्रा के दौरान पीएम मोदी ने अपने समकक्ष शिगेरू इशिबा के साथ शिखर वार्ता की। इस दौरान दोनों देशों ने द्विपक्षीय संबंधों को और आगे बढ़ाने के महत्व पर जोर दिया। पीएम मोदी की इस यात्रा के दौरान भारत और जापान के बीच कई अहम समझौतों पर बात बनी।
ट्रंप के टैरिफ का तोड़ साबित होगी यात्रा?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भले भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया हो, लेकिन उनके इस फैसले को लेकर कई अमेरिकी दिग्गजों ने चिंता जाहिर की है।
अमेरिका के जाने-माने अर्थशास्त्री रिचर्ड वूल्फ ने चेताया है कि ट्रंप का ये फैसला गnत साबित होगा। उन्होंने सीधे कहा कि वैश्विक आर्थिक व्यवस्था में बड़ा बदलाव आ रहा है और अमेरिका के दबाव के बावजूद भारत का रूस से तेल खरीदारी जारी रखना यह दिखाता है कि शक्ति का संतुलन अब अमेरिका से हट कर ब्रिक्स देशों की ओर झुक रहा है। अमेरिका की टैरिफ नीति ब्रिक्स को मजबूत और एकजुट बना रही है।
भारत से रिश्ते सुधारने के लिए परेशान है चीन
गौरतलब है कि ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंपने चीन के साथ व्यापार युद्ध की शुरुआत की थी, उसी समय चीन भारत के साथ शांतिपूर्ण तरीके से अपना संबंध सुधारने की कोशिश में लग गया। इस संबंध में चीन की ओर से भारत को एक खत भी लिखा गया था।
वहीं माना जा रहा कि इस शिखर सम्मेलन के दौरान एससीओ के सभी देश एक संयुक्त घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर कर सकते हैं। वहीं, इसके अतिरिक्त सभी सदस्य देश एससीओ विकास रणनीतिक को मंजूरी देंगे, सुरक्षा और आर्थिक सहयोग को मजबूत करने के उपायों पर भी चर्चा करेंगे। माना जा रहा है कि इस घोषणा पत्र में अमेरिका की टैरिफ नीति को करारा जवाब दिया जा सकता है।
पीएम मोदी के स्वागत के लिए तैयार हैं चिनफिंग
बता दें कि ट्रंप के टैरिफ वॉर ने पूरी दुनिया के व्यापार क्षेत्र में उथल-पुथल मचा दिया है। ऐसे में एससीओ बैठक में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी और अन्य देश के कई दिग्गज शामिल होने के बाद अमेरिका की टेंशन बढ़ सकती है। (अलग-अलग समाचार एजेंसी के इनपुट के साथ)
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