तिब्बत में शी चिनफिंग का दमनचक्र, तिब्बितयों को चीनी भाषा लिखने और बोलने का निर्देश
तिब्बत पर आधिपत्य जमाने के बाद चीन चाहता है कि हर तरह के प्रयास करके तिब्बती समुदाय स्तरीय चीनी भाषा लिखे और बोले। साथ ही चीनी साम्राज्य के सांस्कृतिक प्रतीकों और छवियों को साझा करे। पढ़ें यह रिपोर्ट...
By Krishna Bihari SinghEdited By: Updated: Thu, 19 Aug 2021 05:29 PM (IST)
बीजिंग, एपी। तिब्बत पर आधिपत्य जमाने के बाद चीन चाहता है कि हर तरह के प्रयास करके तिब्बती समुदाय स्तरीय चीनी भाषा लिखे और बोले। साथ ही चीनी साम्राज्य के सांस्कृतिक प्रतीकों और छवियों को साझा करे। हिमालयी राज्य पर चीन के कब्जे के 70 साल पूरे होने पर चीन की सत्तारूढ़ कम्यूनिस्ट पार्टी की पोलित ब्यूरो की स्थायी समिति के सदस्य वांग वांग ने गुरुवार को तिब्बत की राजधानी ल्हासा में पोटाला पैलेस के बाहर मुट्ठी भर लोगों के सामने कहा कि उसे शांतिपूर्वक आजाद किया गया था।
परंपरागत बौद्ध संस्कृति वाले तिब्बत को लेकर वांग ने कहा कि तिब्बितयों को जनप्रतिनिधि निकायों में शामिल किया गया है। चीन ने तिब्बत में विदेशियों के प्रवेश को भी सीमित कर रखा है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 1959 में चीन के तिब्बत पर कब्जे के बाद तिब्बती धर्मगुरु दलाईलामा ने भारत में शरण ले ली थी। तब से तिब्बत चीनी दमन का शिकार है।
हाल ही में समाचार एजेंसी एएनआइ की एक रिपोर्ट आई थी जिसके मुताबिक चीन की सरकार तिब्बत में स्कूल जाने वाले छात्रों को सैन्य शिक्षा प्राप्त करने के लिए मजबूर कर रही है। चीन की शी चिनफिंग की सरकार सैन्य शिक्षा की आड़ में इन छात्रों को कम्युनिस्ट विचारधारा को अपनाए जाने के लिए बाध्य करने की योजना पर काम कर रही है। छात्रों को प्रशिक्षण शिविरों में भाग लेने के लिए भेजा जा रहा है।
रेडियो फ्री एशिया ने इस बारे में अपनी रिपोर्ट में कहा है कि चीन की तिब्बत में सांस्कृतिक संबंधों को कमजोर करने की साजिश का यह एक हिस्सा है। तिब्बत के इन बच्चों के पास अब गर्मियों और सर्दियों की छुट्टी में सैन्य प्रशिक्षण में शामिल होने के अलावा कोई विकल्प नहीं होने वाला है। सैन्य प्रशिक्षण के माध्यम से इन मासूमों का ब्रेनवाश किया जाएगा। मालूम हो कि पहले भी तिब्बत की सांस्कृतिक विरासत को खत्म करने के लिए चीन कई तरह की योजनाएं लाता रहा है।