Tibet: तिब्बत की स्वायत्तता की मांग पर बातचीत से चीन का इनकार, पर्दे की पीछे बातचीत को लेकर विदेश मंत्रालय ने दी ये प्रतिक्रिया
चीन ने शुक्रवार को कहा कि वह केवल दलाई लामा के प्रतिनिधियों से बात करेगा न कि भारत में स्थित निर्वासित तिब्बती सरकार के अधिकारियों से। साथ ही दलाई लामा की तिब्बत की स्वायत्तता की लंबे समय से लंबित मांग पर बातचीत से इनकार कर दिया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा कि चीन धर्मशाला स्थित निर्वासित तिब्बती सरकार को अलगाववादी गुट मानता है।
पीटीआई, बीजिंग। चीन ने शुक्रवार को कहा कि वह केवल दलाई लामा के प्रतिनिधियों से बात करेगा, न कि भारत में स्थित निर्वासित तिब्बती सरकार के अधिकारियों से। साथ ही दलाई लामा की तिब्बत की स्वायत्तता की लंबे समय से लंबित मांग पर बातचीत से इनकार कर दिया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन निर्वासित तिब्बती सरकार और चीनी सरकार के बीच पर्दे के पीछे बातचीत की रिपोर्टों पर प्रतिक्रिया दे रहे थे।
निर्वासित तिब्बती सरकार को चीन मानता है अलगाववादी गुट
वांग ने कहा कि चीन धर्मशाला स्थित निर्वासित तिब्बती सरकार को अलगाववादी गुट मानता है। यह पूरी तरह से चीनी संविधान और कानूनों के खिलाफ है। यह अवैध है। उन्होंने कहा कि किसी भी देश ने इसे मान्यता नहीं दी है। तिब्बत की निर्वासित सरकार के राजनीतिक प्रमुख पेन्पा त्सेरिंग ने गुरुवार को धर्मशाला में पत्रकारों के एक समूह से कहा था कि पिछले साल से हमारे बीच पर्दे के पीछे बातचीत चल रही है, लेकिन हमें तत्काल कोई अपेक्षा नहीं है। यह दीर्घकालिक मामला है।
सिर्फ 14वें दलाई लामा के प्रतिनिधियों से करेंगे बातचीतः चीन
वांग ने कहा कि चीनी सरकार के पास दलाई लामा के समूह के साथ संपर्क के लिए दो बुनियादी सिद्धांत हैं। पहला, हम तथाकथित निर्वासित सरकार या तथाकथित प्रशासनिक केंद्र के तथाकथित प्रतिनिधियों के बजाय केवल 14वें दलाई लामा के प्रतिनिधियों से बातचीत करेंगे। दूसरा, बातचीत का विषय सिर्फ व्यवस्थाओं को लेकर होगा, न कि तिब्बत की स्वायत्तता को लेकर, जो 88 वर्षीय दलाई लामा की मुख्य मांग है।
बातचीत का नहीं निकला कोई नतीजा
मालूम हो कि 2002 से 2010 तक दलाई लामा के प्रतिनिधियों और चीनी सरकार के बीच नौ दौर की बातचीत हुई, जिसका कोई ठोस नतीजा नहीं निकला। तिब्बती पक्ष दलाई लामा की मध्यम मार्ग नीति के अनुरूप तिब्बती लोगों के लिए वास्तविक स्वायत्तता की वकालत कर रहा है। 2010 के बाद से कोई औपचारिक बातचीत नहीं हुई है।
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