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अमेरिकी राष्ट्रपति पद की दौड़ में डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस, चीन ने किसे बताया अपना फेवरेट? वजह भी बताई

चीनी राष्ट्रीय सलाहकार निकाय के एक वरिष्ठ सदस्य ने कहा कि चीन अमेरिका में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में कमला हैरिस की जीत देखना चाहेंगे। उन्होंने कहा कि चीनी जनता का कमला हैरिस और डोनाल्ड ट्रंप को लेकर अलग-अलग मत हैं। उन्होंने कहा कि ट्रंप के राष्ट्रपति रहने के दौरान चीन और अमेरिका के द्विपक्षीय संबंध तेजी से खराब हो गए थे।

By Versha Singh Edited By: Versha Singh Updated: Fri, 18 Oct 2024 08:13 AM (IST)
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हम ट्रंप की जगह कमला हैरिस को राष्ट्रपति पद पर देखना पसंद करेंगे- चीनी अधिकारी
पीटीआई, बीजिंग। चीनी राष्ट्रीय सलाहकार निकाय के एक वरिष्ठ सदस्य ने गुरुवार को कहा कि चीन अगले अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में डोनाल्ड ट्रंप की जगह कमला हैरिस को प्राथमिकता देगा। उन्होंने कहा कि ट्रंप के राष्ट्रपति रहने के दौरान चीन और अमेरिका के द्विपक्षीय संबंध तेजी से बिगड़ गए थे, जिसके कारण गंभीर टकराव की स्थिति पैदा हो गई थी। इसलिए अब हम कमला हैरिस को राष्ट्रपति पद पर देखना पसंद करेंगे।

राष्ट्रीय सलाहकार निकाय- पीपुल्स पॉलिटिकल कंसल्टेटिव कॉन्फ्रेंस (सीपीपीसीसी) की स्थायी समिति के सदस्य जिया किंग्गू ने कहा कि चीनी सरकार अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव पर किसी तरह की कोई भी टिप्पणी नहीं करना चाहतीहै, क्योंकि वह नहीं चाहती कि उस पर अमेरिकी घरेलू राजनीति में हस्तक्षेप करने का आरोप लगे।

चीनी जन राजनीतिक परामर्शदात्री सम्मेलन (सीपीपीसीसी) राज्य शासन प्रणाली का एक प्रमुख घटक और एक विशिष्ट चीनी राजनीतिक संस्था है।

हैरिस और ट्रंप को लेकर चीनी जनता के विचार अगल- अधिकार

किंग्गू ने बीबीसी को बताया कि चीनी आम जनता के विचार हैरिस और ट्रंप के बारे में अलग-अलग हैं, लेकिन मैं ट्रंप के साथ बुरे अनुभव के कारण हैरिस को प्राथमिकता दूंगा। क्योंकि हम उस अनुभव को फिर से नहीं चाहते हैं।

ट्रंप के राष्ट्रपति काल में दोनों देशों के बीच संबंधों में तेजी से गिरावट आई और दोनों देशों के बीच गंभीर टकराव हुआ। उन्होंने कहा, चीन के दृष्टिकोण से, अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस, जिन्होंने राष्ट्रपति बाइडन के अधीन काम किया है, निरंतरता का प्रतिनिधित्व करती हैं।

ट्रंप ने फैलाई चीन के बारे में गलत जानकारी- जिया

जिया, जो पेकिंग विश्वविद्यालय के वैश्विक सहयोग एवं समझ संस्थान के निदेशक भी हैं, ने कहा कि ट्रंप अपने राष्ट्रपति काल के दौरान काफी भावुक थे और उन्होंने चीन के बारे में काफी गलत जानकारी फैलाई थी।

उन्होंने कहा, हमें बाइडन के प्रशासन से भी परेशानी है, लेकिन बाइडन को घरेलू राजनीति और शायद उनकी वैचारिक प्रतिबद्धता के कारण चीन के खिलाफ ट्रंप द्वारा शुरू किए गए कई सख्त कदम विरासत में मिले हैं।

उन्होंने आगे कहा, बाइडेन के तहत, चीन के प्रति अमेरिकी नीति अधिक स्थिर, पूर्वानुमानित है। हम एक-दूसरे के साथ फिर से जुड़ रहे हैं। अधिकारी एक-दूसरे से मिल रहे हैं, मुद्दों पर बात कर रहे हैं, उन्होंने कहा कि इससे संबंधों में स्थिरता आ रही है।

ट्रंप के शासनकाल में आई संबंधों में गिरावट

चीन के प्रति सख्त नीति का पालन करते हुए, जिसमें विवादित दक्षिण चीन सागर और ताइवान पर बीजिंग के दावों को चुनौती देने के लिए अमेरिकी नीति को मजबूत करना और चीन के इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्यात के महत्वाकांक्षी कदम को प्रतिबंधित करना शामिल है, हालांकि, बाइडन ने तनाव को नियंत्रण में रखने के लिए राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ नियमित बातचीत जारी रखी है।

ट्रंप के शासनकाल में शीर्ष दो अर्थव्यवस्थाओं के बीच संबंधों में भारी गिरावट आई, विशेष रूप से 2019 में चीनी शहर वुहान में कोविड-19 के फैलने के बाद, जिसके कारण पूरी दुनिया में एक महामारी फैल गई, जिसका पूरे विश्व में विनाशकारी प्रभाव पड़ा।

ट्रंप ने आरोप लगाया है कि महामारी के लिए जिम्मेदार वायरस वुहान स्थित एक जैव प्रयोगशाला से लीक हुआ था, जिसके कारण चीन ने ट्रंप के आरोपों का मुकाबला करने के लिए बड़े पैमाने पर दुष्प्रचार अभियान चलाया था।

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