शी ने स्वीकार किया किम का न्योता, सही समय आने पर जाएंगे उत्तर कोरिया
किम ने शी को उत्तर कोरिया आने का निमंत्रण भी दिया जिसको उन्होंने स्वीकार कर लिया है। इसके अलावा किम ने इस मुलाकात को दोनों देशों के संबंधों में नए युग की शुरुआत बताया है।
नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क]। उत्तर कोरिया के प्रमुख किम जोंग उन की जिस बीजिंग यात्रा पर चीन ने संशय बनाकर रखा था उससे अब पूरी तरह से पर्दा उठ चुका है। मंगलवार तक किम की इस खुफिया यात्रा पर चीन ने न सिर्फ चुप्पी साधी हुई थी बल्कि उसके विदेश मंत्रालय ने यहां तक कहा था कि उन्हें नहीं पता है कि ट्रेन से कौन आया है। किम की अचानक हुई इस यात्रा ने अमेरिका, जापान समेत दक्षिण कोरिया तक के होश उड़ाने का काम किया था। हद तो तब हुई जब किम के बीजिंग पहुंचने की खबर भी पूरी दुनिया को दो दिन बाद मिली। लेकिन अब चीन की समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने किम जोंग उन और शी चिनफिंग की फोटो रिलीज की है। इसमें दोनों नेता हाथ मिलाते हुए दिखाई दे रहे हैं। किम के साथ इस खुफिया दौरे में उनकी पत्नी री सोई जू भी साथ आई थीं। इसके बाद किसी के कहने की कोई गुंजाईश बाकी नहीं रही। उनका यह दौरा रविवार से बुधवार तक रहा। इस यात्रा के दौरान किम ने शी को उत्तर कोरिया आने का निमंत्रण भी दिया जिसको उन्होंने स्वीकार कर लिया है। इसके अलावा किम ने इस मुलाकात को दोनों देशों के संबंधों में नए युग की शुरुआत बताया है।
दोनों देशों की एजेंसियों ने जारी की वीडियो और फोटो
उत्तर कोरिया की समाचार एजेंसी केसीएनए और चीन की एजेंसी सिन्हुआ द्वारा इस मुलाकात की कई फोटो और वीडियो रिलीज करने के बाद सवाल यह उठ रहा है कि आखिर चीन को इस यात्रा पर झूठ क्यों बोलना पड़ा, जबकि सभी कुछ साफतौर पर दिखाई दे रहा था। इसके अलावा एक बड़ा सवाल यह भी है कि किम और शी की मुलाकात के मायने क्या हैं और इसके बाद चीन को लेकर दूसरे देशों में क्या चल रहा है। बहरहाल, इन सवालों का जवाब देने से पहले हम आपको बता दें कि चीन उत्तर कोरिया का सबसे बड़ा व्यापारिक देश है और करीब 90 फीसद व्यापार उसका चीन से ही होता है। अन्य दस फीसद में भारत समेत दूसरे देश आते हैं। ऐसे में किम की इस यात्रा के बेहद खास मायने हैं।
चीन की खामोशी की वजह
किम की खुफिया विजिट और चीन द्वारा इस पर गोपनीयता बरते जाने के सवाल पर दैनिक जागरण से बात करते हुए ऑब्जरवर रिसर्च फाउंडेशन के प्रोफेसर हर्ष वी पंत का कहना था कि किम काफी डरपोक किस्म के इंसान है। मुमकिन है कि बीजिंग में वह अपनी सिक्योरिटी और अमेरिका को लेकर चिंतित रहे हों। यह भी हो सकता है कि उन्होंने चीन से इस विजिट को गोपनीय बनाने का आग्रह भी किया हो। उनके मुताबिक यह बात पहले से ही साफ थी कि उत्तर कोरिया और अमेरिका के बीच होने वाली वार्ता में चीन एक बड़ी भूमिका निभाएगा। यह अब इस बयान से भी साफ हो गया जिसमें किम ने कहा है कि वह हर मुद्दे पर चीन से बात कर कदम आगे बढ़ाएगा। प्रोफेसर पंत का यह भी कहना है कि चीन ने किम की इस यात्रा को इस लिए भी गोपनीय बनाकर रखा होगा क्योंकि वह पहले देखना चाहते थे कि किम आखिर क्या कहते हैं और उनकी मंशा क्या है। इसके अलावा क्योंकि वहां पर स्टेट मीडिया है और वह सरकार से अलग नहीं जा सकता है इसलिए मजबूरन उन्हें इस पूरी यात्रा पर खामोशी बरतनी पड़ी।
किम को दिया गया गार्ड ऑफ ऑनर
आपको बता दें कि किम के आगमन पर उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया जिसमें किम के साथ शी चिनफिंग भी दिखाई दिए। चीन के राष्ट्रपति ने उनके सम्मान में भोज का आयोजन किया था। यह भोज पूरी तरह से निजी था जिसमें किम और उनकी पत्नी के अलावा सिर्फ शी चिनफिंग और उनकी पत्नी ने ही हिस्सा लिया था। इसके अलावा एक अन्य भोज के दौरान दोनों देशों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी हिस्सा लिया। इस दौरान किम के सम्मान में सामूहिक गीत भी प्रस्तुत किए गए। इस यात्रा के दौरान किम ने चाइनीज अकादमी ऑफ साईंस और एक प्रदर्शनी का भी दौरा किया। इन सभी के अलावा किम और शी के बीच करीब तीन से चार दौर की वार्ता भी हुई। इनमें से दो दौर की वार्ता में किम और शी के अलावा दोनों की पत्नियों ने हिस्सा लिया था। इस पूरे दौरे के अंतिम दौर में किम और शी ने साझा बयान भी जारी किया है।
शी को किम ने पुकारा कॉमरेड
बीजिंग के ग्रेट हॉल ऑफ पिपुल्स में शी ने किम को कॉमरेड कर पुकारा। किम ने शी को जीवन भर राष्ट्रपति बने रहने को लेकर भी बधाई दी। उन्होंने यह भी कहा कि कोरियाई प्रायद्वीप में जिस तेजी से घटनाक्रम बदल रहा है उसको देखते हुए यह जरूरी था कि वह अपनी बात शी चिनफिंग को बताएं, इसलिए ही वह यहां आए हैं। किम ने कहा कि चीन ने हमेशा से उत्तर कोरिया का साथ दिया है और वह इसके लिए शुक्रगुजार हैं। वहीं शी ने भी इस बात पर हामी भरते हुए कहा कि चीन के सभी राष्ट्राध्यक्षों ने उत्तर कोरिया के साथ संबंधों को हमेशा से बेहतर बनाया है। यह कूटनीतिक और मानवता के लिए भी अच्छा रहा है। शी ने इस दौरान यह भी कहा कि कुछ मुश्किलें दोनों देशों के बीच संबंधों को खराब नहीं कर सकती हैं।
हर मुद्दे पर पहले भी होती रही है वार्ता
इस दौरान यह भी साफ कर दिया गया कि दोनों देशों के बीच हमेशा से ही बड़े मुद्दों पर विभिन्न रूपों में चर्चा होती रही है चाहे वह पर्सनल विजिट के रूप में हो या फिर अपने विशेष दूत के रूप में रही हो। उन्होंने कहा कि किम की यात्रा से दोनों देशों की दोस्ती और मजबूत होगी। इस यात्रा के दौरान यह बात भी सामने आई है कि दोनों देशों के बीच एक्सचेंज प्रोग्राम, पिपुल्स टू पिपुल्स एक्सचेंज, यूथ एक्सचेंज प्रोग्राम के जरिए दोनों देशों के दोस्ताना संबंध को और मजबूत किया जाएगा। इस दौरान शी चिनफिंग ने किम को सीपीसी की 19 वीं बैठक के बारे में भी जानकारी दी, जिसमें चीन को मजबूत बनाने को लेकर मिशन 2020 और 2035 का ब्लूप्रिंट भी शामिल था।
खुद को वर्ल्ड लीडर बताने की कोशिश
किम की इस खास यात्रा पर नजर रखने वाले हुंडई मोटर-कोरिया फाउंउेशन सेंटर फॉर कोरियन हिस्ट्री एंड पब्लिक पॉलिसी के विशेषज्ञ जीन ली का कहना है कि किम ने अपनी इस यात्रा से खुद को वर्ल्ड लीडर की श्रेणी में लाने की कोशिश की है। उत्तर कोरिया द्वारा अपनाई गई इस नई कूटनीति और रणनीति पर सभी की निगाह है। उनके मुताबिक यह भी देखना दिलचस्प होगा कि वैश्विक मंच पर यह तस्वीर किस तरह से बनती है। इसके अलावा यह भी देखना काफी दिलचस्प होगा कि शांति दूत के तौर खुद को दिखाने वाले किम आने वाले दिनों में किस तरह का दांव खेलते हैं। आपको यहा पर ये भी बता दें कि चीन की मीडिया ने किम की यात्रा पर लिखा है कि वह शांति के लिए कोरियाई प्रायद्वीप को गैर परमाणु क्षेत्र बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। लेकिन ली का मानना है कि किम इसके ऐवज में अपने परमाणु हथियारों बड़ी छूट पाने की बात कर सकते हैं। सिन्हुआ ने किम के हवाले से यहां तक लिखा है कि यदि अमेरिका चाहेगा तो कोरियाई प्रायद्वीप को गैर परमाणु क्षेत्र बनाने का मुद्दा सुलझ सकता है लेकिन इसके लिए अमेरिका को वार्ता और शांति के लिए बेहतर वातावरण बनाना होगा।
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