ASEAN महासचिव काओ किम होर्न बोले- 'हम कई क्षेत्रों में मिलकर कर रहे काम, भारत के साथ साझेदारी को देते हैं महत्व'
काओ किम होर्न ने कहा कि आसियान और भारत डिजिटल अर्थव्यवस्था के साथ-साथ नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र और People to People Exchange Connectivity के क्षेत्रों में मिलकर काम कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से आसियान और भारत के बीच बढ़ती साझेदारी से लाभ होता है। उन्होंने कहा कि दोनों व्यापार सहित निवेश पर्यटन रक्षा और आतंकवाद निरोध के क्षेत्रों में एक साथ काम कर रहे हैं।
By AgencyEdited By: Mohammad SameerUpdated: Tue, 21 Nov 2023 05:00 AM (IST)
एएनआई, जकार्ता। आसियान के महासचिव काओ किम होर्न ने सोमवार को जोर देकर कहा कि आसियान एक समुद्री समुदाय है और भारत एक समुद्री राष्ट्र है। उन्होंने कहा कि दोनों व्यापार सहित निवेश, पर्यटन, रक्षा और आतंकवाद निरोध के क्षेत्रों में एक साथ काम कर रहे हैं।
सहयोग के मौजूदा युग को बरकरार रखने की आशा
आसियान महासचिव ने आगे कहा कि आसियान और भारत नए क्षेत्रों में सहयोग की उम्मीद करते हैं। होर्न ने आगे कहा कि आसियान समुद्री क्षेत्र में सहयोग कर सकता है, उदाहरण के लिए समुद्री सहयोग, जो भारत-प्रशांत पर आसियान दृष्टिकोण के तहत चार प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में से एक है। उन्होंने सहयोग के मौजूदा युग को बरकरार रखने की आशा व्यक्त की।
किम होर्न ने जोर देकर कहा-
भविष्य की ओर देखते हुए... हम निश्चित रूप से सहयोग के मौजूदा युग का विस्तार जारी रखने और अपने सहयोग को गहरा करने की उम्मीद करते हैं। सहयोग के नए युग में विस्तार करके मुझे उम्मीद है कि हम नए क्षेत्रों पर भी ध्यान दे सकते हैं।
इसके अलावा उन्होंने कहा कि, आसियान और भारत डिजिटल अर्थव्यवस्था के साथ-साथ नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र और People to People Exchange Connectivity के क्षेत्रों में मिलकर काम कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि, निश्चित रूप से आसियान और भारत के बीच बढ़ती साझेदारी से लाभ होता है।
इस साल सितंबर में आयोजित आसियान भारत शिखर सम्मेलन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा-
इस साल सितंबर में हमें जकार्ता में प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत करते हुए खुशी हुई, जहां उन्होंने आसियान भारत शिखर सम्मेलन में भाग लिया। हम भारत के साथ साझेदारी को बहुत महत्व देते हैं।यह भी पढ़ेंः Supreme Court: 'माता-पिता के दबाव के कारण जान दे रहे बच्चे', छात्रों को लेकर सुप्रीम कोर्ट की कड़ी टिप्पणी