Indonesia: इंडोनेशिया के राष्ट्रपति चुनाव में रक्षा मंत्री सुबिआंतो ने किया जीत का दावा, जानें अमेरिका ने क्यों लगाया था इन पर प्रतिबंध
इंडोनेशिया के रक्षा मंत्री प्रबोवो सुबिआंतो ने बुधवार शाम अनौपचारिक आंकड़ों के आधार पर राष्ट्रपति चुनाव में जीत का दावा किया । चुनाव के आधिकारिक नतीजे एक माह में आएंगे। दुनिया के तीसरे सबसे बड़े लोकतंत्र इंडोनेशिया में बुधवार दोपहर मतदान शांतिपूर्ण संपन्न हो गया। चुनाव में तकरीबन 20 करोड़ लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। इसके बाद निर्वाचन आयोग ने मतों की त्वरित गणना शुरू कर दी है।
एपी, जकार्ता। इंडोनेशिया के रक्षा मंत्री प्रबोवो सुबिआंतो ने बुधवार शाम अनौपचारिक आंकड़ों के आधार पर राष्ट्रपति चुनाव में जीत का दावा किया। शुरुआती अनौपचारिक त्वरित गणना में उन्हें बढ़त मिलती है। इस बढ़त से उत्साहित सुबिआंतो ने अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा कि यह इंडोनेशियाई लोगों की जीत है। हालांकि अब तक चुनाव अधिकारियों ने कोई घोषणा नहीं की है।
चुनाव के आधिकारिक नतीजे एक माह में आएंगे। दुनिया के तीसरे सबसे बड़े लोकतंत्र इंडोनेशिया में बुधवार दोपहर मतदान शांतिपूर्ण संपन्न हो गया। चुनाव में तकरीबन 20 करोड़ लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। इसके बाद निर्वाचन आयोग ने मतों की त्वरित गणना शुरू कर दी है।
57 से 59 प्रतिशत के बीच मिले वोट
अनौपचारिक गणना के अनुसार, सुबिआंतो को 57 से 59 प्रतिशत के बीच वोट मिले। इनमें से 80 प्रतिशत से अधिक वोट मतदान स्थलों पर गिने गए। त्वरित गणना पूरे इंडोनेशिया में मतदान केंद्रों के नमूने पर वास्तविक वोट गिनती पर आधारित होती है। इसका प्रयोग 2004 से किया जा रहा है और इसके शुरू होने के बाद अब तक के सभी राष्ट्रपति चुनावों में इस प्रक्रिया ने चुनाव परिणामों की सटीक तस्वीर प्रदान की है।चुनाव में दो पूर्व प्रांतीय गवर्नर अनीस बसवेडन और गंजार प्रानोवो भी लोकप्रिय राष्ट्रपति जोको विडोडो की उत्तराधिकारी की दौड़ में शामिल हैं। त्वरित गणना के अनुसार बसवेडन को 25 प्रतिशत और गंजर प्रानोवो को 17 प्रतिशत वोट मिले हैं। हालांकि उन्होंने जनता से आधिकारिक नतीजे आने का इंतजार करने का आह्वान किया है। बता दें कि चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों में भी रक्षा मंत्री प्रबोवो सुबिआंतो को राष्ट्रपति पद का प्रबल दावेदार माना जा रहा था। प्रबोवो तानाशाह सुहार्तों के शासनकाल में पूर्व सैन्य जनरल रह चुके हैं और उन पर मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगे चुके हैं।