फिलहाल, जोको विडोडो (जोकोवी) इंडोनेशिया के राष्ट्रपति हैं और दो कार्यकाल की अधिकतम सीमा पूरी कर चुके हैं। इस बार वह चुनाव नहीं लड़ सकते, इसलिए उन्होंने अपने बेटे जिब्रान राकाबुमिंग राका को चुनावी मैदान में उपराष्ट्रपति पद के लिए उतारा है। वहीं, इस बार राष्ट्रपति के पद के लिए प्रबोवो सुबियांतो, अनीस बसवेडन और गंजार प्रणोवो भी चुनावी रेस में शामिल है, जिसमें प्रबोवो सुबियांतो तो जनता की पसंद माना जा रहा है।
इस खबर में हम आपको दुनिया के सबसे बहुल मुस्लिम देश के चुनाव से जुड़ी सभी बातों की जानकारी देंगे कि आखिर क्यों इस चुनाव को अहम माना जा रहा है, उम्मीदवार के तौर पर कौन जनता की पसंद है, चुनाव में अहम मुद्दे कौन-कौन से हैं और आखिर इसमें क्या चुनौतियां आने वाली हैं।
कौन और कितने उम्मीदवार?
शीर्ष पदों के लिए तीन राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति पद की जोड़ी है। सरल शब्दों में कहें तो, प्रत्येक राष्ट्रपति का एक समर्थक उपराष्ट्रपति है। इनमें एक पूर्व सैन्य जनरल, एक बार अकादमिक और एक स्वयंभू "मैन ऑफ द पीपल" शामिल हैं।
प्रबोवो सुबिआंतो और जिब्रान राकाबुमिंग राका
प्रबोवो सुबिआंतो 72 वर्षीय पूर्व सैन्य और इंडोनेशिया के वर्तमान रक्षा मंत्री हैं। वह तीसरी बार शीर्ष पद के लिए चुनावी मैदान हैं। यह 2014 और 2019 में जोकोवी से हार चुके हैं।प्रबोवो की लंबे समय से सेना में उनके कार्यकाल के लिए आलोचना की जाती रही है और उन पर 1990 के दशक के अंत में 20 से अधिक लोकतंत्र समर्थक कार्यकर्ताओं के अपहरण का आरोप लगाया गया था, लेकिन उन पर कभी कोई कार्रवाई नहीं हुई है। मालूम हो कि जोकोवी के तहत रक्षा मंत्री बनने के बाद उन्हें 1998 में सेना से छुट्टी दे दी गई और 2020 तक संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
इस चुनाव में 36 वर्षीय जिब्रान राकाबुमिंग राका उनके समर्थक और जोकोवी के सबसे बड़े बेटे हैं। हालांकि, उन्हें राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति पद के लिए सक्षम नहीं माना जा रहा था, क्योंकि वह 40 वर्ष से कम आयु के थे, लेकिन इंडोनेशिया के संवैधानिक न्यायालय ने पिछले अक्टूबर में फैसला सुनाया कि युवा उम्मीदवार चुनाव लड़ सकते हैं, यदि वे पहले सार्वजनिक पद के लिए चुने गए हों। दरअसल, जिब्रान वर्तमान में सुरकार्ता के मेयर हैं।
गांजर प्रनोवो और महफुद एमडी
गांजर प्रणोवो मध्य जावा के 55 वर्षीय पूर्व गवर्नर हैं और इंडोनेशियाई डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ स्ट्रगल (पीडीआई-पी) के सदस्य हैं, जो एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्रवादी राजनीतिक दल है। इनकी पार्टी ने 2014 और 2019 में राष्ट्रपति पद के लिए जोकोवी का समर्थन किया था और इसका नेतृत्व किया है।गांजर के साथ महफुद एमडी यह चुनाव लड़ रहे हैं, जो एक राजनीतिक, कानूनी और सुरक्षा मामलों के पूर्व समन्वयक मंत्री हैं। के साथ चुनाव लड़ रहे हैं और उम्मीदवारों को यूनाइटेड डेवलपमेंट पार्टी (पीपीपी), पीपुल्स कॉन्शियस पार्टी (हनुरा) और इंडोनेशियाई यूनिटी पार्टी (पेरिंडो) का भी समर्थन प्राप्त है।
गांजर और महफुद का कहना है कि वह इंडोनेशिया के लोगों को समझते हैं।
अनीस बसवेदान और मुहैमिन इस्कंदर
अनीस बास्वेडन जकार्ता के पूर्व गवर्नर हैं और चुनाव में निष्पक्ष और विपक्षी उम्मीदवार के तौर पर शामिल हुए हैं। इन्होंने शिक्षा मंत्री के तौर पर अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी।
जब वह 2017 में जकार्ता के गवर्नर पद के लिए दौड़े थे, तो उन्होंने विवाद खड़ा हो गया था। दरअसल, उन पर अपने प्रतिद्वंद्वी बासुकी तजहाजा पुरनामा के खिलाफ पहचान की राजनीति का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया गया थे।
उस चुनाव में अनीस के साथ मुहैमिन इस्कंदर खड़े हैं। इस्कंदर, पीपुल्स रिप्रेजेंटेटिव काउंसिल के डिप्टी स्पीकर और इंडोनेशिया की सबसे बड़ी मुस्लिम राजनीतिक पार्टी नेशनल अवेकनिंग पार्टी (पीकेबी) के नेता हैं। उन्हें नैस्डेम पार्टी और एक अन्य मुस्लिम पार्टी, प्रॉस्परस जस्टिस पार्टी (पीकेएस) का भी समर्थन प्राप्त है।
क्या है इंडोनेशिया चुनाव के मुख्य मुद्दे?
दुनिया भर के कई देशों की तरह, इंडोनेशियाई लोगों की मुख्य चिंता का विषय जीवन यापन की लागत और अपने परिवार का भरण-पोषण करने में सक्षम होना है। सांख्यिकी इंडोनेशिया के अनुसार, 2023 में आर्थिक विकास पिछले साल के 5.3 प्रतिशत की तुलना में धीमी होकर 5.05 प्रतिशत आ गई, जिसका मुख्य कारण कमजोर निर्यात और कमोडिटी की कीमतें कम होना था।
इंडोनेशिया में रोजगार एक प्रमुख चिंता का विषय है। सांख्यिकी इंडोनेशिया के अनुसार, अगस्त 2023 में बेरोजगारी दर 5.32 प्रतिशत थी। अन्य मुद्दों में इंडोनेशिया में मानवाधिकार और लोकतांत्रिक गिरावट शामिल है। हाल के हफ्तों में विश्वविद्यालय परिसरों में छात्र विरोध प्रदर्शन तेज हो गए हैं, क्योंकि इंडोनेशिया के कुछ सबसे बड़े और सबसे प्रमुख विश्वविद्यालयों में कर्मचारियों और छात्रों ने इसकी आवश्यकता पर जोर दिया है।
कैसे होता है मतदान?
14 फरवरी को स्थानीय समयानुसार मतदान केंद्र सुबह 7 बजे खुलेंगे और दोपहर 1 बजे बंद हो जाएंगे। 17 वर्ष से अधिक आयु के सभी मतदाताओं को राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति उम्मीदवारों के साथ-साथ राष्ट्रीय, प्रांतीय, क्षेत्रीय और रीजेंसी और शहर स्तर पर प्रतिनिधियों को चुनने के लिए पांच अलग-अलग मतपत्र दिए जाएंगे।
मतदान केंद्र में, लोग "कोब्लोस" नामक प्रक्रिया में मतपत्र को कील से छेद कर अपनी पसंद बनाते हैं। ऐसा माना जाता है कि मतपत्र में छेद करने के लिए कील का उपयोग करने से वोटों में हेरफेर करने की संभावना कम हो जाती है।
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कब आएंगे परिणाम?
इंडोनेशिया में 820,000 से अधिक मतदान केंद्र हैं और मतदान समाप्त होते ही वोटों की गिनती शुरू हो जाती है। चुनाव आयोग की ओर से प्रारंभिक परिणाम 14 फरवरी की शाम को घोषित होने की संभावना है, लेकिन आधिकारिक परिणाम आने में 35 दिन तक का समय लग सकता है। नए राष्ट्रपति का शपथ ग्रहण अक्टूबर में किया जाएगा।
कौन कर सकता है मतदान?
17 वर्ष या उससे अधिक उम्र का कोई भी इंडोनेशियाई नागरिक मतदान कर सकते हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल पंजीकृत मतदाताओं में 49.91 प्रतिशत पुरुष और 50.09 प्रतिशत महिलाएं हैं। मालूम हो कि इंडोनेशियाई पुलिस और सेना के सदस्यों को मतदान करने से प्रतिबंधित कर दिया गया है।
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