इंडोनेशिया: दुनिया के इस सबसे बड़े मुस्लिम बहुल देश में पढ़ी जाती है रामायण, होती है पूजा
इंडोनेशिया में 99 फीसद मुस्लिम हैं लेकिन यहां पर आज भी रामायण पढ़ी भी जाती है और पढ़ाई भी जाती है। इतना ही नहीं यहां पर लोगों के नाम भी संस्कृत में ही रखे जाते हैं।
By Kamal VermaEdited By: Updated: Wed, 17 Apr 2019 11:39 PM (IST)
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। इंडोनेशिया दुनिया का सबसे अधिक मुस्लिम आबादी वाला देश है। लेकिन यहां का इतिहास और वर्तमान दोनों ही गजब है। ऐसा इसलिए क्योंकि यहां पर कभी हिंदू शासक राज किया करते थे। इतना ही नहीं जिस देश में आज 99 फीसद आबादी इस्लाम को मानती है वहां पर आज भी लोगों और स्थानीय जगहों के नाम संस्कृत में ही रखे जाते हैं। आपको बता दें कि सस्कृत को सभी भाषाओं की जननी कहा गया है। इतना ही नहीं यहां पर आज भी मुस्लिम होने के बावजूद रामायण पढ़ी भी जाती है और पढ़ाई भी जाती है। इंडोनेशिया में आज भी लोग अपने पूर्वजों की पूजा-अर्चना अपने पुराने तौर-तरीकों से ही करते हैं। इंडोनेशिया करीब 18 हजार छोटे-बड़े द्वीपों से मिलकर बना है। भारत से इसके संबंधों की बात करें तो यह सदियों पुराने रहे हैं।
ये है इतिहास ईसा पूर्व चौथी शताब्दी से ही इंडोनेशिया एक महत्वपूर्ण व्यापारिक क्षेत्र रहा है। बुनी अथवा मुनि सभ्यता इंडोनेशिया की सबसे पुरानी सभ्यता है। चौथी शताब्दी ईसा पूर्व तक ये सभ्यता काफी उन्नति कर चुकी थी। ये हिंदू धर्म मानते थे और ऋषि परंपरा का अनुकरण करते थे। यहां पर राज करने वाले श्रीविजय के दौरान चीन और भारत के साथ व्यापारिक संबंध थे। स्थानीय शासकों ने धीरे-धीरे भारतीय सांस्कृतिक, धार्मिक और राजनीतिक प्रारुप को अपनाया और कालांतर में हिंदू और बौद्ध राज्यों का उत्कर्ष हुआ। इंडोनेशिया का इतिहास विदेशियों से प्रभावित रहा है, जो क्षेत्र के प्राकृतिक संसाधनों की वजह से यहां पर खींचे चले आए। यहां पर इस्लाम भी भारत से ही पहुंचा था।
राष्ट्रपति विडोडोयहां के बारे में इतना बताना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि बुधवार को वहां पर लोग अपने राष्ट्रपति को चुनने के लिए मतदान कर रहे हैं। मुस्लिम बहुसंख्यक राष्ट्र में राष्ट्रपति जोको विडोडो का मुकाबला पूर्व सेना प्रमुख प्राबोवो सुबिआंतो से है। हालांकि चुनाव में विडोडो की जीत को पक्का माना जा रहा है। मुस्लिम बहुसंख्यक राष्ट्र में राष्ट्रपति जोको विडोडो का मुकाबला पूर्व सेना प्रमुख प्राबोवो सुबिआंतो से है। वर्ष 2014 के राष्ट्रपति चुनाव में विडोडो ने सुबिआंतो को शिकस्त दी थी। विडोडो की बात करें तो वह देश के पहले ऐसे राष्ट्रपति हैं जिनका ताल्लुक न तो किसी राजनीतिक घराने से हैं और न ही सेना से है। विडोडो राष्ट्रपति बनने से पहले 2005-2012 तक सुराकार्ता के मेयर भी रह चुके हैं। इसके अलावा 2012-2014 तक वह जकार्ता गे गवर्नर भी थे।
विडोडो की छवि बेहद साफ-सुथरी देश में विडोडो की छवि बेहद साफ सुथरी मानी जाती है। इतना ही नहीं उन्होंने राजनीति में कदम रखने के बाद से भ्रष्ट्राचार के खिलाफ काफी सख्त कार्रवाई की है। वह पीडीआई-पी के सदस्य है। जकार्ता में गवर्नर रहते हुए उन्होंने ब्यूरोक्रेसी को सही करने के लिए भी काफी काम किया। उन्होंने ही जकार्ता में लोगों के लाइफ क्वालिटी को सुधारने के लिए योजनाओं की शुरुआत की थी। उनकी इसी राजनीतिक काबलियत की वजह से पीडीआई-पी ने उन्हें 2014 में पहली बार राष्ट्रपति चुनाव में खड़ा किया था।
चलाई कई मुहिम जोको ने अपने राष्ट्रपति कार्यकाल हाईवे, हाईस्पीड रेल प्रोजेक्ट, एयरपोर्ट पर काफी काम किया है। उन्होंने नशीले पदार्थों की तस्करी करने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाए। अंतरराष्ट्रीय दबाव को दरकिनार करते हुए उन्होंने नशे की तस्करी करने वालों को सजा ए मौत तक दिलवाई। जोको अपने पांच साल के कार्यकाल के दौरान लोगों में ढांचागत विकास और सामाजिक कल्याण के लिए समर्पित राष्ट्रपति की छवि बनाने में सफल हुए हैं। लेकिन विपक्ष उन पर भ्रष्टाचार और मानवाधिकार उल्लंघन का आरोप लगा रहे हैं। जोको पर राज्य संस्थानों को व्यक्तिगत हितों के रूप में इस्तेमाल करने का भी आरोप है।एक तरफ वार्ता तो दूसरी तरफ परमाणु परीक्षण, आखिर कैसे बनेगी किम और ट्रंप की बात