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ग्लोबल साउथ के 125 देश करते हैं भारत पर भरोसा, विदेश मंत्री जयशंकर ने विश्व मंच पर दुनिया को दिखाया इंडिया का दम

ग्लोबल साउथ के नेतृत्व के सवाल पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बड़ी बात कही है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र के 125 देश भारत पर विश्वास करते हैं। जबकि चीन ने 2023 में उन दो बैठकों में शामिल होना उचित नहीं समझा जिन्हें भारत ने ग्लोबल साउथ के देशों के हित में आयोजित किया था। ग्लोबल साउथ दक्षिणी भाग में स्थित विकासशील और गरीब देशों का समूह है।

By Jagran News Edited By: Abhinav Atrey Updated: Fri, 08 Mar 2024 09:59 PM (IST)
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ग्लोबल साउथ के 125 देश करते हैं भारत पर भरोसा- एस जयशंकर (फाइल फोटो)
पीटीआई, टोक्यो। ग्लोबल साउथ के नेतृत्व के सवाल पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बड़ी बात कही है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र के 125 देश भारत पर विश्वास करते हैं। जबकि चीन ने 2023 में उन दो बैठकों में शामिल होना उचित नहीं समझा जिन्हें भारत ने ग्लोबल साउथ के देशों के हित में आयोजित किया था।

ग्लोबल साउथ का अर्थ विश्व के दक्षिणी भाग में स्थित विकासशील और गरीब देशों के समूह से है। भारत-जापान संबंधों पर आयोजित निक्केई फोरम में जयशंकर ने कहा, ग्लोबल साउथ के देशों की बहुत सारी समस्याएं समान प्रकृति की हैं। इसका एहसास कोविड महामारी के दौरान हुआ जब उनके लिए बचाव करने वाली वैक्सीन की किल्लत थी।

भारत ने ग्लोबल साउथ के देशों की अपेक्षाओं पर बैठकें कीं

उन्होंने कहा, उन देशों को जी 20 के एजेंडा का पता तब चला जब भारत अग्रणी देशों के इस समूह का अध्यक्ष बना। इसलिए हमने पिछले वर्ष ग्लोबल साउथ के देशों की समस्याओं और अपेक्षाओं पर दो बैठकें कीं जिससे कि अभावग्रस्त 125 देश भी बाकी के विश्व से जुड़ सकें।

समूह में ज्यादातर देश एशिया और अफ्रीका महाद्वीपों के

इस समूह में ज्यादातर देश एशिया और अफ्रीका महाद्वीपों के हैं। भारत की अध्यक्षता में अफ्रीकन यूनियन में शामिल देशों को जी 20 की सदस्यता मिली। वैश्विक मंच पर उन्हें पहचान मिलने का यह नया मौका था। लेकिन इस मौके से चीनी नेतृत्व नदारद था। वैश्विक नेताओं की मौजूदगी वाले कार्यक्रम में राष्ट्रपति शी चिन¨फग नहीं आए, उन्होंने प्रधानमंत्री ली क्यांग को भेजकर जी 20 के महत्व को कम आकने की कोशिश की।

जब भारत पर हमले हो रहे थे तब बाकी देश कहां थे

यूक्रेन युद्ध के संबंध में पूछे गए सवाल के जवाब में जयशंकर ने कहा, विश्व राजनीति में कई बार मुद्दे और सवाल सुविधाजनक तरीके गढ़े जाते हैं। आज जो सवाल यूक्रेन की संप्रभुता को लेकर उठाए जा रहे हैं, वह सवाल भारत की स्वतंत्रता के बाद के दशकों में नदारद थे। तब भारत पर हमले हुए और हमारी जमीन पर कब्जे हुए लेकिन किसी ने हमारा साथ नहीं दिया।

भारत का हिस्सा अन्य देश के कब्जे में

उन्होंने कहा कि आज भी भारत का हिस्सा अन्य देश के कब्जे में है लेकिन कोई देश उस पर कुछ नहीं बोल रहा है। फिर एक सुविधाजनक मुद्दा तय करके उस पर वैश्विक समर्थन हासिल करने की कोशिश क्यों की जा रही है। भारत की भूमिका पर सवाल उठाने वाले यह क्यों भूल रहे हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ही अकेले नेता हैं जिन्होंने राष्ट्रपति पुतिन से सीधे कहा कि भारत यूक्रेन युद्ध की समाप्ति चाहता है।

बड़ी जिम्मेदारियों के बावजूद दूसरों की मदद करता है भारत

जापानी मीडिया के साथ बातचीत में जयशंकर ने भारत की मदद की मजबूत भावना की भी चर्चा की। कहा कि भारत ने मुश्किल में फंसे श्रीलंका को साढ़े चार अरब डॉलर की बड़ी सहायता दी जबकि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने उसे टुकड़ों में तीन अरब डॉलर से भी कम धनराशि दी। इसके अतिरिक्त गरीब और विकासशील देशों को जहां जरूरत होती है भारत मदद करता है। भारत यह मदद अपनी बड़ी जिम्मेदारियों को वहन करते हुए करता है, क्योंकि भारत में प्रति व्यक्ति वार्षिक आय तीन हजार डॉलर से भी कम है।

शिंजो आबे की पत्नी से मुलाकात, मोदी का पत्र दिया

विदेश मंत्री जयशंकर ने शुक्रवार को दिवंगत जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे की पत्नी रहीं अकी एबी से मुलाकात की और उन्हें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का पत्र दिया। इस पत्र में पूर्व प्रधानमंत्री की मां योको आबे के हाल ही में हुए निधन पर भी शोक जताया गया है।

शिंजो आबे की जापान में जुलाई 2022 में गोली मारकर तब हत्या कर दी गई थी जब वह चुनाव प्रचार कर रहे थे। आबे जापान के सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहे नेता थे और भारत के साथ रणनीतिक सहयोग बढ़ाने में उनका महत्वपूर्ण योगदान था।

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