बादलों में मौजूद हैं माइक्रोप्लास्टिक, पर्यावरण और इंसानों में पैदा कर सकते हैं खतरा, वैज्ञानिकों ने की पुष्टी
जापान के शोधकर्ताओं ने पुष्टि की है कि बादलों में माइक्रोप्लास्टिक्स मौजूद हैं। माइक्रोप्लास्टिक्स बादलों के जरिए धरती पर जलवायु को प्रभावित कर रहे हैं. हालांकि शोधकर्ता अभी तक इसे पूरी तरह से समझ नहीं आए हैं। शोधकर्ताओं ने कहा है कि माइक्रोप्लास्टिक से भारी पर्यावरणीय नुकसान के अलावा इंसानों में हृदय और फेफड़ों के साथ ही कैंसर जैसी बीमारियां हो सकती हैं।
By Jagran NewsEdited By: Abhinav AtreyUpdated: Thu, 28 Sep 2023 09:35 AM (IST)
वॉशिंगटन, एजेंसी। जापान के शोधकर्ताओं ने पुष्टि की है कि बादलों में माइक्रोप्लास्टिक्स मौजूद हैं। माइक्रोप्लास्टिक्स बादलों के जरिए धरती पर जलवायु को प्रभावित कर रहे हैं. हालांकि, शोधकर्ता अभी तक इसे पूरी तरह से समझ नहीं आए हैं।
एनवायर्नमेंटल केमिस्ट्री लेटर्स में प्रकाशित एक शोध में, वैज्ञानिकों ने माउंट फूजी और माउंट ओयामा की चोटियों पर चढ़ाई करके बादलों से पानी इकट्ठा किया। इसके बाद उनके भौतिक और रासायनिक गुणों का पता लगाने के लिए नमूनों की इमेजिंग तकनीक से जांच की।
नौ अलग-अलग तरह के पॉलिमर और एक रबर की हुई पहचान
टीम ने वायुजनित माइक्रोप्लास्टिक्स में नौ अलग-अलग तरह के पॉलिमर और एक तरह के रबर की पहचान की। इसका आकार 7.1 से 94.6 माइक्रोमीटर तक है। बादल के हर एक लीटर पानी में प्लास्टिक के 6.7 से 13.9 टुकड़े होते हैं।बादलों के अंदर पॉलिमर प्रचुर मात्रा में
इसके अलावा, बादलों में हाइड्रोफिलिक या पानी में पाया जाने वाला पॉलिमर प्रचुर मात्रा में था। इससे पता चलता है कि ये कण तेजी से बादल निर्माण और इस प्रकार जलवायु प्रणालियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।गंभीर पर्यावरणीय नुकसान हो सकता है- वैज्ञानिक
वासेदा विश्वविद्यालय के प्रमुख लेखक हिरोशी ओकोची ने बुधवार को एक बयान में चेतावनी देते हुए कहा, "अगर 'प्लास्टिक वायु प्रदूषण' के मुद्दे पर सही तरीके से नहीं निपटा गया, तो जलवायु परिवर्तन और पारिस्थितिक जोखिम (Ecological Risks) हकीकत में बदल सकते हैं, जिससे भविष्य में कभी ना बदलने वाले और गंभीर पर्यावरणीय नुकसान हो सकता है।"