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Russia Ukraine War: 'युद्ध के मैदान से नहीं निकलेगा समाधान', कैसे रुकेगी रूस-यूक्रेन की जंग? जयशंकर ने बताया प्लान-B

रूस और यूक्रेन के बीच पिछले दो सालों से लगातार युद्ध जारी है। इस जंग को रोकने के लिए कई देशों ने रूस और यूक्रेन से वकालत की और समाधान निकालने की सलाह भी दी। अब तक इस युद्ध में दोनों तरफ से हजारों लोगों की जान जा चुकी है।इस बीच भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी युद्ध खत्म करने को लेकर दोनों देशों को सलाह दी है।

By Agency Edited By: Babli Kumari Updated: Mon, 29 Jul 2024 08:18 PM (IST)
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विदेश मंत्री एस जयशंकर ( फोटो- @DrSJaishankar )
एएनआई, टोक्यो। Russia Ukraine War: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रूस और यूक्रेन विवाद सुलझाने को लेकर सोमवार को बड़ा बयान दिया। जयशंकर ने टोक्यो में कहा कि दोनों देशों के बीच चल रही जंग का समाधान युद्ध के मैदान से नहीं निकलने वाला है। जयशंकर ने टोक्यो में प्रेस से बात करते हुए कहा कि दोनों देशों को बातचीत और कूटनीति की ओर लौटना जरूरी है। जयशंकर ने इस बात पर बल दिया कि 'इस संबंध में और अधिक प्रयास किए जाने की आवश्यकता है।'

विदेश मंत्री जयशंकर ने आज टोक्यो में प्रेस से बात करते हुए कहा कि शुरू से ही हमारा यह मानना ​​था कि बल प्रयोग से देशों के बीच समस्याओं का समाधान नहीं होता। पिछले 2-2.5 वर्षों में इस संघर्ष में कई लोगों की जान गई है, आर्थिक क्षति हुई है और वैश्विक परिणाम सामने आए हैं। साथ ही अन्य समाजों पर असर पड़ा है और वैश्विक मुद्रास्फीति में योगदान मिला है... हमें नहीं लगता कि युद्ध के मैदान से समाधान निकलेगा। 

'वार्ता और कूटनीति की ओर लौटना होगा'

मंत्री ने कहा कि हमारा मानना ​​है कि वार्ता और कूटनीति की ओर लौटना होगा...आज हमारी भावना यह है कि और अधिक काम किए जाने की आवश्यकता है। हमें संघर्ष की वर्तमान स्थिति को जारी रखने के लिए तैयार नहीं रहना चाहिए और यह नहीं कहना चाहिए कि इसे अपने आप चलने दिया जाए...। 

क्वाड विदेश मंत्रियों की बैठक में लिया भाग

जयशंकर, जापान के विदेश मंत्री योको कामिकावा और ऑस्ट्रेलिया के विदेश मंत्री पेनी वोंग तथा अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने 29 जुलाई को टोक्यो में आयोजित क्वाड विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लिया। क्वाड ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच एक कूटनीतिक साझेदारी है। जो एक खुले, स्थिर और समृद्ध हिंद-प्रशांत क्षेत्र का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध है।

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