Israel Hamas War: गाजा में दाना-पानी के लिए मोहताज हुए विस्थापित परिवार, भीख मांगकर कर रहे गुजारा; बच्चों की हालत भी खराब
Israel Hamas War इजरायल और हमास के बीच कई महीनों से युद्ध जारी है। हमास के आतंकियों को जड़ से खत्म करने के लिए इजरायल ने गाजा को तहस-नहस कर रखा है। इजरायल के जमीनी हमले के कारण गाजा के दक्षिणी क्षेत्र में विपरीत परिस्थितियों में रहने को मजबूर हैं। दक्षिणी गाजा में विस्थापित परिवार भीख मांगकर गुजारा करने पर मजबूर हैं।
एएनआई, गाजा सीमा (इजरायल)। Israel Hamas War: इजरायल और हमास के बीच कई महीनों से युद्ध जारी है। हमास को जड़ से खत्म करने के लिए इजरायल ने गाजा को तहस-नहस कर रखा है। इजरायल के जमीनी हमले के कारण गाजा के दक्षिणी क्षेत्र में विपरीत परिस्थितियों में रहने को मजबूर हैं। खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतें के साथ-साथ स्वच्छता में कमी के कारण स्थिति और भी अधिक बढ़ गई है। हालात ऐसे हैं की लोग बुनियादी जरूरतों के लिए भी मोहताज हैं। बता दें कि गाजा में एक बार आंशिक युद्धविराम के बाद जंग जारी है।
सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, दक्षिणी गाजा में गंभीर जीवन स्थितियां बनी हुई हैं क्योंकि इजरायल के जमीनी हमले ने विस्थापित फलस्तीनियों के लिए पहले से ही चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों को और बढ़ा दिया है।सीएनएन ने दक्षिणी शहर राफा में जीवित रहने का प्रयास कर रहे व्यक्तियों के साथ फोन इंटरव्यू किया। यह वही जगह है जहां गाजा में सबसे घनी आबादी वाला क्षेत्र होने के बावजूद हजारों लोगों ने कैम्प में शरण ली है।
भीख मांगने पर मजबूर हुए शिविर में रहने वाले लोग
10 लोगों के परिवार का भरण-पोषण करने वाले 51 वर्षीय भवन निर्माण श्रमिक अबू मिस्बाह ने जीवित रहने के लिए भीख मांगने और किसी से मदद मांगने की गंभीर वास्तविकता से भी अवगत कराया। सब्जियों और फलों की अनुपलब्धता ने उनके जैसे परिवारों को बेहद संकट में डाल दिया है, वे अपने बच्चों की बुनियादी जरूरतों को भी पूरा करने में असमर्थ हैं।
'हम अपनी दयनीय पीड़ा का समाधान चाहते हैं'
श्रमिक अबू मिस्बाह ने कहा, "मैं यहां-वहां भीख मांगकर और किसी- किसी से मदद लेकर अपना गुजारा कर रहा हूं। हम पहले कभी इस स्थिति से नहीं गुजरे थे। हम एक मध्यम वर्गीय परिवार के थे। उन्होंने कहा, "अब युद्ध के बाद से हम खजूर खरीद रहे हैं जो हमें हर जगह मुफ्त में मिलता था। हम अपनी दयनीय पीड़ा का समाधान चाहते हैं।"'किसी ने हमारी मदद नहीं की'
राफा में 50 वर्षीय विस्थापित निवासी उम्म उमर ने अपने परिवार के साथ तंबू में रहने का अपना अनुभव सुनाया। युद्धविराम के दौरान थोड़े समय के लिए घर लौटने पर विनाश की सीमा का पता चला जिसमें टूटी हुई खिड़कियां, सौर पैनल और नष्ट हुई रसोई मिली। उम्म उमर ने बताया, "दो मीटर गुणा एक मीटर के तंबू में हम नौ लोग हैं। हमने यह कैंपिंग टेंट भी खुद खरीदा है। किसी ने हमारी मदद नहीं की।