संकट के समय इजरायली किसानों को मिला इस NGO का साथ, खेतों में दोबारा फसल उगाने के लिए मिली 50 मिलियन डॉलर की मदद
हमास ने 7 अक्टूबर को इजरायल पर हमला कर दिया था इस दौरान हमास के आतंकियों ने गाजा बॉर्डर पर स्थित इजरायली खेतों को नुकसान पहुंचाया था। खबर आ रही है कि एक इजरायली कृषि गैर-सरकारी संगठन ने गाजा सीमा के पास हमले में बुरी तरह से बर्बाद हो चुके खेतों के पुनर्निर्माण के लिए 50 मिलियन अमेरिकी डॉलर के आपातकालीन कोष की घोषणा की है।
एएनआई, तेल अवीव। हमास ने 7 अक्टूबर को इजरायल पर हमला कर दिया था, इस दौरान हमास के आतंकियों ने गाजा बॉर्डर पर स्थित इजरायली खेतों को नुकसान पहुंचाया था। खबर आ रही है कि एक इजरायली कृषि गैर-सरकारी संगठन ने गाजा सीमा के पास हमले में बुरी तरह से बर्बाद हो चुके खेतों के पुनर्निर्माण के लिए 50 मिलियन अमेरिकी डॉलर के आपातकालीन कोष की घोषणा की है।
रीग्रो इजरायल नाम के एनजीओ ने खेतों की मिट्टी के पुनर्वास और फसलों को दोबारा लगाने के लिए जरूरी उपकरणों और बुनियादी ढांचे की दिशा काम करना शुरू किया है।
किसान बचे संसाधनों का इस्तेमाल करके फसल उगा रहे हैं
वोल्केनी पार्टनर्स इंटरनेशनल के सीईओ डेनिएल अब्राहम ने कहा, "ये सभी किसान पहले से ही इजरायली आबादी को खाना खिलाने के लिए अपनी बची हुई जमीन और संसाधनों का इस्तेमाल करके फसल उगा रहे हैं। पश्चिमी नेगेव के पुनर्निर्माण में निवेश करना सभी इजरायली लोगों की तत्काल सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है।"
इजरायल ने 2.5 बिलियन डॉलर की फसल का निर्यात किया
वहीं, इस फंड के सलाहकार पूर्व अमेरिकी कृषि सचिव डैन ग्लिकमैन ने कहा, "किबुत्ज और मोशाविम के किसानों ने ड्रिप सिंचाई, वेस्ट वाटर रिसाइकिल, जैव उर्वरक और कृषि सहित नवाचारों से सालाना लगभग 2.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर की फसल का निर्यात किया।"
यह क्षेत्र इजरायल के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण
उन्होंने आगे कहा, इजरायल और हमास के बीच मौजूदा संघर्ष ने इस क्षेत्र की खेती की महत्ता को सामने लेकर आया है। साथ ही यह भी सामने आया है कि यह क्षेत्र इजरायल के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है।
युद्ध से पहले 29,900 विदेशी मजदूर काम करते थे
बता दें कि 7 अक्टूबर के बाद से इजराइली कृषि को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है। वहीं, 7 अक्टूबर से पहले इजरायल में 29,900 विदेशी मजदूर किसान काम करते थे। इसमें ज्यादातर थाई लोग शामिल थे, जो यहां के खेतों, बगीचों, ग्रीनहाउस और पैकिंग प्लांटों में काम करते थे। मगर, युद्ध के बाद लगभग सभी थाईलैंड लौट आए हैं।
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