इजरायल और हमास की लगातार बढ़ रही सैन्य कार्रवाई और घेराबंदी के कारण 141-वर्ग-मील के इलाके में स्थितियां और भी बदतर होने की आशंका है। मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने इसे खुली हवा वाली जेल कहा है। वहीं साल 2021 में संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने गाजा पट्टी में रह रहे बच्चों के लिए स्थितियों को पृथ्वी पर नर्क बताया था।
By Jagran NewsEdited By: Abhinav AtreyUpdated: Wed, 11 Oct 2023 02:26 PM (IST)
डिजिटल डेस्क, गाजा। हमास के हमले के बाद इजरायल लगातार गाजा पर शिकंजा कसता जा रहा है। इजरायली सेना ने गाजा पट्टी की पूरी घेराबंदी कर दी है, जिससे बीस लाख से ज्यादा लोगों के लिए खाना और अन्य आपूर्ति का प्रवेश बंद हो गया है। इससे आने वाले समय में गाजा के लोगों की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं।
वहीं, अबतक दोनों तरफ से सैकड़ों लोग मारे जा चुके हैं। गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि इजरायली हवाई हमलों में कम से कम 900 फिलिस्तीनी मारे गए और 4,600 से ज्यादा घायल हो गए हैं। वाशिंगटन में इजरायल के दूतावास ने कहा कि हमास के हमलों में मरने वालों की संख्या 1,000 से ज्यादा हो गई है। इसमें 2,800 से ज्यादा नागरिक घायल हो गए हैं और 50 लोगों के लापता होने या बंधक बनाए जाने की पुष्टि हुई है।
धरती का नर्क है गाजा पट्टी- एंटोनियो गुटेरेस
दरअसल, इजरायल और हमास की लगातार बढ़ रही सैन्य कार्रवाई और घेराबंदी के कारण 141-वर्ग-मील के इलाके में स्थितियां और भी बदतर होने की आशंका है। मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने इसे 'खुली हवा वाली जेल' कहा है। वहीं, साल 2021 में संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने
गाजा पट्टी में रह रहे बच्चों के लिए स्थितियों को "पृथ्वी पर नर्क" बताया था।
एंटोनियो गुटेरेस ने गाजा पट्टी को धरती का नर्क ऐसे ही नहीं बताया था, उनके इस बयान के पीछे कुछ वजहें हैं। आइए जानते हैं कि आखिर गाजा पट्टी को धरती का नर्क क्यों कहा जाता है?
गाजा पट्टी में कैसे हैं हालात?
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक गाजा पट्टी धरती की सबसे गरीब जगहों में से एक है। पिछले महीने विश्व बैंक की एक रिपोर्ट में सामने आया था कि गाजा लगभग 46 फीसदी की बेरोजगारी दर और लगभग 60 फीसदी की युवा बेरोजगारी दर से ग्रस्त है। वहीं, मूडीज एनालिटिक्स डेटा के मुताबिक इजरायल की बेरोजगारी दर अमेरिका की तरह मात्र 4 फीसद है।
खाना और दवा जैसी मूलभूत वस्तुओं की भारी कमी
गाजा पट्टी की सुस्त अर्थव्यवस्था की वजह से यहां खाना और दवा जैसी मूलभूत वस्तुओं की भारी कमी है। संयुक्त राष्ट्र राहत और कार्य एजेंसी ने अगस्त में कहा था कि गाजा पट्टी में हर पांच में से तीन लोग खाद्य असुरक्षी से पीड़ित हैं। इसका साफ मतलबव है कि गाजा के लोग जीवन जीने के लिए पर्याप्त भोजन के लिए भी जद्दोजहद करते हैं।
खस्ताहाल स्वास्थ्य सुविधाएं
इस बीच, विश्व बैंक की रिपोर्ट में पिछले महीने कहा गया था कि गाजा पट्टी में बुनियादी ढांचे और चिकित्सा सुविधाओं की भारी कमी है। इसकी वजह यहां के लोगों को ठीक से स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल पाती हैं। मरीजों को अक्सर जरूरी दवाएं नहीं मिल पाती और बड़ी बिमारियों के इलाज के लिए विदेशों पर निर्भर रहना पड़ता है। विश्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि खबार स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के चलते कई मरीजों की मौत भी हो जाती है।
अमेरिका से मिली 235 मिलियन डॉलर की मदद, मगर...
साल 2021 में बाइडेन प्रशासन ने फिलिस्तीनियों को 235 मिलियन डॉलर की सहायता को मंजूरी दी, जिसमें संयुक्त राष्ट्र राहत और कार्य एजेंसी के लिए 150 मिलियन डॉलर और वेस्ट बैंक और गाजा में आर्थिक सहायता के लिए 75 मिलियन डॉलर शामिल हैं। इस कदम ने फिलिस्तीनियों के लिए मानवीय सहायता योगदान की नीति को बहाल कर दिया, मगर साल 2018 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने निलंबित कर दिया।
2007 के बाद से खराब होते गए हालात
बता दें कि गाजा पट्टी के हालात साल 2007 से अधिक बदतर होते गए क्योंकि इसी समय फिलिस्तीन में हमास ने सरकार बना ली थी। हमास फिलिस्तीन में एक सैन्य संगठन के तौर पर साल 1980 के दशक में स्थापित हुआ था। इसका मकसद फिलिस्तीन की आजादी और उसके अधिकारों के लिए संघर्ष करना था। गाजा में हमास की सरकार आने के बाद पड़ोसी मुल्क इजरायल और मिस्र दोनों ने अपने बॉर्डर सील कर दिए। इसकी वजह से गाजा पट्टी के लोगों को और ज्यादा समस्याओं का सामना करना पड़ा।
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