Israel-Hamas War: गाजा में मारे गए 70 से अधिक फलस्तीनी, हमास बोला- यह योजनाबद्ध तरीके से किया गया नरसंहार है
गाजा में इजरायल हमास के बीच लड़ाई हल्की जरूर पड़ी है लेकिन खत्म नहीं हुई है। शुक्रवार को गाजा शहर में एक हिंसक घटना में 70 से अधिक फिलिस्तीनी मारे गए। हमास के एक अधिकारी ने इजरायली अधिकारियों पर योजनाबद्ध नरसंहार करने का आरोप लगाया। संयुक्त राष्ट्र ने तत्काल मानवीय युद्धविराम और संघर्ष के दौरान पकड़े गए सभी बंधकों की बिना शर्त रिहाई के लिए अपना आह्वान दोहराया है।
एएनआई, तेल अवीव। गाजा में इजरायल हमास के बीच लड़ाई हल्की जरूर पड़ी है लेकिन खत्म नहीं हुई है। शुक्रवार को गाजा शहर में एक हिंसक घटना में 70 से अधिक फिलिस्तीनी मारे गए। हमास के एक अधिकारी ने इजरायली अधिकारियों पर योजनाबद्ध नरसंहार करने का आरोप लगाया।
हमास सरकार के मीडिया कार्यालय के महानिदेशक इस्माइल अल-थवाबता ने दावा किया कि इजरायली सेना ने पूर्वी गाजा शहर में हजारों फिलिस्तीनियों को पश्चिमी और दक्षिणी इलाकों में जाने के लिए निर्देशित किया और उनके पहुंचने पर उन पर गोलियां चला दीं।
ताल अल-हवा क्षेत्र से 70 शव बरामद
अल-थवाब्ता के अनुसार, उन्होंने आगे बताया कि बचाव दल ने ताल अल-हवा क्षेत्र से 70 शव बरामद किए हैं और कम से कम 50 लोग लापता हैं। आगे कहा कि कुछ विस्थापित लोग सफेद झंडे लेकर इजरायली सेना की ओर इशारा कर रहे थे और कह रहे थे, 'हम लड़ाकू नहीं हैं, हम विस्थापित हैं। लेकिन इजरायली सेना ने इन विस्थापित लोगों को बेरहमी से मार डाला। उन्होंने कहा कि इजरायली सेना ताल अल-हवा में उस नरसंहार को अंजाम देने की योजना बना रही थी।कुछ क्षेत्रों से टैंक वापस चले गए हैं
गाजा नागरिक आपात कालीन सेवा ने कहा कि पिछले सप्ताह तेल अल-हवा के क्षेत्र और गाजा शहर में साबरा से इजरायली सेना के हाथों मारे गए फलस्तीनियों के लगभग 60 शव मिले। निवासियों एवं बचाव दलों ने कहा कि कुछ क्षेत्रों से टैंक वापस चले गए हैं, लेकिन इजरायली स्नाइपर्स और टैंकों ने कुछ भूमि पर नियंत्रण करना जारी रखा है। बचाव दलों ने निवासियों को फिलहाल वापस नहीं लौटने को कहा है।
संयुक्त राष्ट्र ने तत्काल मानवीय युद्धविराम और संघर्ष के दौरान पकड़े गए सभी बंधकों की बिना शर्त रिहाई के लिए अपना आह्वान दोहराया है। संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने गाजा शहर में शवों की बरामदगी की निंदा करते हुए इसे मौजूदा संघर्ष में नागरिकों की मौत का एक और दुखद उदाहरण बताया।