हेलमंड नदी विवाद को लेकर ईरान की तालिबान को चेतावनी, कहा- हमारे जल अधिकारों का न करें उल्लंघन
ईरानी अधिकारियों ने हमेशा ही ईरान और अफगानिस्तान के बीच 1973 के हेलमंद नदी समझौते के महत्व पर जोर दिया जो साझा जल संसाधनों की बात कहती है। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन के अनुसार पिछले 30 सालों से ईरान सूखे की समस्या का सामना कर रहा है।
तेहरान, एपी। ईरान और अफगानिस्तान के बीच हेलमंद नदी को लेकर लगभग एक सदी से विवाद चल रहा है। ऐसे में ईरान सरकार ने अफगानिस्तान की तालिबानी सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि वे साझा हेलमंद नदी पर ईरानी लोगों के जल अधिकारों का उल्लंघन न करें।
राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी ने कहा कि हमारी सरकार ईरान के जल अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि हम अपने लोगों के अधिकारों का हनन नहीं होने देंगे। साथ ही उन्होंने हेलमंद नदी के महत्व पर जोर दिया और तालिबान को उनकी बातों को गंभीरता से लेने की चेतावनी दी।
10 सालों में पड़ोसी देश की अपनी पहली आधिकारिक यात्रा के दौरान इब्राहिम रायसी ने गुरुवार को एक पाकिस्तानी सीमावर्ती शहर में यह टिप्पणी की। इस दौरान उन्होंने तालिबान से ईरानी हाइड्रोलॉजिस्ट को हेलमंद नदी के जलस्तर की जांच करने की अनुमति देने का भी आग्रह किया।
गौरतलब है कि अगस्त 2021 में अमेरिका और नाटो दो दशकों के युद्ध के बाद अफगानिस्तान छोड़कर निकल गए। जिसके तत्काल बाद ही तालिबान ने अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा कर लिया।
ईरान का 97 फीसदी हिस्सा सूखा प्रभावित!
ईरानी अधिकारियों ने हमेशा ही ईरान और अफगानिस्तान के बीच 1973 के हेलमंद नदी समझौते के महत्व पर जोर दिया, जो साझा जल संसाधनों की बात कहती है। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन के अनुसार, पिछले 30 सालों से ईरान सूखे की समस्या का सामना कर रहा है, लेकिन पिछले एक दशक में यह समस्या और भी ज्यादा गंभीर हो गई है।
ईरान मौसम विज्ञान संगठन का कहना है कि देश का अनुमानित 97 फीसदी हिस्सा अब किसी न किसी स्तर के सूखे का सामना कर रहा है।