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Israel Hamas War: खूनी संघर्ष के बीच दुनिया के दो सुपरपावर देश उठा रहे फायदा, जंग के बीच कुछ ऐसे चल रहे हैं दांव

अधिकांश पश्चिमी सरकारें इजरायल (Israel Hamas War) के समर्थन में एकजुट हो गई हैं। हालांकि दो ऐसे देश है जो इस युद्ध को लेकर अपनी अलग ही धारणा बनाए हुए है। चीन और रूस गाजा में इजरायल की सैन्य जवाबी हमले और फलिस्तीनी नागरिकों पर इसके प्रभाव की आलोचना करने से जरा भी नहीं करतराते हैं। इजरायल और हमास के बीच लड़ाई से रूस और चीन को क्या फायदा होगा?

By AgencyEdited By: Nidhi AvinashUpdated: Mon, 13 Nov 2023 12:15 PM (IST)
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खूनी संघर्ष के बीच दुनिया के दो सुपरपावर देश उठा रहे फायदा (Image: Jagran Graphic)

पीटीआई, लैंकेस्टर (यूके)। Israel-Hamas War: इजरायल-हमास युद्ध को आज 37 दिन हो गए हैं, लेकिन हालात सुधरने का नाम ही नहीं ले रहे है। सवाल है कि गाजा में इजरायल-हमास संघर्ष से आखिर किस देश को सबसे ज्यादा फायदा हो रहा है?

जानकारी के लिए बता दें कि अधिकांश पश्चिमी सरकारें इजरायल के समर्थन में एकजुट हो गई हैं, हालांकि, दो ऐसे देश है जो इस युद्ध को लेकर अपनी अलग ही धारणा बनाए हुए है। चीन और रूस ये वो दो देश हैं, जो गाजा में इजरायल की सैन्य जवाबी हमले और फलिस्तीनी नागरिकों पर इसके प्रभाव की आलोचना करने से जरा भी नहीं कतराते हैं।

क्या चीन और रूस को हो रहा फायदा?

समाचार एजेंसी PTI के मुताबिक, इजरायल और हमास के बीच लड़ाई से रूस और चीन को फायदा होता है या नहीं, यह काफी हद तक एक धारणा का विषय है। जबकि, पश्चिम रूस और चीन को अवसरवादी के रूप में देख रहे है। हालांकि, रूस और चीन को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनका हश्र पश्चिम जैसा न हो,क्योंकि यूक्रेन और गाजा संकट के विपरीत व्यवहार में उनके पाखंड के लिए आलोचना की जा रही है।

7 अक्टूबर का हमला और बदल गया सबकुछ

7 अक्टूबर को हमास द्वारा एक आश्चर्यजनक हमला शुरू करने के बाद से गाजा पर पश्चिम और बाकी हिस्सों के बीच विभाजन गहराता जा रहा है। इस्लामी संगठन हमास ने इजरायली क्षेत्र पर आक्रमण किया, सैकड़ों लोगों को मार डाला और 200 से अधिक बंधकों का अपहरण कर लिया। इस हिंसा से पूरी दुनिया स्तब्ध हो गई थी।

कई देश कर रहे इजरायल का समर्थन, लेकिन चीन और रूस का क्या हाल?

कई पश्चिमी देश इस यु्द्ध को लेकर इजरायल का समर्थन कर रहे है। हालांकि, रूस और चीन ने अपने बयानों में काफी संतुलन बनाया हुआ है। गाजा पर किए गए हमलों से लेकर मानवीय सहायता को प्रतिबंधित करते हुए बिजली और पानी की आपूर्ति पर रोक लगाने के इजरायल के फैसले का चीन और रूस ने जमकर आलोचना की थी। बता दें कि अब तक दस लाख से अधिक नागरिक विस्थापित हो गए है और गाजा में इजरायल ने कड़ी घेराबंदी कर दी है।

हमास के हमले के बाद के हफ्तों में, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को आम सहमति तक पहुंचने के लिए संघर्ष करना पड़ा। एक तरफ संयुक्त राज्य अमेरिका और दूसरी तरफ रूस और (कभी-कभी) चीन के वीटो के कारण प्रस्तावों का मसौदा तैयार करने के चार प्रयास अब तक विफल रहे हैं।

प्रस्ताव में नागरिकों पर किए गए हमलों की निंदा

बता दें कि गाजा में लाखों जरूरतमंदों तक मानवीय सहायता पहुंचाने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बुधवार को प्रस्ताव जारी किया गया है। प्रस्तावित अधिकांश प्रस्तावों में नागरिकों पर हमलों की निंदा की गई है। आम सहमति के बाद 27 अक्टूबर को मानवीय संघर्ष विराम के लिए एक गैर-बाध्यकारी प्रस्ताव सफलतापूर्वक पारित किया गया। प्रस्ताव में नागरिकों पर हमलों की निंदा की गई और 'नागरिकों की सुरक्षा और कानूनी और मानवीय दायित्वों को कायम रखने' का आह्वान किया गया।

प्रस्ताव का अमेरिका ने किया विरोध

रूस और चीन, अरब दुनिया के अधिकांश देशों और ग्लोबल साउथ के साथ उन 120 सदस्य देशों में शामिल थे, जिन्होंने पक्ष में मतदान किया, जबकि 14 ने विरोध में मतदान किया (अमेरिका सहित ऑस्ट्रेलिया, जिसने हमास पर किसी भी स्पष्ट संदर्भ के बहिष्कार का विरोध किया) और 45 ने मतदान से परहेज किया। बता दें कि इस प्रस्ताव में पूर्वी यरुशलम और फिलिस्तीन क्षेत्र और कब्जे वाले वेस्ट सीरियाई में इजरायल की ओर से गलत तरीके से की जा रही कार्रवाई की आलोचना की थी।

रूस की स्थिति यूक्रेन में चल रहे उसके युद्ध से भी प्रभावित हो सकती है। मॉस्को को उम्मीद है कि इजरायल-हमास संघर्ष पश्चिमी ध्यान और हथियारों की आपूर्ति सहित व्यावहारिक सहायता को यूक्रेन से दूर कर सकता है। इजराइल-हमास युद्ध पर रूसी और चीनी स्थिति संभावित रूप से क्षेत्र और उसके बाहर उनके सहयोगियों के साथ समस्याएं पैदा कर सकती है।

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