Israel Hamas War: मोसाद...वो खुफिया एजेंसी जिसके नाम से थर-थर कांपते थे दुश्मन, कैसे हुई नाकाम; ऐसे करती है काम
Israel Hamas War ईरानी सुरक्षा अधिकारियों ने हमास को इजरायल पर घातक हमले की योजना बनाने में मदद की थी। वॉल स्ट्रीट जर्नल (डब्ल्यूएसजे) की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। डब्ल्यूएसजे की रिपोर्ट में आतंकी समूहों हमास और हिजबुल्ला के वरिष्ठ सदस्यों के हवाले से कहा गया है कि ईरान ने पिछले सोमवार को बेरूत में आयोजित एक बैठक में इस हमले के लिए मंजूरी दी थी।
आतंकी समूहों तक में मोसाद का तगड़ा नेटवर्क
कलेक्शन डिपार्टमेंट सबसे बड़ा विभाग
मोसाद का कलेक्शन डिपार्टमेंट सबसे बड़ा डिवीजन है जोकि दुनियाभर में जासूसी अभियानों के लिए जिम्मेदार है। एजेंट सूचनाएं एकत्र करते हैं। राजनीतिक कार्रवाई और संपर्क विभाग राजनीतिक गतिविधियों का संचालन करता है और वह मित्र देशों की खुफिया एजेंसियों के साथ काम करने के अलावा उन देशों के साथ भी काम करता है जिनके साथ इजरायल के औपचारिक राजनयिक संबंध नहीं हैं।मेत्साडा चलाता है हत्या और मनोवैज्ञानिक युद्ध जैसे अभियान
स्पेशल आपरेशंस डिवीजन जिसे कि मेत्साडा के नाम से भी जाना जाता है, अत्यधिक संवेदनशील हत्याएं, तोड़फोड़, अर्धसैनिक और मनोवैज्ञानिक युद्ध आदि अभियान चलाता है। इसका एलएपी (लोहामा साइकोलोगिट) विभाग मनोवैज्ञानिक युद्ध, प्रोपेगंडा आदि के लिए जिम्मेदार होता है।रिसर्च और तकनीकी विभाग भी हैं अलग से
रिसर्च विभाग दैनिक स्थिति रिपोर्ट, साप्ताहिक सारांश और विस्तृत मासिक रिपोर्ट के आधार पर खुफिया रिपोर्ट तैयार करता है। इसका तकनीकी विभाग मोसाद के ऑपरेशनों को अंजाम देने के लिए एडवांस तकनीक विकसित करता है।हमास आतंकियों ने गुरिल्ला रणनीति अपनाई
गाजा-इजरायल सीमा पर कैमरे, ग्राउंड-मोशन सेंसर और हाईटेक सुरक्षा उपकरणों के साथ नियमित सेना की गश्त के बावजूद हमास (Hamas) आतंकी घुसपैठ करने में कामयाब रहे तो इसके पीछे उनकी गुरिल्ला रणनीति रही। हमास की ओर से गाजा से इजरायल पर दागे गए हजारों राकेटों के बीच सुबह सवेरे आतंकी तारों की दीवार तोड़ते हुए न केवल जमीन से दाखिल हुए बल्कि नावों और पैराग्लाइडरों के जरिये भी इजरायल में प्रवेश कर गए और आतंकी हमलों को अंजाम दिया।इससे पहले की इजरायल संभल पाता, हमास अपने मंसूबे में कामयाब हो चुका था। खबरें हैं कि हमास के लड़ाके घर-घर जाकर हमले कर रहे थे, नागरिकों को गोली मार रहे थे या उन्हें घसीट कर अपने साथ ले जा रहे थे।खुफिया तंत्र
यह एक बड़ी विफलता है। यह हमला वास्तव में यह साबित करता है कि गाजा में हमारे खुफिया तंत्र ने ठीक से काम नहीं किया। जब सबकुछ शांत हो जाएगा तो यह पता लगाया जाना चाहिए कि यह सब कैसे हुआ?- याकोव एमिडरर, इजरायल के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार
खुफिया जानकारी हासिल
यह भी पढ़ें: UP Crime: भगोड़े सिपाही ने कागजों में खुद को मरा दिखाया, नाम बदलकर यूपी पुलिस में की नौकरीगाजा के अंदर पैर जमाए बिना इजरायल की एजेंसियां खुफिया जानकारी हासिल करने के लिए तकनीकी साधनों पर तेजी से निर्भर हो गई हैं। गाजा में आतंकियों ने हमारे तकनीकी प्रभुत्व से निपटना सीख लिया है और उन्होंने ऐसी तकनीक का उपयोग करना बंद कर दिया जो इसे उजागर कर सकती थी। -अमीर अवीवी, सेवानिवृत्त इजरायली जनरल