Move to Jagran APP

Israel Hamas War: मोसाद...वो खुफिया एजेंसी जिसके नाम से थर-थर कांपते थे दुश्मन, कैसे हुई नाकाम; ऐसे करती है काम

Israel Hamas War ईरानी सुरक्षा अधिकारियों ने हमास को इजरायल पर घातक हमले की योजना बनाने में मदद की थी। वॉल स्ट्रीट जर्नल (डब्ल्यूएसजे) की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। डब्ल्यूएसजे की रिपोर्ट में आतंकी समूहों हमास और हिजबुल्ला के वरिष्ठ सदस्यों के हवाले से कहा गया है कि ईरान ने पिछले सोमवार को बेरूत में आयोजित एक बैठक में इस हमले के लिए मंजूरी दी थी।

By Jagran NewsEdited By: Narender SanwariyaPublished: Tue, 10 Oct 2023 06:00 AM (IST)Updated: Tue, 10 Oct 2023 07:00 AM (IST)
Israel Hamas War: कैसे मात खा गई मोसाद, किलिंग मशीन के नाम से मशहूर इजरायल की खुफिया एजेंसी की कहानी

जेएनएन, नई दिल्ली। मोसाद, इजरायल की खुफिया एजेंसी। तीन बिलियन के वार्षिक बजट और सात हजार मंजे हुए कर्मियों के साथ दुनियाभर में अजेय और किलिंग मशीन के नाम से मशहूर और अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआइए (Central Intelligence Agency) के बाद पश्चिम की सबसे सशक ये खुफिया एजेंसी इजरायल पर हमास हमले को रोकने में नाकाम रही।

विशेषज्ञ भी हैरान हैं कि इजरायल को हमेशा अपनी जिस खुफिया एजेंसी (Mossad) पर सदा गर्व रहा है, वे नाकाम हुईं तो हुईं कैसे? कैसे इजरायल के सुरक्षा तंत्र को इसकी भनक तक नहीं लगी। वैसे भी मोसाद का खुफिया जानकारी जुटाने, गुप्त आपरेशनों को अंजाम तक पहुंचाने और आतंकवाद का मुकाबला करने में कोई सानी नहीं है।

यही नहीं, गाजा में फलस्तीनियों पर इजरायल की नजर वैसे भी हमेशा बनी रहती है। ड्रोन के जरिए आसमान से लगातार निगरानी रखी जाती है। अभेद्य दिखने वाली सीमा पर हमेशा सुरक्षा कैमरे और सैनिक तैनात रहते हैं। आइए जानते हैं कैसे काम करती है मोसाद और क्यों यह हमला रोकने में नाकाम रही।

आतंकी समूहों तक में मोसाद का तगड़ा नेटवर्क

मोसाद के कई विभाग हैं, लेकिन इसकी आंतरिक संरचना का विवरण ज्यादातर गुप्त रहता है। इसका न केवल फलस्तीनी आतंकी समूहों के अंदर बल्कि लेबनान, सीरिया और ईरान जैसे शत्रु देशों में भी मुखबिरों और एजेंटों का एक तगड़ा नेटवर्क है।

मोसाद का विशाल जासूसी नेटवर्क उसे न केवल आतंकियों के आकाओं की गतिविधियों के बारे में गहन जानकारी प्रदान करता है बल्कि वह जरूरत पड़ने पर उनकी हत्याओं को अंजाम देने में भी नहीं चूकते। इसी खुफिया एजेंसी की मदद से इजरायल ने वेस्ट बैंक में रची गई कई साजिशों को नाकाम किया, दुबई में कथित तौर पर हमास के चरमपंथियों का खात्मा किया और ईरान में घुसकर ईरानी परमाणु वैज्ञानिकों पर हमला करके उन्हें मौत की नींद सुला दिया।

कलेक्शन डिपार्टमेंट सबसे बड़ा विभाग

मोसाद का कलेक्शन डिपार्टमेंट सबसे बड़ा डिवीजन है जोकि दुनियाभर में जासूसी अभियानों के लिए जिम्मेदार है। एजेंट सूचनाएं एकत्र करते हैं। राजनीतिक कार्रवाई और संपर्क विभाग राजनीतिक गतिविधियों का संचालन करता है और वह मित्र देशों की खुफिया एजेंसियों के साथ काम करने के अलावा उन देशों के साथ भी काम करता है जिनके साथ इजरायल के औपचारिक राजनयिक संबंध नहीं हैं।

मेत्साडा चलाता है हत्या और मनोवैज्ञानिक युद्ध जैसे अभियान

स्पेशल आपरेशंस डिवीजन जिसे कि मेत्साडा के नाम से भी जाना जाता है, अत्यधिक संवेदनशील हत्याएं, तोड़फोड़, अर्धसैनिक और मनोवैज्ञानिक युद्ध आदि अभियान चलाता है। इसका एलएपी (लोहामा साइकोलोगिट) विभाग मनोवैज्ञानिक युद्ध, प्रोपेगंडा आदि के लिए जिम्मेदार होता है।

रिसर्च और तकनीकी विभाग भी हैं अलग से

रिसर्च विभाग दैनिक स्थिति रिपोर्ट, साप्ताहिक सारांश और विस्तृत मासिक रिपोर्ट के आधार पर खुफिया रिपोर्ट तैयार करता है। इसका तकनीकी विभाग मोसाद के ऑपरेशनों को अंजाम देने के लिए एडवांस तकनीक विकसित करता है।

हमास आतंकियों ने गुरिल्ला रणनीति अपनाई

गाजा-इजरायल सीमा पर कैमरे, ग्राउंड-मोशन सेंसर और हाईटेक सुरक्षा उपकरणों के साथ नियमित सेना की गश्त के बावजूद हमास (Hamas) आतंकी घुसपैठ करने में कामयाब रहे तो इसके पीछे उनकी गुरिल्ला रणनीति रही।

हमास की ओर से गाजा से इजरायल पर दागे गए हजारों राकेटों के बीच सुबह सवेरे आतंकी तारों की दीवार तोड़ते हुए न केवल जमीन से दाखिल हुए बल्कि नावों और पैराग्लाइडरों के जरिये भी इजरायल में प्रवेश कर गए और आतंकी हमलों को अंजाम दिया।

इससे पहले की इजरायल संभल पाता, हमास अपने मंसूबे में कामयाब हो चुका था। खबरें हैं कि हमास के लड़ाके घर-घर जाकर हमले कर रहे थे, नागरिकों को गोली मार रहे थे या उन्हें घसीट कर अपने साथ ले जा रहे थे।

खुफिया तंत्र

यह एक बड़ी विफलता है। यह हमला वास्तव में यह साबित करता है कि गाजा में हमारे खुफिया तंत्र ने ठीक से काम नहीं किया। जब सबकुछ शांत हो जाएगा तो यह पता लगाया जाना चाहिए कि यह सब कैसे हुआ?- याकोव एमिडरर, इजरायल के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार

खुफिया जानकारी हासिल

गाजा के अंदर पैर जमाए बिना इजरायल की एजेंसियां खुफिया जानकारी हासिल करने के लिए तकनीकी साधनों पर तेजी से निर्भर हो गई हैं। गाजा में आतंकियों ने हमारे तकनीकी प्रभुत्व से निपटना सीख लिया है और उन्होंने ऐसी तकनीक का उपयोग करना बंद कर दिया जो इसे उजागर कर सकती थी। -अमीर अवीवी, सेवानिवृत्त इजरायली जनरल

यह भी पढ़ें: UP Crime: भगोड़े सिपाही ने कागजों में खुद को मरा दिखाया, नाम बदलकर यूपी पुलिस में की नौकरी


This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.