Israel Hamas War: ईंधन टैंकरों ने गाजा में किया प्रवेश, इजरायल ने मानवीय चिंताओं के बीच नियमित आपूर्ति की दी मंजूरी
फैसले के तहत हर 48 घंटे में 140000 लीटर ईंधन गाजा में प्रवेश करेगा जिसमें से अधिकांश पानी और सीवेज के उपयोग के लिए आवंटित किया जाएगा। इसका एक छोटा हिस्सा यानि हर 48 घंटे में लगभग 20000 लीटर सेल फोन और इंटरनेट सेवाओं के लिए पालटेल जनरेटर को बिजली देगा। इजरायल की इस मंजूरी के पीछे का तर्क गाजा में मानवीय संकट को बताया गया है।
By AgencyEdited By: Mohammad SameerUpdated: Sat, 18 Nov 2023 06:01 AM (IST)
एएनआई, इजरायल। इजरायली सरकार ने गाजा में नियमित ईंधन आपूर्ति को मंजूरी दे दी है। सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, इस मंजूरी के बाद दो ईंधन टैंकरों ने शुक्रवार को राफा क्रॉसिंग के माध्यम से युद्ध प्रभावित क्षेत्र गाजा में प्रवेश किया।
इजरायली सैन्य प्रवक्ता रियर एडमिरल डैनियल हगारी के अनुसार, कुल 60,000 लीटर डीजल ईंधन ले जाने वाले टैंकरों को अंतरराष्ट्रीय संगठनों विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र राहत और कार्य एजेंसी (UNRWA ) द्वारा उपयोग के लिए अधिकृत किया गया था। रियर एडमिरल हगारी ने कहा कि ये ईंधन दक्षिणी पट्टी को पानी प्रदान करने वाली Desalination Facilities के लिए अहम है। इस प्रक्रिया की निगरानी का नेतृत्व संयुक्त राज्य अमेरिका और मिस्र करते हैं।
एक दिन में दो ईंधन टैंकर करेंगे प्रवेश
इजरायल का यह फैसला एक दिन में दो ईंधन टैंकरों को गाजा में प्रवेश करने की अनुमति देता है, जो बिजली की कमी के कारण ढहने के कगार पर पहुंची पानी और सीवेज प्रणालियों को आवश्यक सहायता प्रदान करेगा। इजरायल के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार तजाची हानेग्बी ने शुक्रवार की ब्रीफिंग में इन प्रणालियों की स्थितियों पर चर्चा की।अमेरिकी विदेश विभाग के एक अधिकारी ने सीएनएन को बताया कि स्वीकृत फैसले के तहत हर 48 घंटे में 1,40,000 लीटर ईंधन गाजा में प्रवेश करेगा, जिसमें से अधिकांश पानी और सीवेज के उपयोग के लिए आवंटित किया जाएगा। अतिरिक्त उपयोग में संयुक्त राष्ट्र राहत एजेंसी के ट्रक, अपशिष्ट निपटान, बेकरियां और दक्षिणी गाजा में अस्पताल शामिल हैं। इसका एक छोटा हिस्सा यानि हर 48 घंटे में लगभग 20,000 लीटर, सेल फोन और इंटरनेट सेवाओं के लिए पालटेल जनरेटर को बिजली देगा।
इजरायल की इस मंजूरी के पीछे का तर्क गाजा में मानवीय संकट को बताया गया है। हनेग्बी ने कहा-
हमें ऐसी महामारियों की जरूरत नहीं है जो वहां के नागरिकों, हमारे लड़ाकू सैनिकों को प्रभावित कर सकती हैं और यदि महामारी होगी, तो लड़ाई बंद हो जाएगी। हम मानवीय संकट और वैश्विक संकट की परिस्थितियों में लड़ना जारी नहीं रख पाएंगे।