Move to Jagran APP

Israel Hamas War: युद्ध के बीच इजराइल में खुलेंगे इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशन, ऊर्जा और इंफ्रास्ट्रक्चर मंत्रालय का एलान

हमास के साथ चल रहे युद्ध के बीच इजरायल का ऊर्जा और इंफ्रास्ट्रक्चर मंत्रालय देशभर में यातायात मार्गों और केंद्रीय स्थानों पर 707 अल्ट्रा-फास्ट और हाई-स्पीड (डीसी) चार्जिंग स्टेशनों को लगाने के लिए धन मुहैया करा रहा है। मंत्रालय देशभर के 52 उद्यमियों को लगभग 7 मिलियन अमेरिकी डॉलर आवंटित करेगा।

By AgencyEdited By: Mohd FaisalUpdated: Wed, 01 Nov 2023 09:11 AM (IST)
Hero Image
Israel Hamas War: युद्ध के बीच इजराइल में खुलेंगे इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशन, ऊर्जा और इंफ्रास्ट्रक्चर मंत्रालय का एलान
एएनआई, तेल अवीव। हमास के साथ चल रहे युद्ध के बीच इजरायल का ऊर्जा और इंफ्रास्ट्रक्चर मंत्रालय देशभर में यातायात मार्गों और केंद्रीय स्थानों पर 707 अल्ट्रा-फास्ट और हाई-स्पीड (डीसी) चार्जिंग स्टेशनों को लगाने के लिए धन मुहैया करा रहा है।

ऊर्जा और इंफ्रास्ट्रक्चर मंत्रालय का फैसला

ऊर्जा और इंफ्रास्ट्रक्चर मंत्रालय ने जानकारी देते हुए बताया कि गैस प्रशासन ने इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए फास्ट और अल्ट्रा-फास्ट चार्जिंग स्टेशनों के निर्माण के लिए टेंडर के विजेताओं के नामों की घोषणा की है। मंत्रालय देशभर के 52 उद्यमियों को लगभग 7 मिलियन अमेरिकी डॉलर आवंटित करेगा।

350 अल्ट्रा-फास्ट चार्जिंग स्टेशन और 357 फास्ट चार्जिंग होंगे स्थापित

ऊर्जा और इंफ्रास्ट्रक्चर मंत्रालय ने बताया कि इजरायल में इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए 350 अल्ट्रा-फास्ट चार्जिंग स्टेशन और 357 फास्ट चार्जिंग स्टेशन जल्द ही पूरे देश में स्थापित किए जाएंगे। उल्लेखनीय है कि इजरायल में वर्तमान में 4,000 से अधिक सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन हैं, जिनमें से लगभग 3,400 धीमी हैं और 600 से अधिक तेज हैं।

यह भी पढ़ें- Israel Hamas War: गाजा में हमास के अड्डों में बदल रहे अस्पताल, जाने से बचें!...इजरायल ने फलीस्तीनियों को चेताया

इतने मिनट में होगा चार्ज

बता दें कि अल्ट्रा-फास्ट चार्जिंग स्टेशन पर 10 मिनट का चार्ज करने के बाद 150-200 किमी की यात्रा हो पाएगी। इसके अलावा फास्ट चार्जिंग स्टेशन (डीसी) पर 30 मिनट का चार्ज करने के बाद 150-200 किमी की यात्रा की जा सकेगी।

यह भी पढ़ें- Israel Hamas War: मिडिल ईस्ट में 300 अतिरिक्त सैनिकों को भेजेगा अमेरिका, आखिर क्यों लेना पड़ा यह फैसला?