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Israel Hamas War: बीच मझधार में फंसे गाजा पट्टी के लोग, इजरायली सेना के खौफ से पलायन शुरु; मौत को मात देकर जीना हो रहा मुहाल

इजरायली सेना ने गाजा पट्टी पर रहने वाले लोगों ने तुरंत क्षेत्र खाली करने को कहा है। हालांकि इसके बाद गाजा पट्टी पर रहने वालों के सामने एक अजीब उलझन खड़ी है अगर वो क्षेत्र खाली कर के जाते हैं तो वे बेघर हो जाएंगे और अगर वहीं रहे तो कब मौत उन्हें गले लगा ले इसका कोई भरोसी नहीं है।

By AgencyEdited By: Shalini KumariUpdated: Sat, 14 Oct 2023 09:36 AM (IST)
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पलायन करने को मजबूर हुए लाखों लोग

एपी, गाजा। हमास आतंकियों और इजरायल के बीच छिड़े इस युद्ध में गाजा पट्टी पर रहने वाले लोगों को सबसे अधिक नुकसान झेलना पड़ रहा है। उत्तरी गाजा में जबालिया शरणार्थी शिविर की टूटी-फूटी गलियों को खाली और सुनसान देखकर नाजी जमाल एक बड़ी असमंजस में फंसे हुए हैं।

इस समय नाजी जमाल इस उलझन में फंसे हैं कि क्या उन्हें इजरायली सेना की मांग पर ध्यान देना चाहिए, जिसमें सभी फलस्तीनियों को खाली करने के लिए कहा गया है और बेघर होकर भटकने के लिए कहा है या फिर अपने घरों मं ही रहे और इजरायली सेना के लक्ष्य का शिकार बनें। सरल शब्दों में कहा जाए, तो इस समय फलस्तीनियों के पास एक स्पष्ट रास्ता नहीं है कि आखिर आगे उन्हें क्या करना है।

फलस्तीनियों को मिला 24 घंटे का समय

34 वर्षीय स्वास्थ्य क्लिनिक कर्मचारी जमाल ने कहा, "यह एक सीधा प्रश्न है, लेकिन इसका कोई जवाब नहीं है। वहां कोई सुरक्षित ठिकाना नहीं है, ऐसी कोई जगह नहीं है, जहां गोलाबारी और घेराबंदी नहीं की जा रही हो, जाने के लिए कोई जगह नहीं है।"

उत्तरी गाजा और गाजा शहर में नागरिकों के लिए एक अभूतपूर्व आदेश में, इजरायली सेना ने जमाल और 1.1 मिलियन अन्य फलस्तीनियों को निर्णय लेने के लिए मात्र 24 घंटे का समय दिया है। मालूम हो कि यह हमास के क्रूर हमले से प्रेरित इजरायली बमबारी का छठा दिन था, जिसमें 1,300 से अधिक इजरायली मारे गए।

रिजर्व गाजा सीमा की ओर बढ़ रही इजरायली सेना

जैसे-जैसे समय बीत रहा है, वैसे-वैसे हजारों की संख्या में इजरायली सेना रिजर्व गाजा की उत्तरी सीमा के पास इकट्ठा हो रहे हैं। इजरायली लड़ाकू विमान आसमान में गरज रहे हैं और बमबारी करने के लिए अपने लक्ष्य निर्धारित कर रहे हैं। सहायता समूहों ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की कि वे जबरन स्थानांतरण के संभावित युद्ध अपराध की निंदा करें और इनका समर्थन करें।

अस्पताल छोड़कर भागने से किया इनकार

फलस्तीनी डॉक्टरों ने कहा कि उन्हें लगता है कि उनके पास रुकने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। गाजा के सबसे बड़े अस्पताल शिफा को खाली कराने का कोई रास्ता नहीं था। अस्पताल के महानिदेशक मोहम्मद अबू सेलिम ने कहा, "अस्पताल के बिस्तर भर गए, इसका मुर्दाघर भर गया, गाजा में 600 मरीजों को रखने के लिए कोई अन्य सुरक्षित जगह नहीं थी, उनमें से कई हमलों के कारण गंभीर स्थिति में थे।

अबू सेलिम ने कहा, "हमें खाली करने के लिए कहना हास्यास्पद है, यह असंभव है।" इजरायली सेना का कहना है कि उसके हवाई हमले आतंकवादियों के बुनियादी ढांचे को निशाना बनाते हैं, नागरिकों को नहीं, लेकिन फलस्तीनियों ने इस दावे को खारिज कर दिया है।

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बमबारी से लोगों में खौफ

चारों तरफ हो रही जोरदार बमबारी के कारण बहुत से लोग अपनी जान बचाने के लिए दक्षिण की ओर भाग गए और रिश्तेदारों की कारों में घुस गए। लोग अपने ट्रैक्टरों, घोड़ा गाड़ियों आदि से जगह खाली करने की कोशिश कर रहे हैं, जिसकी वजह से कई किलोमीटर लंबा जाम लग चुका है। जहां लोगों को मुश्किल से 45 मिनट लगते थे, वहां अब लोगों को दो घंटे का इंतजार करना पड़ा।

निकासी वाहनों पर हमला

हमास प्रेस कार्यालय ने कहा कि निकासी वाहनों पर इजरायली हवाई हमलों में लगभग 70 लोग मारे गए। गाजा सिटी के 37 वर्षीय निवासी अली अब्दुल बारी ने इजरायली सेना के बारे में कहा, "मुझे उन पर भरोसा नहीं है, लेकिन मैं अपने परिवार को सुरक्षित रखने के लिए जो कुछ भी कर सकता हूं, वह हमेशा करूंगा।"

दरअसल, गाजा शहर के उत्तर-पश्चिमी में स्थित बारी का अपार्टमेंट गुरुवार देर रात एक बड़े हवाई हमले में नष्ट हो गया। इसके बाद वह निकासी का आदेश मिलने पर दक्षिणी गाजा के एक शहर खान यूनिस पहुंचे, लेकिन अपने परिवार के सभी सदस्यों को कार में नहीं बिठा सके। उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने परिवार से वादा किया है कि वह शनिवार को उन लोगों के पास पहुंच जाएंगे, लेकिन यह फैसला लेना आसान नहीं था।

1948 के युद्ध को मानते हैं तबाही

इन खतरे के बावजूद, कुछ लोगों ने अपना घर छोड़ने से इनकार कर दिया हैं। उन्होंने लोगों के गुजरते काफिलों को देखकर कहा कि जो लोग युद्ध में अपना घर छोड़कर गए हैं, वो लोग कभी वापस नहीं आएं हैं, इसलिए वह कहीं नहीं जाएंगे। कुछ फलस्तीनी 1948 के युद्ध को नकबा या तबाही कहते हैं। उस दौरान लगभग 700,000 लोग भाग गए थे या इजरायलियों द्वारा उनके घरों से निकाल दिए गए थे।

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