Israel Hamas War: गाजा में बद से बदतर हुए हालात, भूख से तड़प रहे लोग; फलस्तीनियों को सता रहा 1948 का डर
खान यूनिस में सफेद टेंटों की एक के बाद एक कतारें दिख रही हैं। लोग भूख से तड़प रहे हैं। भूख शांत करने के लिए कुछ रोटियां मिल जाए इसके लिए वे संयुक्त राष्ट्र कार्यकर्ताओं का इंतजार कर रहे हैं।
एपी, खान यूनिस (गाजा पट्टी)। इजरायल और हमास के बीच युद्ध से विस्थापित हुए फलस्तीनियों ने टैंट कैंप में शरण ले रखी है। पिछले हफ्ते इजरायली सेना ने फलस्तीनियों को उत्तरी गाजा खाली करने को कहा था। इस फैसले से उत्तरी गाजा में रहने वाले फलस्तीनी बेघर हो गए और दर दर भटने को मजबूर हैं। लगभग दो सप्ताह पहले हमास आतंकियों के हमले के बाद इजरायली बमबारी के दौरान सैकड़ों फलस्तीनियों ने अपने घर खो दिए हैं।
खान यूनिस में सफेद टेंटों की एक के बाद एक कतारें दिख रही हैं। लोग भूख से तड़प रहे हैं। भूख शांत करने के लिए कुछ रोटियां मिल जाए इसके लिए वे संयुक्त राष्ट्र कार्यकर्ताओं का इंतजार कर रहे हैं।
फलस्तीनियों द्वारा जल्दबाजी में तंबू स्थापित करने के दृश्य सामूहिक पलायन की दर्दनाक यादें ताजा कर रही हैं, जिसे फलस्तीनी नकबा, या 'तबाही' कहते हैं। 1948 के युद्ध से पहले और उसके दौरान के महीनों में अनुमानित 700,000 फलस्तीनी पलायन को मजबूर हुए थे। उन्हें इजरायल से निष्कासित कर दिया गया।
75 साल बाद वेस्ट बैंक, गाजा और पड़ोसी अरब देशों में वे अस्थायी तंबू स्थायी घर बन गए हैं। गाजा पहले से ही आठ स्थायी शिविर हैं, जो पिछले कुछ वर्षों में भीड़भाड़ वाले शहरी इलाकों में बदल गए हैं। लेकिन खान यूनुस के तंबुओं और इजरायली चेतावनियों पर चिंता बढ़ गई है।