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Israel Hamas War: 'वो हमें फिर बेघर करना चाहते हैं...', 'नकबा' दोहराए जाने के डर से सिहर उठते हैं गाजा के लोग

तबाही के मंजर के बीच उम्म अहमद और उनके दो बेटे अपना कुछ सामान बचाने की कोशिश कर रहे हैं। उम्म अहमद कहती है- हमने एक नारकीय रात बिताई है। आसमान लाल था सब कुछ नष्ट हो गया था। मैं बच्चों के लिए कपड़े ढूंढने की कोशिश कर रही हूं ताकि उन्हें ठंड न लगे। वो (इजरायल) हमें बेघर करना चाहते हैं।

By AgencyEdited By: Mohammad SameerUpdated: Sun, 22 Oct 2023 05:30 AM (IST)
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'नकबा' दोहराए जाने के डर से सिहर उठते हैं गाजा के लोग
एएफपी, गाजा। Israel Hamas War। उमर अशूर 75 साल पहले इजरायल के निर्माण के बाद फिलिस्तीनियों की जिंदगी पर गुजरे नकबा (तबाही) के दौरान शरणार्थी बन गए थे और अब उन्हें डर है कि गाजा पर चल रही बमबारी उन्हें फिर से निर्वासन के लिए मजबूर कर देगी।

एएफपी की खबर के मुताबिक, Palestinian Authority security forces के सेवानिवृत्त जनरल 83 वर्षीय अशूर मध्य गाजा के अल-जहरा में रहते हैं, जहां गुरुवार देर रात इजरायली मिसाइलों ने 20 से अधिक इमारतों के क्षेत्र को नष्ट कर दिया। निवासियों को हमले से पहले भागने की चेतावनी दी गई थी, उनमें से कई लोग सड़क पर दौड़ पड़े। उन्हें पता नहीं था कि कहां जाना है...

एएफपी के एक पत्रकार ने कहा कि जब वो शुक्रवार की सुबह वापस लौटे, तो उन्हें तबाही का मंजर दिखाई दिया, इमारतों के कई ब्लॉक धुएं के खंडहर और मलबे में तब्दील हो गए थे।

यह क्षेत्र गाजा शहर से लगभग 10 किलोमीटर (छह मील) दक्षिण में स्थित है। सात अक्टूबर को हमास द्वारा इजरायल पर हमला करने के बाद से यह जगह इजरायली युद्धक विमानों की भीषण बमबारी के केंद्र में है। इस हमले की शुरुआत में कम से कम 1,400 लोग मारे गए हैं। जिनमें ज्यादातर नागरिक हैं।

इजरायल ने बमबारी से पहले उत्तरी गाजा में रहने वाले फिलिस्तीनियों से दक्षिण की ओर जाने का आग्रह किया था, लेकिन अशूर ने रुकने का फैसला किया। बमबारी के अलावा, उन्हें भविष्य की भी चिंता है। उन्हें डर है कि युद्ध गाजा के निवासियों (जिनमें से दो-तिहाई शरणार्थी हैं) को फिर से भागने के लिए मजबूर कर देगा।

यह भी पढ़ेंः इजरायली बमबारी की अरब जगत ने की निंदा, फलस्तीन के राष्ट्रपति बोले- अब हम नहीं छोड़ेंगे अपनी जमीन

नया नकबा जन्मेगा!

अशूर ने एएफपी को बताया कि, जो हो रहा है वह खतरनाक है।

उन्होंने इजरायल के निर्माण के साथ 1948 के युद्ध के दौरान भाग गए या अपने घरों से निकाले गए 760,000 फिलिस्तीनियों का जिक्र करते हुए कहा-

मुझे डर है कि चल रहे विनाश का एक स्पष्ट उद्देश्य है, लोगों के पास रहने के लिए जगह नहीं है जो एक नए नकबा को जन्म देगी। 

गाजा की 24 लाख की आबादी काफी हद तक उन शरणार्थियों के वंशजों से बनी है। अशूर सिर्फ आठ साल के थे जब वह और उनका परिवार 1948 में मजदल (जो आज इजरायली शहर अश्कलोन है) से गाजा भाग गए थे।

उन्होंने कहा-

आज जो हो रहा है वह बहुत बुरा है। उस समय इजरायल लोगों को मारने और भागने के लिए मजबूर करने के लिए गोलीबारी करता था, लेकिन वर्तमान स्थिति अधिक भयावह है।

गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार तब से लगातार इजरायली बमबारी में 4,300 से अधिक फिलिस्तीनी जिनमें अधिकतर आम नागरिक थे, मारे गए हैं।

हम अपनी जमीन नहीं छोड़ेंगे...

संयुक्त राष्ट्र का कहना है इस संघर्ष के कारण कम से कम दस लाख गाजावासी विस्थापित हो गए हैं साथ ही इजरायल ने गरीब इलाके में पानी, बिजली, ईंधन और भोजन की आपूर्ति भी बंद कर दी है।

रामी अबू वाजना अल-जहरा में विनाश को देखते हुए लड़खड़ा जाते हैं... धीमी आवाज में कहते हैं-

मैंने कभी नहीं सोचा था कि ऐसा हो सकता है।

हजारों निवासी जो भाग गए थे उन्होंने इजरायली हमलों से बचने के लिए आश्रय खोजने की कोशिश में रात बिताई। अबू वाजना ने कहते हैं कि-

हम पर बमबारी क्यों? हम नागरिक हैं... हम कहां जाएंगे? हमारा सब कुछ चला गया है।

उन्होंने आगे कहा-

हमने अपने दादा-दादी को नकबा के बारे में बात करते हुए सुना और आज हम ही इसे जी रहे हैं, लेकिन हम अपनी जमीन नहीं छोड़ेंगे।

हर तरफ फैले तबाही के मंजर के बीच उम्म अहमद और उनके दो बेटे अपना कुछ सामान बचाने की कोशिश कर रहे हैं। उम्म अहमद कहती है-

हमने एक नारकीय रात बिताई है। आसमान लाल था, सब कुछ नष्ट हो गया था।

वह कहती हैं, हम अपने साथ कुछ भी नहीं ले गए। मैं बच्चों के लिए कपड़े ढूंढने की कोशिश कर रही हूं ताकि उन्हें ठंड न लगे। वो (इजरायल) हमें बेघर करना चाहते हैं।