Israel-Hamas War: गाजा के कई इलाकों में इजरायल ने तेज किए हमले, अमेरिका और अरब देश संघर्ष विराम की पर दिखे असहमत
इजरायल हमास के बीच चल रहे युद्ध को लेकर अमेरिका और अरब देश संघर्ष विराम की पर असहमत दिखे हैं। यूएई ने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका को इजरायल-हमास युद्ध को शीघ्र समाप्त करने और दशकों पुराने इजरायल-फलस्तीनी मुद्दे को हल करने के लिए एक नई प्रक्रिया पर जोर देने की जरूरत है अन्यथा वाशिंगटन को अप्रभावी के रूप में देखा जाएगा।
By Jagran NewsEdited By: Jeet KumarUpdated: Sun, 05 Nov 2023 06:09 AM (IST)
एपी, गाजा पट्टी। इजरायल हमास के बीच चल रही जंग में हजारों की संख्या में लोग मारे गए हैं। हमास के खिलाफ इजरायली सैनिक पूरी ताकत के साथ लड़ रहे हैं। इस बीच अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने जॉर्डन में अरब विदेश मंत्रियों से मुलाकात की, ब्लिंकन ने जोर देकर कहा कि जब तक हमास द्वारा बंधक बनाए गए सभी बंधकों को रिहा नहीं किया जाता, तब तक कोई अस्थायी संघर्ष विराम नहीं हो सकता।
वहीं, जॉर्डन के विदेश मंत्री अयमान सफादी ने कहा कि अरब देश तत्काल युद्धविराम चाहते हैं, पूरा क्षेत्र नफरत में डूब रहा है जो आने वाली पीढ़ियों को प्रभावित करेगा। जॉर्डन की राजधानी अम्मान में ब्लिंकन ने अधिकारियों से बात की। ब्लिंकन ने फिलस्तीनी शरणार्थियों की मदद में जुटी संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी के प्रमुख से भी मुलाकात की और गाजा में मानवीय मदद पहुंचाने के लिए एजेंसी का आभार व्यक्त किया।
हमास के अधिकारी ने कही ये बात
हमास के वरिष्ठ अधिकारी ओसामा हमदान ने बेरूत में संवाददाताओं से कहा कि ब्लिंकन को आक्रामकता रोकनी चाहिए और ऐसे विचारों के साथ नहीं आना चाहिए जिन्हें लागू नहीं किया जा सकता है। उसने बताया कि हमास लड़ाकों ने पिछले दो दिनों में 24 इजरायली वाहनों को नष्ट कर दिया है और लोगों को हताहत किया है।यूएई ने कही ये बात
संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति के राजनयिक सलाहकार ने शनिवार को कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका को इजरायल-हमास युद्ध को शीघ्र समाप्त करने और दशकों पुराने इजरायल-फलस्तीनी मुद्दे को हल करने के लिए एक नई प्रक्रिया पर जोर देने की जरूरत है अन्यथा वाशिंगटन को अप्रभावी के रूप में देखा जाएगा। गाजा पट्टी पर इजरायल की बमबारी ने अरब देशों को नाराज कर दिया है, जो तेजी से बढ़ती नागरिक हताहतों की संख्या और इजरायल द्वारा तटीय फिलिस्तीनी क्षेत्र की नाकाबंदी से चिंतित हैं, जहां मानवीय सहायता की पहुंच सीमित है।