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Israel Hamas war: दूर से तमाशा देखने को क्यों मजबूर है ईरान, जंग में सीधा शामिल न होने के ये हैं बड़े कारण

Israel Hamas के बीच चल रही जंग में ईरान की तरफ से लगातार टिप्पणी की जा रही है। देश के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह खामेनेई भी इजरायल को चेता चुके हैं लेकिन ईरान लड़ाई में सीधे तौर पर शामिल नहीं हो रहा है पर क्यों? समझते हैं...

By AgencyEdited By: Mohammad SameerUpdated: Tue, 24 Oct 2023 06:00 AM (IST)
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जंग में सीधा शामिल न होने के ये हैं बड़े कारण

रॉयटर्स, दुबई। तारीख 15 अक्टूबर 2023, यानि हमास के इजरायल पर अटैक के ठीक आठ दिन बाद ईरान ने अपने कट्टर दुश्मन इजरायल को सख्त लहजे में एक चेतावनी जारी की... इसमें कहा गया था कि इजरायल गाजा पर अपना हमला रोके नहीं तो हम कार्रवाई करने के लिए मजबूर होंगे।

ईरान के विदेश मंत्री हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियन (Hossein Amir Abdollahian) ने ये चेतावनी दी थी। कुछ ही घंटों बाद देश के यूएन मिशन ने इस उग्र को नरम करते हुए दुनिया को आश्वासन दिया कि उसके सशस्त्र बल संघर्ष (Israel Hamas War) तब तक दखल नहीं देंगे जब तक कि इजरायल, ईरानी हितों या नागरिकों पर हमला नहीं करता।

अपने नए बयान में एक बार फिर ईरान के विदेश मंत्री हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियन ने इजरायल को चेतावनी देते हुए कहा है कि उसने अगर गाजा पर हमले नहीं रोके तो कभी भी कुछ भी हो सकता है।  इजरायल हमास विवाद में आए दिन ईरान की तरफ से टिप्पणी की जा रही है। देश के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह खामेनेई (Ayatollah Ali Khamenei) भी इजरायल को चेता चुके हैं, लेकिन ईरान लड़ाई में सीधे तौर पर शामिल नहीं हो रहा है, पर क्यों? चलिए जानते हैं...

पशोपेश में ईरान

नाम न छापने की शर्त पर नौ ईरानी अधिकारियों ने जानकारी देते हुए बताया कि, लंबे वक्त से हमास के समर्थन में खड़ा ईरान इस संघर्ष को मैनेज करने की कोशिश करने को लेकर दुविधा में है। क्योंकि गाजा पर इजरायली हमले के समय दूर रहकर तमाशा देखने से चार दशकों से अधिक समय से ईरान द्वारा अपनाई जा रही क्षेत्रीय प्रभुत्व की उसकी रणनीति तगड़ा झटका लगेगा। 

दूसरी तरफ अमेरिका समर्थित इजरायल के खिलाफ कोई भी बड़ा हमला ईरान पर भारी असर डाल सकता है और पहले से ही आर्थिक संकट में फंसे देश में 'धार्मिक शासकों' के खिलाफ जनता का गुस्सा भड़क सकता है।

इजरायल को अमेरिका (America) का समर्थन प्राप्त है। ईरान को चेतावनी के रूप में यूएसए ने दो विमान वाहक पोत (Aircraft Carriers) और लड़ाकू जेट (Fighter Jets) को आंशिक रूप से पूर्वी भूमध्य सागर में स्थानांतरित कर रखा है।

अधिकारियों ने कहा कि शीर्ष नेतृत्व में मौजूदा हालात को लेकर विभिन्न सैन्य, राजनयिक और घरेलू प्राथमिकताओं पर चर्चा की जा रही है। 

यह भी पढ़ेंः Israel Hamas War: गाजा में विस्थापन और मौत के बीच झूलती जिंदगियां, इजरायली सेना इन पांच कारण से नहीं कर रही जमीनी हमला

तीन सुरक्षा अधिकारियों ने कहा कि फिलहाल ईरान के शीर्ष निर्णय निर्माताओं के बीच आम सहमति बन गई है। गाजा से 200 किमी से अधिक दूर और निचले इलाकों में इजरायली सैन्य ठिकानों पर अपने लेबनानी प्रॉक्सी समूह हिजबुल्लाह द्वारा 'सीमित छापेमारी' की जाएगी। ईरान किसी भी बड़े तनाव से बचना चाहता है जो उसे भी संघर्ष में खींच ले।

ईरानी राज्य मीडिया के अनुसार, संसद की राष्ट्रीय सुरक्षा समिति के प्रमुख वाहिद जलालजादेह ने बुधवार को कहा था कि-

हम अपने दोस्तों हमास, इस्लामिक जिहाद और हिजबुल्लाह के संपर्क में हैं। उनका रुख यह है कि वे हमसे सैन्य अभियान चलाने की अपेक्षा नहीं करते हैं।

रॉयटर्स के मुताबिक, ईरान के विदेश मंत्रालय ने उभरते संकट पर देश की प्रतिक्रिया के बारे में टिप्पणी के अनुरोध का जवाब नहीं दिया जबकि इजरायली सैन्य अधिकारियों ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

टूटेगा ईरान का सपना!

यमन में सूत्रों ने बताया कि, फिलिस्तीन में तीन दशकों में हमास और सहयोगी समूह इस्लामिक जिहाद के माध्यम से फिलिस्तीनी एन्क्लेव में Power Based Establishment का खोकर ईरान के उस सपने को विफल कर देगा जो उसने मध्य पूर्व के लेबनान में हिजबुल्लाह से लेकर यमन में हौथिस तक हथियारबंद प्रॉक्सी समूहों का एक नेटवर्क बनाते देखा है। 

तीन अधिकारियों के अनुसार, ईरानी निष्क्रियता को उन प्रॉक्सी ताकतों द्वारा कमजोरी का संकेत माना जा सकता है, जो दशकों से क्षेत्र में तेहरान के प्रभाव का प्रमुख हथियार रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह ईरान की प्रतिष्ठा को भी नुकसान पहुंचा सकता है, जिसने लंबे समय से इजरायल के खिलाफ फिलिस्तीनी मांग का समर्थन किया है।

पूर्व इजरायली खुफिया अधिकारी और पहले और दूसरे इंतिफादा के दौरान वार्ताकार एवी मेलमेड ने कहा कि, 'ईरानियों को इस दुविधा का सामना करना पड़ रहा है कि क्या वे गाजा पट्टी में अपना हाथ बचाने की कोशिश में हिजबुल्लाह को लड़ाई में भेजेंगे या शायद वे इस हाथ को जाने देंगे और इसे छोड़ देंगे? ईरानी दुविधा में हैं।'

असंतोष से जूझता ईरान

दो अलग-अलग अधिकारियों ने कहा कि ईरान के शासक आर्थिक संकट और सामाजिक प्रतिबंधों के कारण देश में बढ़ते असंतोष को दबाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं ऐसे में वो इजरायल हमास जंग में सीधे शामिल होने का जोखिम नहीं उठा सकते। पिछले साल एक युवा महिला (Mahsa Amini) की हिरासत में मौत और उसके बाद पनपे हालातों से देश में महीनों तक अशांति देखी गई।

अमेरिकी प्रतिबंधों और सरकारी कुप्रबंधन के कारण उत्पन्न आर्थिक संकट ने कई ईरानियों को मध्य पूर्व में इस्लामिक गणराज्य के प्रभाव का विस्तार करने के लिए अपने प्रतिनिधियों को धन देने की दशकों पुरानी नीति की आलोचना करने के लिए और ज्यादा मुखर कर दिया है।

न तो गाजा और न ही लेबना, मैं ईरान...

नारा 'न तो गाजा और न ही लेबनान, मैं ईरान के लिए अपना जीवन बलिदान करता हूं' ईरान में वर्षों से सरकार विरोधी प्रदर्शनों में एक ट्रेडमार्क मंत्र बन गया है, जो इन दोनों जगहों पर ईरान के संसाधनों के आवंटन के प्रति लोगों की निराशा को रेखांकित करता है।

पूर्व वरिष्ठ ईरानी अधिकारी ने कहा, ईरान की स्थिति उस नाजुक संतुलन पर जोर देती है जिसे उसे क्षेत्रीय हितों और आंतरिक स्थिरता के बीच बनाए रखना चाहिए।