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War: हवाई रक्षा प्रणालियों में इजरायल इक्कीस, ईरान के पास सैन्य उपकरणों का अभाव; जंग छिड़ी तो किसका रहेगा पलड़ा भारी?

इजरायल ने ईरान पर हमले शुरू कर दिए हैं। आइये जानते हैं हवाई रक्षा प्रणालियों में इजरायल और ईरान में किसका पलड़ा भारी है। दशकों के अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों की वजह से ईरान के पास नवीनतम उच्च तकनीक वाले सैन्य उपकरणों का अभाव है। वहीं अमेरिका की मदद से विकसित एक बहुस्तरीय हवाई रक्षा प्रणाली इजरायल को लंबी दूरी के ईरानी ड्रोन और मिसाइलों को मार गिराने में सक्षम बनाती है।

By Jagran News Edited By: Jeet Kumar Updated: Sun, 27 Oct 2024 05:45 AM (IST)
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हवाई रक्षा प्रणालियों में इजरायल इक्कीस, ईरान के पास सैन्य उपकरणों का अभाव
जागरण डेस्क, नई दिल्ली। एक अक्टूबर को इजरायल पर हुए इरान के मिसाइल हमले की प्रतिक्रिया में अब इजरायल ने भी जवाबी हमला किया है। आइये जानते हैं हवाई रक्षा प्रणालियों में इजरायल और ईरान में किसका पलड़ा भारी है।

ईरान के ज्यादार हथियार पुराने मॉडल के

दशकों के अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों की वजह से ईरान के पास नवीनतम उच्च तकनीक वाले सैन्य उपकरणों का अभाव है। यह रक्षा के लिए रूसी और घरेलू स्तर पर निर्मित सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल और वायु रक्षा प्रणालियों पर निर्भर है।

ईरान के वायु सेना कमांडर ने अप्रैल में कहा था कि रूस निर्मित सुखोई-24 किसी भी संभावित इजरायली हमले का मुकाबला करने के लिए तैयार है लेकिन 1960 के दशक के मध्य में विकसित सुखोई-24 पर ईरान की निर्भरता उसकी वायुसेना की कमजोरी की ओर इशारा करती है।

वायुसेना के पास कुछ दर्जन उड़ने लायक हमलावर विमान

वायुसेना के पास केवल कुछ दर्जन उड़ने लायक हमलावर विमान हैं, इनमें से कुछ को 1979 की इस्लामी क्रांति से पहले रूस और अमेरिका से खरीदा गया था। इसके अलावा इरान के पास नौ एफ-4 और एफ-5 लड़ाकू विमानों का एक स्क्वाड्रन और मिग-29, एफ7 और एफ14 विमान हैं।

विश्लेषकों का अनुमान है कि इसके पास हमलावर ड्रोन की संख्या हजारों में हो सकते हैं। ईरान के पास सतह से सतह पर मार करने वाली 3,500 से अधिक मिसाइलें हैं। हालांकि इनमें से कुछ मिसाइलें ही इजरायल तक पहुंचने में सक्षम हैं। ईरान के पास घरेलू स्तर पर निर्मित सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्लेटफार्म बावर-373, साथ ही सैय्यद और राद रक्षा प्रणालियां भी हैं।

बहुस्तरीय हवाई रक्षा प्रणाली से लैस इजरायल

1991 के खाड़ी युद्ध के बाद अमेरिका की मदद से विकसित एक बहुस्तरीय हवाई रक्षा प्रणाली इजरायल को लंबी दूरी के ईरानी ड्रोन और मिसाइलों को मार गिराने में सक्षम बनाती है। इजरायल के पास सैकड़ों की संख्या में एफ-15, एफ-16 और एफ-35 जेट लड़ाकू विमान हैं। अप्रैल में जब ईरान ने इजरायली क्षेत्र पर अपने पहले हमले में ड्रोन लांच किए थे और मिसाइलें दागी थीं तब ईरानी ड्रोन को मार गिराने में इन्हीं विमानों ने भूमिका निभाई थी।

इजरायल के पास हेरान पायलट रहित विमान भी

ड्रोन प्रौद्योगिकी में अग्रणी, इजरायल के पास हेरान पायलट रहित विमान भी हैं जो 30 घंटे से अधिक समय तक उड़ान भरने में सक्षम हैं। सबसे अधिक ऊंचाई वाली प्रणाली एरो-3 अंतरिक्ष में बैलिस्टिक मिसाइलों को रोकती है। वहीं एरो-2, कम ऊंचाई पर काम करता है। मध्यम दूरी का डेविड स्लिंग हमलावर बैलिस्टिक मिसाइलों और क्रूज मिसाइलों को हवा में ही नष्ट कर सकता है , जबकि कम दूरी वाला आयरन डोम गाजा और लेबनान से आने वाले रॉकेट और मोर्टार से निपटता है।

इजरायली हमले का संदेश

तेल अवीव के राष्ट्रीय सुरक्षा अध्ययन संस्थान में ईरानी मामलों के विशेषज्ञ बेनी सब्ती ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि इजरायली हमला तेहरान को और अधिक टकराव से बचने का अवसर देने के लिए किया गया था। उन्होंने कहा, हम देखते हैं कि इजरायल इस टकराव को खत्म करना चाहता है। वह ईरान को संदेश देना चाहता है कि मामला अब खत्म हो चुका है और हम इसे और आगे नहीं बढ़ाना चाहते हैं।